देखें ग्रामीणों की आपबीती

स्वास्थ्य व्यवस्था का संक्रमणलोक, देखें ग्रामीणों की आपबीती देखिए #SpecialReport, Anjana Om Kashyap के साथ पूरा शो:

           

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बिहार सरकार और अन्य राज्य सरकारें अभी तक लोकल डिस्पेंसरी या मोहल्ला क्लीनिक जिला अस्पताल, पंचायत में एक छोटा-मोटा अस्पताल हो और पुरानी अस्पतालों की क्षमता बढ़ाने के लिए उसमें ज्यादा से ज्यादा चिकित्सकों की नियुक्ति की जाए और उनकी क्षमता बढ़ाने के लिए समय-समय पर यथोचित कार्रवाई की जाए ।प्रति हजार मरीजों पर डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जाए जिला अस्पतालों में किसी भी चीज का ऑपरेशन की सुविधा हो इस तरह की पहल जितनी जल्द राज्य सरकार करेगी उतना ही फायदा लोगों को मिलेगा :सिर्फ एम्स बना देने से ही स्थानीय मरीजों का समस्या का समाधान नहीं होने वाला है ,और प्राइवेट नर्सिंग होम के भरोसे मेडिकल व्यवस्था को नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि इन कुकुरमुत्ता की तरह नर्सिंग होम खुले हुए हैं ;उनको व्यवस्थित करने के लिए एक नियामक संस्था का बिहार और केंद्र सरकार करें या ठीक ट्राई की तरह हो ;अब एक छोटा सा उदाहरण बिहार के दो अस्पतालों का मैं दे रहा हूं। मैं हाल फिलहाल दरभंगा अस्पताल की जर्जर बिल्डिंग का ध्यान मीडिया के लोगों ने दिखाया लेकिन वास्तव में डीएमसीएच में जिस तरह अनुभवी और अच्छे चिकित्सक हैं इतनी अच्छी व्यवस्था उत्तर बिहार के किसी भी अस्पताल में नहीं है वही मधेपुरा के शानदार बिल्डिंग में उस तरह की मेडिकल व्यवस्था और डॉक्टरों की पर्याप्त संख्या नहीं है इसलिए सभी सुविधाओं से युक्त अस्पतालों का अभाव बिहार में है कहीं डॉक्टर योग्य हैं तो अस्पताल जर्जर है कहीं अस्पताल शानदार है तो डॉक्टर नहीं और कहीं यह दोनों चीज है मशीन नहीं है और कहीं यह तीनो चीज़ है उस पर इतना मरीजों का भार है कि वह चाह कर भी वैसा सर्विस नहीं दे सकता है जो होना चाहिए इसलिए पुरानी बातों को छोड़कर एक नई सोच के साथ अगर बिहार को एक अच्छी स्वास्थ्य सुविधा देनी है ।इस सुझाव को मान लेने में कोई गुरेज नहीं करनी चाहिए ,क्योंकि यह महामारी एक 80 साल के बूढ़े व्यक्ति को अमेरिका में राष्ट्रपति बना सकता है तो तय मानिए कि अगला चुनाव इस महामारी से जो व्यक्ति ढंग से लड़ेगा वहीं चुनाव जीतेगा।