योग गुरू रामदेव के वीडियो पर IMA के महासचिव भड़के, देखिए क्या कहा

योग गुरू रामदेव के वीडियो पर IMA के महासचिव भड़के, देखिए क्या कहा #हल्ला_बोल #RE

           

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अगर IMA इतनी ही चाक चौबंध है और उसमे रास्ट्रीयता की भावना भरी हुई है , लेकिन उसका ज़मीर तब कहाँ मर गया था जब कुछ जयचन्दी नेता इंडियन वैक्सीन पर सवालिया निशान लगा रहे थे तब ये क्यूं उनके दलाल बनकर चुप बैठे हुये थे ।
और जितने भी लोग बाबा रामदेव को बुरा कह रहे हो तो सुनों तुम वो विदेशी दलाल हो जिन्हे अपने देश से ज्यादा विदेशी भड्वों पर ज्यादा यकीन हैं ।
ये वो पूजनीय व्यक्ति है जो भारत की सरकार को 126 करोड़ सालाना टैक्स देता है ।
और ये वही ima है जिसने भारत के गरीब , नि:सहाय , मजलूमों को गाँव , शहर मे उपस्थ्ति प्रतेक मैडिकल स्टोर से लुटता देख केवल भड़वों जैसी ताली बजाने का काम किया है ।


कल #AajTak पर आयुर्वेद और ऐलोपैथ पर एक बहस देखी
बाबा रामदेव ने #IMA पर की गई टिप्पणी पर लिखित में माफी माँगी पर बहस में उपस्थित IMA के पदाधिकारियों ने बाबा की जगह खुल कर आयुर्वेद और योग का मज़ाक़ उड़ाया, आयुर्वेद और योग का इतना अपमान शायद ही पहले कभी देखने को मिला
आयुर्वेद और योग आधुनिक ऐलोपैथ की निंव है आयुर्वेद और योग के बिना हम आधुनिक ऐलोपैथ चिकित्सा की कल्पना भी नही कर सकते
आदीकाल में लकड़ी और पत्थरों के पहियों के बिना हम हवाईजहाज़ के पहियों की कल्पना भी नही कर सकते
ऐलोपैथ क्रिकेट की तरह भाग्यशाली रहा और उसे फलने फुलने में आयुर्वेद से ज़्यादा सुविधा मिली और ज़्यादा तवज्जो मिली और ऐलोपैथ मे अच्छी तरक़्क़ी की और एक बहुत बड़े उद्योग के रुप में स्थापित हुआ और आयुर्वेद हमेशा चैरिटी में ही सिमट कर रहा, बाबा मे इस आयुर्वेद को विश्वस्तरीय बनाया और चैरिटी करते हुऐ इसे बड़ा उद्योग भी बनाया और करोड़ो लोगो की प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से रोज़गार भी दिया और आयुर्वेद को लोगो की आजीविका से भी जोड़ा
बाबा ने जो किया वो दुनिया के अच्छे से अच्छे बिज़नस टाईकुन नही कर पाये
IMA की चिकित्सा प्रणाली अच्छी है और वह समय की जरुरत भी है लेकीन जहॉ तलवार काम नही करती वहॉ सुई काम करती है आप पैर में चुभे काटे को तलवार से नही निकाल सकते
प्रकृती प्रदत्त संसाधनो से चिकित्सा करना मज़ाक़ का विषय नही हो सकता हम दवाई और इंजेक्शन से पेट नही भर सकते और हम सिर्फ आयुर्वेद के बलबूते पर हर बिमारी का निदान नही कर सकते क्योकी आयुर्वेद के विकास को कभी सुविधाऐ मिली ही नही आयुर्वेदिक में नवाचार हुऐ ही नही अगर होते तो आज आयुर्वेद भी ऐलोपैथ के बग़ल में खड़ा होता
हमें एक दुसरे का सम्मान करना सिखना होगा,
IMA के दोनों पदाधिकारियों का आयुर्वेद को लेकर संवाद बहुत ही घटिया और स्तरहीन था इस संवाद में आयुर्वेद को लेकर एक कुंठा थी जो जगज़ाहिर हुई, हम अपनी ही निंव का मज़ाक़ उड़ा रहे है जिस पर हम खड़े है
ख़ैर भारत में ये मानव स्वभाव है आज भी हम किसी की तरक़्क़ी को देख नही पाते है और टांग खिंचने की आदत पर तो हम भारतीयों को पेटेंट है
हमारी आदते झिंगुरो से काफ़ी मिलती जुलती है
कुछ तो पहचान है हम भारतीयों की के मजाल है जो अगला तरक़्क़ी कर जाये
विदेशी लुट कर ले जाये ये हम सहन कर सकते है बाकी मजाल है जो पड़ोसी घर के गमले से एक पुदीने का पत्ता भी तोड़ ले