किसान आंदोलन पर बढ़ती राजनीति!

किसान आंदोलन पर राजनीती थमने का नाम नहीं ले रही है। क्या किसानों का ये प्रदर्शन यूँ ही चलेगा #ATVideo #FarmersProtest #Politics

           

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महीनो से हम संघर्ष कर रहे हैं पर हमे मिला क्या कुछ नहीं बदले मे हमने अपने कई साथियों को खो दिया और सरकार , दलाल मीडिया द्वारा हमे ही आम जनता के समने करोना का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है ।।
मै किसानों के मसीहा और नेता राकेश टिकैत जी की बहुत इज्जत करता हूं , हम खुद एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं ।।
लेकिन ऐसा कब तक चलेगा क्या हमे विरोध का कोई दूसरा ठोस विकल्प नहीं ढूंढना चाहिए जिससे सरकार को नहीं बल्कि उनके उद्योगपति साथियों को दिक्कत हो , क्यों न हम ईमानदारी जिओ का बहिष्कार पुरे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश मे करे और ऐसा करने से उनके उद्योग और शेयर्स पर भरी गिरावट आएगी जो सरकारो को यह कला कानून लेने को मजबूर ही कर देगी ।।।
जय जवान जय किसान ।
जय हिंद ।
राकेश टिकैत जिंदाबाद ।


ये सनक है और इनको सनकी पप्पू मन्दबुद्धि युवा ने बनाया है।
मन्दबुद्धि पर जब से मौलवी ने सिर पर हाथ फेरा तभी से तब्लीगी टूलकिट उस पर हावी हो गई है।
किसान टूलकिट मीडियाँ टूलकिट, चौकीदार चोर है टूलकिट, रॉफेल टूलकिट जितनी भी ये सब टूलकिट देश में चल रही है अभी और बहुत आने वाली है और इन सबके पीछे तब्लीगी दिमाग और 57 मुल्कों का साथ है।
आप किसी भी किसान से बात करोगे तो वह मजहबी कटपिसो की भाषा बोलेगा वही शब्द ज्यो के त्यों सब कुछ तो उन्ही की ट्रेनिंग से चल रहा है। परिवार की महिलाएं, बूढ़े, बच्चे सबको उसी तरह आंदोलन में शामिल करना और उसी तरह की मोदी, देश विरोधी भाषा बुलवाना, देश बेच दिया तूने मोदी मरजा तू। इस हद तक जड़ो में अपनों के विरोध को जड़ो में पहुँचा दिया है तबलिगियों की योजना को कामयाब कर अपनी नश्लो की गर्दने कटवाने को तैयार कर रहे है।
हर देश्वासी का हक़ मोदी ने मार रखा है और मजे की बात देखिये ऐसा कहने वाले 5 स्टार होटलो में मजे कर रहे है।
ये सच जितनी जल्दी समझ जाओ उतना ही हितकारी होगा आने वाले समय के लिये।


जो किसानों के लिए दलाल कहता हो तुम मोदी जी को कह दो ठीक 1000 ग्राम पंचायतों से फोन नंबर बगैर बताए छुपा के कहीं से मंगवा लें और किसानों से वार्ता कर लें सब किसान परेशान हैं और नहीं तो ग्रामीणों से बातचीत कर ली जाए जो लोग आपको सुझाव देते हैं वह लोग आप की सत्ता में बैठे जूस पी रहे हैं और किसान खेत पर मर रहा है उसके लिए अच्छा रेट दिलाओ महंगाई डाउन करो बीजेपी सरकार अब गड्ढे में जाएगी यह तय हो चुका है आदमी जानवरों से भी परेशान जिसे कहते हैं गौ माता पिता साल हो गए मोदी सरकार की जय जय कार


एक गधा भी अच्छा प्रधानमंत्री बन सकता है, बस उसमे सिर्फ 1 खासियत होनी चाहिए,अंत तक पढ़िये, वहाँ लिखी है।
पहले ये जानिए, हमारे प्रधानमंत्री को सभी क्षेत्रों के विशेषज्ञ स्लाहाकार मिले हुए होते हैं, जैसे आर्थिक,रक्षा,विज्ञान,दवाई,कला,वाणीज्य,शिक्षा आदि। और जहाँ इनसे भी अलग जरूरत पड़ती है, तो एक फोन पर तुरंत कहीं से भी उपलब्ध करा दिये जाते हैं। इनके अलावा पार्टी के तमाम नेता, जो विभिन्न राज्यों और व्यवसायों से आते हैं, वो भी अपनी सलाह देते रहते हैं। इन सब के अलावा आम आदमी,छोटा व्यापारी, परिवार के लोग, जिनसे भी आप बात करें, उनकी सलाह और प्रेशानि सुनी जा सकती है। सोशल मीडिया में लोगों की कॉमेंट से भी जनता का रुख पता चलता है।
यानी कुल मिलाकर अगर आप अनपढ़, मुर्ख कैसा भी प्रधानमंत्री चुनते हैं, वो इन सब तरीकों से सरकार के अभी के चल रहे कानूनों में क्या दिक्कत है या क्या नया कानून बनना चाहिए, इस सब का पता चला सकता है। जरूरी नहीं कि हमारा प्रधानमंत्री बहुत पढ़ा लिखा हो।
अब गधे वाला उत्तर - सिर्फ प्रधानमंत्री में सबकी सलाह सुनने की क्षमता, खासतौर पर आम आदमी की और घमंड ना होने की quality होनी चाहिये।
इस सब का ये मतलब नहीं कि आप गधा चुने, अगर आप पढ़ा लिखा,विनम्र, सबकी सुनने वाला,सबको साथ लेकर चलने वाला प्रतिनिधि चुनें,तो सबसे बदिया बात होगी।
अगर आप सिर्फ ऊँचे सरकारी अफसरों और गिनती के बड़े उद्योगपति मित्रों व नेताओं की सलाह पर चलते हैं, तो देश गड्ढे में ही जायेगा। अभी भी 3 साल बचे हैं, आम आदमी, छोटे व्यापारी को बुलाओ, उनकी सुनो, अगली सरकार भी आपकी बनेगी।


यूपी के फर्रुखाबाद जिले में कंपिल स्थित सहकारी सूत कताई मिल लगभग 21 साल से बंद पड़ी है। इसमें रखी करोड़ों रुपये की मशीनें जंग खा रही हैं।
कंपिल सूत कताई मिल का उद्घाटन सन 1983 में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने किया था। इसे बनवाने में तत्कालीन सांसद और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के पिता खुर्शीद आलम की महत्वपूर्ण भूमिका थी। कताई मिल शुरू से ही अधिकारियों की अनियमितताओं का शिकार रही है। इसमें कार्यरत 1500 से ज्यादा कर्मचारियों का वेतन अटका पड़ा है। रोटी को भी तरस रहे हैं साल 2000 तक मिल पर 80 करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो चुका था। इसी कारण अचानक इसे बिना किसी सूचना के बंद कर दिया गया था। तत्कालीन जीएम केके प्रसाद ने कर्मचारियों का भुगतान तक नहीं किया था। पूर्व कर्मचारी विश्राम सिंह यादव ने बताया कि जब से मिल शुरू हुई थी, तब से ही हम लोगों का पीएफ काटा जाता था। उसे संबंधित खाते में नहीं जमा किया जाता था।अब तो सभी कर्मचारियों को वीआरएस का पैसा ही मिल जाए वही बहुत है। पीएफ की उम्मीद तो हम लोग छोड़ ही चुके हैं। कताई मिल की जमीन पर इलाकाई लोग अवैध कब्जा कर खेती कर रहे हैं। इसका कोई हिसाब नहीं है। यहां पर लाखों रुपये के पेड़ भी मौजूद हैं। इसमें फलदार वृक्ष भी शामिल हैं। इसके अलावा स्थानीय लोगों ने हजारों रुपये का कबाड़ भी बेच दिया है। अब यहां पर बड़ी-बड़ी मशीनें ही बची हैं। करोड़ों की लागत से बनी मिल की दीवारें भी जर्जर हो गई हैं। 130 एकड़ जमीन में बनी है मिल
कंपिल कताई मिल लगभग 130 एकड़ जमीन में बनी है। इसमें 45 एकड़ जमीन सरप्लस व 85 एकड़ जमीन पर कारखाना है। इस मिल को जिले का सबसे बड़ा कारखाना बोला जाता है। कोई भी सरकार इस पर ध्यान नहीं देती 1500 परिवार क्या कर रहे होंगे वेरोजगार
कताई मिल चालू करवाने की बात कई बार हुई, लेकिन बनी नहीं। चुनाव आते ही सभी दलों के नेता मिल शुरू करवाने की बात करते हैं। बाद में कोई ध्यान नहीं देता। पिछले चुनाव में सलमान खुर्शीद ने निजी क्षेत्र से मिल चालू करवाने की बात कही थी। लेकिन बाद में सुध तक नहीं ली। साल 2017 में तत्कालीन डीएम ने निरीक्षण कर मशीनों की हालत जांची थी। उन्होंने कहा था कि शासन के निर्देशानुसार इसे चालू करने पर विचार किया जा रहा है। लेकिन इसके बाद यह मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया।

एसडीएम के आदेश पर कुर्क कर दी गई। श्रम विभाग ने दो करोड़ रुपये का चालान किया था।