1ºजीते जी कब्रिस्तान के डर से वोट किया.... ताकि शमशान बन सके... पर नियति का खेल देखो... जिन्हें वोट दिया उनके हाथों ही छले गये.... न आग मिली, और न गंगा.... ले दे के शव ढकने को एक चुनरी मिली थी.....उसको भी अपनी नाकामी को छुपाने के लिए हटवाया जा रहा है....?
उफ्फ .....पहले तो शवों का दाह संस्कार नहीं हो पाया इनकी कुव्यवस्था के कारण.... शवों को धरती में गाड़ना पड़ा..... शमशान के लिए दिया वोट बेकार गया....अब कम से कम शव को ऐसे नंगा तो मत करो महाराज...
अब कुछ नहीं छुपा सकोगे....सबने देख लिया है मौत का नंगा नाच और शवों की दुर्दशा.....अब कम से कम इनके शवों को तो बख्श दो....!?
7 साल से बवाल मचाये हुए थे कि "हिन्दू ख़तरे में है" पर 'हिंदुस्तान'' ख़तरे में आ गया...!
हिन्दू भाइयों...! तुम्हें यही तो चाहिए था?