बाबा रामदेव VS एलोपैथिक डॉक्टर !

बाबा रामदेव VS एलोपैथिक डॉक्टर ! देखिये सबसे बड़ी बहस | #ATLivestream

           

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बबा की दवा से एक कि मृत्यु होती है ,ओर एलोपैथिक से हजारों लोग उप्पर चले गए जब कोई दबा बनी ही नहीं तो दे किया रहे हो ,आप केवल डिग्री का हवाला दे कर लोगो से प्रक टिस कर रहे हैं ,फिर भी बाबा नहीं अपना बयान वापस लिया ,जिसको जिस पेथी से फायदा होगा वहीं लेगा ,याद रहे आयुर्वेद मै डाक्टर कोई फीस नहीं लेते जबकि एलोपैथी वाले आपकी आते नहीं छोड़ कर अपनी जेब भरते है, भाई बाबा कि दबा से लोग कियू ठीक हो रहे है ये पीड़ा है बाकी सुनते रहो ,कोन किया कह रहा है,बाबा पांच लाख का इंसोरेंस भी स्मब्रधी कार्ड वालो को देता है दस परसेंट हर समान मै छूट देता है,आयुर्वेद हमारे ,पुवजो का दिया एक वरदान है, ऋषि मुनियों का वरसो का अनुभव है जीस्को जो भाता है अपनाओ मगर कुछ गड़बड़ है जो ये बहस हो रही है,जै हिंद बन्दे मातरम।


बाबा पहले के इन प्रश्नों का
उत्तर दें जो कि पेंडिंग है ~


गोहत्या बंद कराने के लिए जो
वोट लिए थे उन्हें वापस करवाएं
क्योंकि 100% झूठ निकला


कालाधन होल्डर्स की पूरी लिस्ट
चैनल पर दिखाई थी और कहा
था कि वोट देने पर सभी के खाते
में 15-15 लाख ₹ आएंगे जो कि
अभी तक नहीं आए हैं, बाबा को
अपना साधूवचन पूरा करने के
लिए ठगी से हासिल की हुई पूरी प्रॉपर्टी लोगों में बांट देनी चाहिए
क्या ऐसा करेंगे ?


रजतशर्मा के चैनल पर कहा था कि वोट देने पर
पेट्रोल 35 ₹ लीटर होगा जो कि
धूर्ततापूर्वक बोला गया झूठ था
इसके प्रायश्चित के रूप में ठगने
के लिए धारण किया साधूवेश
त्यागने की सदाशयता दिखाएंगे


विषय कोई ऐसा नहीं जिस बात पर इतना विवाद खड़ा हो! दोनों पक्ष बयानों को लेकर तो लड़ रहे हैं, लेकिन सच ये है, कोरोना के आगे सब बेबस हैं और ऐसे आयुर्वेद और ऐलोपैथी के नाम पर वो लड़ाई लड़ श्रहे हैं, जो हमेशा लड़ते रहे हैं! बहरहाल मीडियायी कोठों के लिये समय काटने के लिये बाहियात मुद्दा जरूर मिल गया मुजरे पेस करने के लिये! आयुर्वेद हो, या ऐलोपैथी मरीजों को देखो, जितना देख सको! एक दूसरे के खिलाफ बयानवाजी या बुराई बाद में करते रहना! डा.ऱाजन शर्मा जी के तर्क तथ्यात्मक रुप से सही!
#अंजनाओमकश्यपआजतक #बाबारामदेवयोगगुरु #जयेशएमलेलेमहासचिवआईएमए #राजनशर्मापूर्वअध्यक्षआईएमए


क्या गलत कह दिया पूरा भारत और उसकी जनता इतनी बड़ी महामारी में डॉक्टरों को भगवान मानकर उनकी तरफ देख रही है कुछ दयावान डॉक्टरों को छोड़कर बाकी तो डॉक्टरों का भी पता नहीं इलाज क्या कुछ पता नहीं सीधा वेंटिलेटर पर लिटा दो जी गया तो अच्छा मर गया तो अच्छा क्या तरक्की की हमने आज विज्ञान में दुनिया इतनी आगे और हम इतना भी नहीं कर सकते हाथों में दम निकल रहे हैं लोगों के अस्पताल पहुंचते-पहुंचते घर बिक रहे लोगों के जिन पर गुजरी उनसे पूछो इसे राजनीति राजनीति का मुद्दा मत बनाएं क्योंकि इस वक्त तीनों की ही जरूरत है चाहे वह आयुर्वेदिक एलोपैथिक चाय होम्योपैथी जिन्होंने अपनी पूरी जी जान से मेहनत करी है वह तो आज हमारे बीच नहीं नहीं और जो है अभी पूरी कोशिश कर रहे हैं उनको भी नमन पर निकम्मा का क्या करा जाए राजनीति मुद्दा लेकर पार्टी वादी शुरू हो गए हैं


प्रश्न - IMA या इंडियन मेडिकल एसोसिएशन क्या है?
उत्तर - सिर्फ एक NGO

प्रश्न - कोई IMA वाला बता क्यों नही पा रहा है कि कोरोना की इफेक्टेड दवाई क्या है?
उत्तर - क्योंकि फाइजर में इनका कट है

प्रश्न - बाबा रामदेव ने क्या किसी डॉक्टर के कार्य पर प्रश्न चिन्ह लगाया?
उत्तर - नहीं।

प्रश्न - कोरोनिल को अवैध बताने वाले डॉक्टर कौन है?
उत्तर - विभिन्न दवा कंपनियों की दवाइयों में कमीशन खाने वाले एजेंट।

प्रश्न - कोरोनिल को अवैध बताने का आधार क्या है? जबकि इस्कू भारत सरकार ने मान्यता दी है
उत्तर - बदतमीजी करने का आधार सिर्फ बकैती होती है।


*आयुर्वेद और होम्योपैथी को हर कदम पर अग्नि परीक्षा के लिए कहा जाता है। लेकिन एलोपैथी को सौ गलतियाँ माफ़

ताज़ा वायरस के मामले में...

1 *पहले हाईड्रॉक्सिक्लोरोक्विन को अचूक माना...*
दुनिया में भगदड़ मची उसको लेने की। फिर उसका नाम हटा लिया, कहा कि वो प्रभावी नहीं।
2 *सैनिटाइजर को हर वक़्त जेब में रखने की सलाह के बाद उसके ज़्यादा उपयोग के खतरे भी चुपके से बता दिए गए।*

3 *फिर बारी आई प्लाज़्माथैरेपी की। पूरा माहौल बनाया, रिसर्च रिपोर्ट्स आईं, लोग फिर उसमें जी जान से जुट गए। लेने, अरेंज और मैनेज करने और प्लाज़्मा डोनेट करने में भी।*

और फिर बहुत सफाई से हाथ झाड़ लिया, ये कहते हुए... कि भाई ये इफेक्टिव नहीं है।

4 *स्टेरॉयड थैरेपी तो क्या कमाल थी भाई साहब। कोई और विकल्प ही नहीं था। कई अवतार मार्केट में पैदा हुए। कालाबाज़ारी हो गई, बेचारी जनता ने भाग दौड़ करते हुए, मुंहमांगे पैसे दे कर किसी तरह उनका इंतज़ाम किया। अब कहा गया कि ब्लैक फंगस तो स्टेरॉयड के मनमाने प्रयोग का नतीजा है।*

5 *रेमडेसीवीर इंजेक्शन तो जीवनरक्षक अलंकार के साथ मार्केट में अवतरित हुआ। इसको ले कर जो मानसिक, शारीरिक और आर्थिक फ्रंट पर युद्ध लड़े जाते उनकी महिमा तो मीडिया में लगभग हर दिन गायी जाती। लेकिन अरबों-खरबों बेचने के बाद अब उसको भी अप्रभावी' कह कर चुपचाप साइड में बैठा दिया।*

*दूसरी तरफ मात्र 20 रुपये की होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक एल्बम 30, 100 रुपये की Aspidosperma Q, या 500 रुपये के मासिक खर्च वाले कोरोनिल, 20 रुपए के काढ़े और 10 रुपए की अमृतधारा को हर दिन कठघरे में जा कर अपने सच्चे और काम की वस्तु होने का प्रमाण देना पड़ता है।*

*क्लीनिकल रिसर्च ही अगर आधार है तो फिर इतने यू टर्न क्यों ? टेस्ट अगर जनता पर ही करने हैं तो फिर हिमालयन जड़ी बूटी वाला खानदानी दवाखाना क्या बुरा है !*

जनता का फॉर्मूला बहुत सीधा है: "महंगा है, अंग्रेज़ी नाम है... तो असर ज़रूर करेगा। और साइड इफ़ेक्ट ? वो तो हर चीज़ में होते हैं।"

*आयुर्वेद और होम्योपैथी :- आपको अभी पीआर के फ्रंट पर बहुत सीखना है। अपना इको सिस्टम तैयार करो। नहीं तो, किसी दिन संजीवनी बूटी या कोई अन्य मदर टिंक्चर आया तो उसको भी लोग नकार देंगे। समझे ना...?*


Pure Debate se ek baat clear hai, Allopathy Doctors pure Debate me frustated , High Anger , jaldi me gali galuj par aana, chehra tamatamaya , Gusse se kapte huwe, 4-4 bar paani peete huwe dikhe.

Manta hoo , Ayurved critical case handle nhi kar skta magar jo mind and body control Ayurved follow karne wale me ho skta hai wo yaha saaf dikta hai. Agar Ayurved life style apnaye to bahut sare problems apne aap cure ho jate hai. Allopath me sirf Sugar, Colestral aur BP ki medicines ka lakho karod ka karobar hai wo band ho jayega. Allopath ke maya jaal itni badi hai ki kitno ke sal dar sal treatment karate Ghar-Bar sab bik jata hai, new generations road par aa jati hai.


Patanjali ayurvedic medicines are 10 % useful..... but all the atta Maggie rice... biscuits....all the food products are very bad worse performance..baba ramdev only depends on business across India and abroad also.....he is not doing good work for India ....in corona pendamic.....he didn't get any funds to PM Care..... even baba don't give food products to labour people.....if baba ramdev will provide full life time free patanjali. Products I will never used in my life and my family . Patanjali Yogpeeth Baba Ramdev will not donates one. Kg of Salt also....take. Action against Baba Ramdev said him to jail..... boycott patanjali products from India...... Avoid patanjali products


विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों को साथ लेकर चलें और ट्रीटमेंट को बीमारियों को सौ 100% curable / treatable / side effect free treatment बनाया जा सकता है , मेरा यहां किसी भी चिकित्सा पद्धति पर व्यक्तिगत रूप से पर अविश्वास नहीं है बल्कि उस पद्धति को, और भी रिसर्च करके 100% curable / treatable / side effect free treatment बनाना चाहिए
यहां कुछ सवाल जो आज के समय के लिए जरूरी हो गए हैं जो हर एक भारतीय का सवाल बनता जा रहा है क्या आप अब समय आ गए हैं कि हम उन पद्धतियों को भी देखें जो हजारों साल से हमारे पूर्वजों ने रिसर्च करके तैयार किया था हिंदू धर्म के विभिन्न ग्रंथों में उन पद्धतियों Ayurveda, Yoga, Naturopathy का वर्णन विस्तार से दे रखा है उनको भी देखना और समझना आज के समय की जरूरत और आवश्यकता हो गई है

इन रिसर्च पर बड़ा बजट लगाना होगा और सरकार और प्राइवेट कंपनियों को मिलकर और इन चिकित्सा अलग-अलग पद्धतियों पर काम करने वाले साइंटिस्ट रिसर्च , पद्धतियों को डेवलप करना चाहिए करना चाहिए

बहुत-बहुत धन्यवाद
आपका अपना
अरुण कूलवाल

Support Ayurveda / Yoga / Naturopathy

#Allopathy #RadiationTherapies #BiologicalTherapy #HormonalTherapy #Chemotherapy #psychotherapy #Ayurveda #Siddha #Unani #Yoga #Naturopathy #Homoeopathy #Electrotherapy #BabaRamdev

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10ºएलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर जरूर सोचना चाहिए मैं यहां पर किसी डॉक्टर की बुराई नहीं कर रहा या अच्छा बुरा नहीं कह रहा डॉक्टर ने लाखों लोगों की जिंदगी को बचाया है डॉक्टर्स ने अपनी जिंदगी को अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर लाखों लोगों को बचाया है मैं ऐसे डॉक्टर को शत-शत नमन करता हूं ऐसे ही डॉक्टर ने मानव हित के लिए और मानव कल्याण के लिए अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर लोगों की सेवा की है
जहां इस चिकित्सा पद्धति एलोपैथी में लाखों लोगों की जिंदगी बचाई है वही इस चिकित्सा पद्धति पर भी 10 सालों से कुछ सवाल उठे हैं कि जो बाबा रामदेव ने सवाल उठाएं वह कुछ हद तक और काफी हद तक सही भी रहे हैं जरूर हमारे scientist or researcher बारे में रिसर्च करना चाहिए एनालिसिस करना चाहिए कि आखिर 50-100 सालों से हम जिस चिकित्सा पद्धति पर विश्वास करते हैं क्या वह चिकित्सा पद्धति इन सब बीमारियों में जो बाबा रामदेव ने सवाल उठाई है
एलोपैथी को 100% curable / treatable नहीं बन पा रही है इस पर तो सवाल उठना वाजिब है लाखों करोड़ों रुपए की रिसर्च के बाद भी, हजारों और लाखों लोगों के इस पद्धति में विश्वास होने के बाद भी, 100% curable / treatable नहीं बन पा रही हैं ।
allopathy को science-based, modern medicine कहा जाता है तो क्या आज आज का साइंस आज का विज्ञान यहां तक ही पहुंचा है इस पर सवाल उठना तो वाजिब भी है मैं एलोपैथी सर्जरी और विभिन्न साइंटिफिक या इक्विपमेंट (Surgery, Radiation Therapies, Biological Therapy, Hormonal Therapy, Chemotherapy, psychotherapy ) के द्वारा जो इलाज किया जाता है वह आज की जरूरत भी है और आज की समय की आवश्यकता भी है लेकिन सर्जरी के बाद जिस तरह का उनको मेडिसिंस / दवाइयां दी जाती है और उस मेडिसिंस और दवाइयों का जो साइड इफेक्ट पेशेंट के विभिन्न अंगों पर हो रहा है तो इस 100% curable / treatable / side effects free क्यों नहीं बनाया जा सका ??
मेरा मानना है अब समय आ गया है कि विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों Allopathy (Surgery, Radiation Therapies, Biological Therapy, Hormonal Therapy, Chemotherapy, psychotherapy ) / Ayurveda, Siddha, Unani and Yoga, Naturopathy, Homoeopathy and Electrotherapy को साथ में लेकर चलें और उसको साइंटिफिक और रिसर्च के द्वारा इन विभिन्न पद्धतियों से चिकित्सा को 100% curable / treatable / side effect free treatment बनाए जा सके और इसमें मैं मानता हूं सरकार को भी इन विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों पर रिसर्च और साइंटिफिक रिसर्च करने के लिए अपना सहयोग देना चाहिए और अपना बजट देना चाहिए और उन कंपनियों को प्रोत्साहित करना चाहिए करना चाहिए जो इन पर रिसर्च पर काम कर रही है
विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों को साथ लेकर चलें और ट्रीटमेंट को बीमारियों को सौ 100% curable / treatable / side effect free treatment बनाया जा सकता है , मेरा यहां किसी भी चिकित्सा पद्धति पर व्यक्तिगत रूप से पर अविश्वास नहीं है बल्कि उस पद्धति को, और भी रिसर्च करके 100% curable / treatable / side effect free treatment बनाना चाहिए
यहां कुछ सवाल जो आज के समय के लिए जरूरी हो गए हैं जो हर एक भारतीय का सवाल बनता जा रहा है क्या आप अब समय आ गए हैं कि हम उन पद्धतियों को भी देखें जो हजारों साल से हमारे पूर्वजों ने रिसर्च करके तैयार किया था हिंदू धर्म के विभिन्न ग्रंथों में उन पद्धतियों Ayurveda, Yoga, Naturopathy का वर्णन विस्तार से दे रखा है उनको भी देखना और समझना आज के समय की जरूरत और आवश्यकता हो गई है

इन रिसर्च पर बड़ा बजट लगाना होगा और सरकार और प्राइवेट कंपनियों को मिलकर और इन चिकित्सा अलग-अलग पद्धतियों पर काम करने वाले साइंटिस्ट रिसर्च , पद्धतियों को डेवलप करना चाहिए करना चाहिए

बहुत-बहुत धन्यवाद
आपका अपना
अरुण कूलवाल

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मैं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व फार्मा कंपनियों से विनम्रता के साथ सीधे 25 सवाल पूछता हूँ- Swami Ramdev / Patanjali Yogpeeth