इजरायल बोला- ताबड़तोड़ हमले से हमास को कड़ा सबक सिखाया

फिलिस्तीन से सीजफायर के बाद हमास को इजरायल के पीएम नेतन्याहू ने दी ये बड़ी चेतावनी #World #Israel #Palestine

           

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आखिरकार इजरायल को अपनी हार स्वीकार करनी ही पड़ी।

चीन, संयुक्त राष्ट्र, OIC, रूस और तुर्की के हजारों बार आग्रह करने पड़ अंततः हमास ने कहा कि वो केवल मानवता के नाम पर इजरायल को इस बार माफ कर रहा है वरना उसने इजरायल को विश्व के नक्शे से हटाने का ठान लिया था।
उधर इजरायल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू हमास के लीडरों से पैर पकड़ कर माफी मांगने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वो हमास, तुर्की और इस्लामिक मुल्कों की ताकत को समझ नहीं पाये इसलिए उनसे इतनी बड़ी गलती हो गयी। उन्होंने यहूदियों के जान की भीख हमास के लीडरों से मांगी है, और कहा कि भविष्य में कभी भी, किसी भी रूप में इजरायल अपने पड़ोसी फिलिस्तीन पर अब हमला नहीं करेगा। इसके अलावा फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानते हुए पूर्वी येरूशेलम को फिलिस्तीनी राजधानी बनाने पर भी वो सहमत हो गये हैं। साथ ही अल-अक्सा मस्जिद पर भी मुसलमानों का नियंत्रण पूर्ववत बना रहेगा।

हमास के लीडरों ने नेतन्याहू की जान बख्शते हुए उन्हें आश्वस्त किया कि वो तुर्की, चीन और संयुक्त राष्ट्र का सम्मान करता है और उनके अनुरोध पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए जल्द ही युद्धविराम की घोषणा करेगा।

विश्व समुदाय ने हमास के इस उदारता पूर्ण फैसले की भूरी-भूरी प्रशंसा की है।

स्रोत:
सारे अंतर्राष्ट्रीय मदरसा छाप न्यूज चैनल।


इस्राईल के लिए ग़ज़्ज़ा युद्ध में भारी पराजय के परिणाम क्या होंगे?
May २२, २०२१ १२:१८ Asia/Kolkata
इस्राईल के लिए ग़ज़्ज़ा युद्ध में भारी पराजय के परिणाम क्या होंगे?
ग़ज़्ज़ा युद्ध में भारी पराजय के बाद ख़ुद ज़ायोनी यह कहने लगे हैं कि अब इस क्षेत्र में इस्राईल का कोई भविष्य नहीं है और उसके लिए इस जंग के भयानक परिणाम सामने आएंगे।

लेबनान की अन्नशरा वेबसाइट ने "इस्राईल हार गया और फ़िलिस्तीन जीत गया" शीर्षक के अंतर्गत एक लेख में लिखा हैः प्रतिरोध विजयी हुआ और यह वही चीज़ है जिससे इस्राईली प्रधानमंत्री बेनयामिन नेतनयाहू डर रहे थे। उन्होंने 70 देशों के राजदूतों से मुलाक़ता में कहा थाः हमास अपनी जीत की घोषणा करेगा और यह इस्राईल और पश्चिम के लिए एक पराजय होगी। इस्राईल के लिए इस जंग में हार के अनेक क्षेत्र में नकारात्मक परिणाम सामने आएंगे जिनमें से कुछ यह हैंः

पता चल गया कि इस्राईली सेना मैदान में अपने लक्ष्य हासिल करने में अक्षम है क्योंकि उसकी प्रतिरोधक क्षमता ख़त्म हो चुकी है और वह मीज़ाइलों व राॅकेटों को रोकने में भी असमर्थ है। सन 2006 के बाद एक बार फिर यह बात सिद्ध हो गई कि इस्राईल की वायु सेना निर्णायक शक्ति खो चुकी है और उसकी थल सेना भी ज़मीन पर प्रतिरोध के मोर्चे से लड़ने के लिए तैयार नहीं है। यह वह नतीजा है जिससे प्रतिरोध का मोर्चा भविष्य में अच्छी तरह लाभ उठाएगा। इसी बात को स्वीकार करते हुए पूर्व इस्राईली युद्ध मंत्री लिबरमैन ने कहा था कि अगर हमास के मुक़ाबले में हमारी यह हालत है तो हिज़्बुल्लाह और ईरान के सामने हमारी क्या हालत होगी?
इस्राईल के आंतरिक मोर्चे और एक लम्बे युद्ध में ज़ायोनियों की समरसता की पोल भी खुल गई है। इस्राईल पिछले 15 साल से दस से पंद्रह हफ़्तों तक चलने वाले संभावित युद्ध के लिए तैयारी की कोशिश कर रहा था और इसी लिए उसने आयरन डोम तैयार किया था लेकिन ग़ज़्ज़ा के युद्ध ने आंतरिक मोर्चे पर उसकी कमज़ोरी को जगज़ाहिर कर दिया है।
अरबों को ज़ायोनी समाज में मिलाने की इस्राईल की कोशिश भी पूरी तरह नाकाम हो गई। अवैध अधिकृत इलाक़ों के फ़िलिस्तीनियों ने बैतुल मुक़द्दस और मस्जिुदल अक़सा पर हमले के ख़िलाफ़ सड़कों पर निकल कर इस्राईल के इस सपने को चकनाचूर कर दिया। कई जगहों पर यहूदियों और ज़ायोनियों के बीच झड़पें हुईं और ख़तरों के सायरन बजने लगे। इस्राईल के अनेक सुरक्षा व सैन्य अधिकारी समझ गए कि गृहयुद्ध का ख़तरा पैदा हो चुका है और न तो इस पर चुप रहा जा सकता है और न इसकी अनदेखी की जा सकती है।
इस्राईल के सैन्य व राजनैतिक अधिकारियों के बीच मतभेद भी खुल कर सामने आ गया और ख़तरनका हालात के लिए राजनितिज्ञ व सैन्य अधिकारी एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे। इसी तरह इस्राईल से उलटे पलायन की संभावनाएं भी बहुत बढ़ गई हैं और शायद अगले साल तक इस्राईल से निकल कर दूसरे देशों में जाने वाले यहूदियों की संख्या दस लाख तक पहुंच जाए। यह इस्राईल के वुजूद के लिए एक गंभीर ख़तरा बना गया है और इससे इस बात को बल मिल रहा है कि इस्राईल अपनी 100वीं जयंती का जश्न नहीं मना पाएगा।\\