बेड खाली रहा बेड, मरीज़ मर गया...

अस्पताल ने किया बेड देने से इनकार, देखें कैसे VIP कल्चर ने ले ली महिला की जान। #Vertical #Rajasthan #Kota #COVID19 #CoronavirusPandemic

           

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कोराना मीटर 1 लाख आबादी पर (27 May)
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देश इटली ब्राजील अमेरिका भारत जापान
आबादी 6 21 33 138 12.6
करोड़ में

मौतें प्रति 208 217 179 24 9
लाख।
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कोरोना Corona सब कहें, JB कहे ना कोय,
एक बार JB कहते ही 'क' का रोना न होय।

मैं बारम्बार राजस्थान, मैनपुरी तथा रायबरेली की जनता को सुझाव देता रहता हूँ कि जब मनमोहन-एंटोनिया माईनो (भूरी ताई वरूण गांधी की) -मुलायम (त्रिगुटे) को जब रहना अस्पताल में ही है तो सुर्खियों में बने रहने के लिए सांसद बनना जरूरी नहीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मनमोहन इतना बता दे कि JB-II काँड उपरांत आतंकग्रस्त क्षेत्र में तैनात सैनिक (मैं खुद) के मकान का ताला तोड़कर बेघर बनाने के बावजूद मायनो निर्देश पर हर्जाना नहीं दिया। वही बात योगीजी को मुलायम बताये कि UPA सरकार बचाने के चक्कर में सपाई गुंडों पर लगाम नहीं लगा पाने से Jhansi के Babina (JB) में ताला तोड़ा गया। ऐसा होने पर लम्बे समय से लटके मेरे मकान संबंधी मुद्दे पर ध्यान होने से त्रिगुटा बेशक अस्पताल में रहें, उनके बदले जनहितैषी कार्य मैं कर दिया करूंगा।

सदियों से विभिन्न तरीकों द्वारा भारत का नुकसान पहुंचाकर मुसीबतों में घेरने वाले देश, आज Corona कहर के कारण भारत के सामने ऐसे लाचार हो गये कि सनातन परंपरा निभाने में ही उनकी भलाई है।

कुछ कार्यों की जानकारी का अंदाजा होने पर भी मैं देश हित में समय-पूर्व खुलासा नहीं करता कि कहीं देशद्रोही सावधान न हो जायें। अन्यथा मात्र 16 महीनों में मोदीजी द्वारा राम मंदिर, धारा 370, 3 तलाक, NRC, CAA तथा किसान बिल का असली उद्देश्य कुछ और ही था ! बंगाल में सत्ता की परवाह न करना मोदीजी का शगल नहीं, देश के गद्दारों का ध्यान भटकाना था। मेरा अनुभव बयां करता है कि भारत पर China के साथ चल रहे विवाद से भी बड़े बाह्य एवं आतंरिक खतरे टालने के लिए मोदी सरकार को कई देशहितैषी निर्णय वर्षों की बजाय महीनों में धड़ा-धड़ लेने के लिए मजबूर होना पड़ा, ताकि देशद्रोहियों को दुष्टकर्म करने का मौका ही न मिल पाये। यह आभास मुझे लोकसभा चुनाव पूर्व हो चुका था।

विश्व में जब व्यभिचार चरम सीमा लांघने पर माँ-बाप, मित्र, पुलिस, कानून, साधु-संतों तथा सरकारों द्वारा समझाने पर भी लम्पटों ने दुष्कर्म नहीं छोड़े तो समाधान हेतु सृष्टि निर्माता को HIV रुपी सुक्ष्म-जीव उत्पन्न करना ही पड़ा, जिससे एड्स नामक बीमारी प्रकट हुई। HIV न होने से धनाड्यों की बिगड़ी औलादों की अवैध औलादें दर-दर ठोकरें खाकर गली-मोहल्लों में Call Girls बन, घुमने से पारिवारिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो जाती।

वैसे ही कोराना हर मायनों में घातक तो है, लेकिन बिगड़ों को सुधारने के सारे रास्ते बंद होने पर अब अमीर तथा गुंडों को ऐहसास हुआ है कि वास्तविक भगवान वे नहीं, सृष्टि रचियता ही है। भारतीयों की जीवन प्रत्याशा (औसत आयु) 68 वर्ष होने से वर्ष के 365 दिन अनुसार रोजाना 55000 की मृत्यु स्वाभाविक है, लेकिन दंगों, दुर्घटना, प्रदुषण, बीमारी तथा मिलावटी वस्तु खाकर नहीं। भारत में अब तक जितने Corona कहर के कारण कालग्रस्त हुए, उससे ज्यादा तो इटालियन दंगेबाज माईनो तथा राजीव ने कंटीली झाड़ी को बड़ा वृक्ष कहकर तथा इंदिरा द्वारा गौहत्या पाबंदी मांग कर रहे साधुओं पर गोलियां चलवाकर मरवाये। अब भी माईनो को चैन नहीं पड़ रहा, जिसने पंजाब की कांग्रेस सरकार को MLA पिटवाने के बाद भी अमरिंदर को नहीं समझाया।

कोराना के कारण चाकु-छुरे तथा सड़क दुर्घटनाओं द्वारा मौतें न होने से 68 की बजाय 72 वर्ष जीवन प्रत्याशा होने से 55 हजार में 2000 को दिये जाने वाला बीमा भूगतान तथा दवाईयां कम सेवन होने से सरकार के करोड़ों रुपये रोज बच रहे हैं।




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