1ºमोदीजी की चुप्पी भारत के दुश्मनों के लिए अत्यंत प्रलयकारी होती है, जब्कि सर्वविदित है कि उनका मुखर होना क्षमादान संभावित हो सकता है।
भारत के किसी भी प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल में इतनी परेशानी और मुसीबतों का सामना नहीं किया, जितना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने !
* 100 साल बाद आई इतनी भयावह महामारी
* 2 बार चीन से विवाद
* 370 हटाकर विश्व के अनेकों देशों का विरोध झेलना
* तमाम तरह के गहरी साजिशों वाले फर्जी आंदोलन
* मीडिया की तरफ से झूठी खबरों का एजेंडा
* विपक्ष की देश-विरोधी साजिशें
* वैश्विक अर्थव्यवस्था का गिरना वगैरह
फिर भी मोदीजी न थकते, न हि निराश होते। वजह, देश को उचाईयों पर ले जाना। सामान्य आदमी होते तो थक-हार कर कहते, भाड़ में जाये। जब अपने ही साथ नहीं है तो मुझे भी क्या पड़ी। लेकिन मोदीजी के समर्थन में 2 शक्तियाँ भी तो हैं।
पहली शक्ति है कि भले ही मेरे जैसे करोड़ों व्यक्ति BJP के खिलाफ हो चुके, लेकिन मोदी समर्थन में जी-जान से जुटे हुए हैं। वजह है कि मोदीजी, योगीजी, अमित शाह तथा गृह राज्यमंत्री G Kishan Reddy इत्यादि जनता तथा राष्ट्र के लिए जितने समर्पित हैं, उसका 5% भी सम्पूर्ण विपक्ष में नहीं। दूसरे शब्दों में, मोदीजी-योगीजी इत्यादि के देशहितैषी कार्य ही BJP है, वर्ना अब भाजपा में रखा ही क्या है? मोदीजी की दूसरी शक्ति है :-
मोदीजी ने एक देशहितैषी कानून बनाया या कार्य किया। जनता को तकलीफ हुई या विपक्ष का विरोध। जैसे ही तकलीफ या विरोध चरम पर पहुँचा, वैसे ही या तो पहले वाले देशहितैषी से कड़ा कानून तैयार, या पहले वाला कार्य जनता के लिए फायदेमंद साबित हुआ या फिर विपक्ष पहले वाले को भूलकर दूसरे के विरोध में खड़ा हो गया। यह मोदीजी की बहुत बड़ी शक्ति है।
2014 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते ही देश में बारिश कम होने पर भारी परेशानी होने से पहले ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल के भाव इतने धराशायी हुए कि आज तक तेल निर्यातक देश रो रहे हैं। लेकिन मोदीजी ने उसी धन से UPA शासनकालीन कर्ज भी उतारा, तथा देश की सुरक्षा हेतु चाक-चौबंद व्यवस्था की।
वैसे ही अब कांग्रेस-शासित राज्यों द्वारा कोराना की दूसरी लहर बरपाना, ताजातरीन कृषि-बिल विरोधियों को औकात में लाने के लिए कारगर साबित हुआ, तो कोराना का दुष्प्रचार करने वाले कांग्रेसी, toolkit का खुलासा होते ही मुँह छिपाये फिर रहे हैं। अब कोराना की दूसरी लहर खत्म करने के जल्द ही कोई व्यवस्था होने वाली है।
बंगाल में जीतने से ज्यादा जरूरी, भारत में घुसपेट के रास्तों के छिद्र बंद करने जरूरी थे, जोकि प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री की सुरक्षा-व्यवस्था अनुरूप, सुरक्षा बलों को पर्याप्त समय मिलने से बंद हो गए। बंगाल के दंगेबाजों को उनकी औकात समझाने के लिए इजरायल की नीति ही काफी रही, वर्ना दंगे जारी रखने पर मेरे जैसे 25 लाख पूर्व सैनिकों में 2.94 लाख को बंगाल के 294 विधानसभा क्षेत्रों में Rastriya Rifle (RR) की तरह अधिकार देकर, 5 वर्ष तक हर थाने में पुलिसकर्मियों के साथ तैनाती द्वारा घुसपेटियों को सुधारकर उनके चहेते बांग्लादेश में खदेड़ने की तैयारी होती।
इसलिए देशवासियो,
मोदीजी जैसा प्रधानमंत्री एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति! अर्थात् मोदी जी जैसा देश के लिए हितकारी प्रधानमंत्री न कभी कोई आया, न आ सकेगा।
कांग्रेसियो, मेरे होते PM का सपना छोड़ देने से कम से कम राहुल को नींद तो बिन दवाई आयेगी। क्योंकि 2047 में योगी आदित्यनाथ जी (1972+ 75) 75 वर्षीय होने पर मेरा नम्बर आ सकता है। तब तक मैं खुद 90 वर्षीय होने से BJP में वैसे भी व्यवस्था नहीं है।