बाबा का बयान... मचा नया बवाल

बाबा का बयान... मचा नया बवाल देखिए #हल्ला_बोल, Anjana Om Kashyap के साथ #ATLivestream

           

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IMA को #आयुर्वेद से दिक्कत नहीं है क्योकि आयुर्वेद को तो इनहोने हमेशा हास्य का विषय बनाकर रखा है । इन्हे दिक्कत है बाबा रामदेव जी से जिनहोने वेदो मे वर्णित भारतीय आयुर्वेद को इतनी उचाई पर पहुंचा दिया है की कॉलगेट जैसी सुपर ब्रांड को भी अपना विज्ञापन #वेद शक्ति कह कर करना पड़ रहा है | एवं टेस्ट के लिए फ्री संपले का ऑफर दे रहे है | इन्हे बड़ी अच्छा तरह मालूम है की जिस तरह कोरोना बीमारी मे #काढ़े ( आयुर्वेद ) का सेवन हर जगह सफल रहा एवं बड़े दे बड़े अस्पताल मे भी जो 100% एलोपेथि से उपचार करते है उन्होने 2 समय काढ़ा एवं साम को #हल्दी मिला दूध अपनी डाइट मे शामिल किया | क्योकि जब मै अपोलो हॉस्पिटल मे अपने हार्ट ऑपरेशन एवं कोविड के इलाज के समय था तो इसका मैंने अनुभव किया | बिना किसी द्वेष भाव के मै स्वयं एलोपेथि , आयुर्वेद एवं होमियोपेथि दवाई का उपयोग करके स्वस्थ होता रहा हू | सभी पेथि को #डॉक्टर को ह्रदय से #प्रणाम |


भारतीय चिकित्सा संघ जितना हल्ला बाबा रामदेव के बयान पर मचा रहा है काश इतना हल्ला डॉक्टरों द्वारा चिकित्सा विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार धांधली पर भी मचाए तो देश की आधुनिक चिकित्सा पद्धति में सुधार हो जाए और वैसे भी आयुर्वेदिक इलाज हमारे देश की प्राचीन पद्धति है जो हमारे घरों तक में विद्यमान है जिसको अन्य देशों ने भी अपनाया है आधुनिक चिकित्सा कितना भी विस्तार कर ले परंतु आयुर्वेदिक पद्धति को चुनौती नहीं दे सकती और हमें ऐसे सभी बाबाओं का आदर सत्कार सम्मान करना चाहिए जिन्होंने हमारे देश की पद्धति को विश्व तक में जिंदा रखा है


अमरत्व का नाम ही आयुर्वेद है
वर्तमान आयुर्वेद की शिक्षा अंग्रेजी
आधारित की जा रही है किंतु आयुर्वेद
के सैकड़ों ग्रन्थ सँस्कृत से सम्बंधित है
और सँस्कृत में औषधियों के स्थानीय
भाषा के नाम है और नाड़ी विज्ञान भी
पूरा ग्रन्थ है रंग रुप शरीर के वस्त्र जिव्हा
आवाज चलने उठने बैठने आँख और हाथ से वैध रोगी की पुरी व्याख्या श्लोक
के माध्यम से कर देते है और अभी भी है ऐसे वैध जिनका मार्गदर्शन सटीक है और उनका अध्ययन औऱ अनुभव निराश रोगियों को बल देता है
वैध वह जो ऋतु अनुसार व्याख्या करता हो नही जो आपको बिना कुछ
बताये आप को क्या होता है बता दे
पथ्य ही औषध है जिस वस्तु के खाने
से रोग पैदा हो उसका त्याग ही औषध है
आपका आभार आदरणीय


जब लेफ्ट पार्टियां वैक्सिंग के ऊपर आओ आरोप लगा रहे थे तब कोई कुछ नहीं बोला बाबा रामदेव ने बोला सब पार्टी सक्रिय हो गई और सब यह देश विरोधी है झंडे की तरह अगर कुछ भी बोला भी है तो इतना हल्ला क्यों करने के लिए किसने बोला होगा तो हम तुम्हारा काम करें और भारत में हुआ करके बाबा रामदेव का सब सही कर रहे हो इसका मतलब तुम्हारे अंदर कोई खामियां हैं तो अपनी खामियां ढूंढें और ऐसे फालतू में चैनलों के बुर्के बार बार अपनी बेइज्जती करवाते हो लोग तो समझ रहे हैं मूर्ख नहीं है कांग्रेस की तारक


ये लूट मचाने वाले एलोपथिक और MNC कंपनीज के मालिक बाबा रामदेव के बढ़ते औद्योगिक कद से चिढ़न और कुढ़न का नतीजा है IMA का ये कदम । बाबा रामदेव ने आयुर्वेद और योग से जटिल बीमारियों का स्थाई इलाज दिलाने में लाखों लोगों की मदद की है डेज़ह विदेश में योग और आयुर्वेद के प्रति जागरूकता एलोपथिक से लोगो को दूर कर रही है क्योंकि लोगो की आपातकालीन जोड़ी संपत्ति को एलोपथिक इलाज करने वाले चुटकियों में उड़ा देते हैं लूट मचाते हैं , मामूली सी बीमारी के महंगे टेस्ट कराकर बीमारी को जटिल बता देते है । फिर शुरू होती है लूट , बीएड के लिए लूट कमीशन भरे मेडिसिन में लूट, पाथोलोजी से भारी कमीशन के कारण लूट और अस्पताल के इलाज में लूट ।आदमी की जान चली जाने के बाद भी उसे जिंदा बताए जाने तक लूट ।
बाबा रामदेव या आयुर्वेद कम से कम इस तरह की लूट तो नही होने देते हैं ।
We support बाबा रामदेव
We support आयुर्वेद
We Support Yoga


कुछ न कुछ स्वास्थ्य विभाग में गड़बड़ है इसलिए यह देश में हड़बड़ी मची हुई है यह जैसे यह आयुर्वेदिक दवाइयां हैं और एक युवक है यह हमेशा अपनाने वाले लोगों को रोगों से मुक्त रखती है यह हमारे भारतवासी भी सही मानते हैं बल्कि जो यह दूसरी दवाइयां है अपनी इस दवाइयों से लोग बीमार भी पड़ सकते हैं स्वस्थ होते हैं फिर भी उन पर भरोसा कम किया जाता है और आयुर्वेदिक ऐसी दवाई हैं जिसको हमेशा अपना नहीं पड़ती है और योग करते रहना चाहिए और जो लोग करते हैं वह बीमार भी बहुत कम होते हैं मेरे दिल और दिमाग की यही बात है किसी को गलत लगे तो आपका छोटा भाई जान के माफ कर देना आप दवाई किसी भी प्रकार की लो परंतु योग है कि ऐसी चीज है आप उसको प्रत्येक दिन अपने जीवन शैली में अपना लो यह तो योग तो करना है करना है


भारतीय नागरिक होने के नाते किसी भी व्यक्ति को सच बोलने का पूरा पूरा अधिकार है आज पूरा देश भली-भांति देख रहा है कि कोरोना महामारी से कितने लोगों की जान गई यह भी बिल्कुल सत्य बात है कि बहुत से लोग अस्पताल में भी अपना दम तोड़ दिए यह भी बिल्कुल सत्य है कि इस कोरोना काल में कितने डॉक्टर के भी जान गए फिर रामदेव बाबा ने कौन सा बात झूठ बोले अगर सच बोलना इस देश में गुनाह है तो फिर रामदेव बाबा गुनेहगार है आज देश का हर एक नागरिक यही मानता है किस करो ना काल में डॉक्टर नर्स मेडिकल स्टाफ पारा मेडिकल स्टाफ अपनी जान को जोखिम में डालकर लोगों का जान बचा रहे हैं यहां डॉक्टरों से कोई शिकायत नहीं है जितने डॉक्टर नागरिकों का जान बचाने में अपना जान गवा है उन सभी डॉक्टर एवं उनके परिवार के प्रति देश का हर एक नागरिक दुखी है लेकिन यह भी कहना गलत नहीं होगा कि एलोपैथ में कोरोना का कोई सटीक इलाज नहीं है इसलिए रामदेव बाबा दोषी नहीं है


खरबों रुपये के साम्राज्य पर इतनी आसानी से #वैद्य_धनवंतरी काबिज हो जाएंगे!!!!

आगे आगे खेल देखिए , बाबा रामदेव को कैसे कैसे परेशान करने वाली ही ये फार्मा लॉबी।

यहां विरोध रामदेव का नही #आयुर्वेद का है, क्योंकि अगर फिर से हिंदुस्तान को #चरक_संहिता की आदत लग गई तो सर्दी बुखार में क्रोसिन की जगह #गिलोय का काढ़ा पीने लगेंगे , चोट मोच में बैंडेज, इंजेक्शन की जगह #हल्दी_ग्वारपाठा बंधने लगेंगे, डायबिटीज में महीने के 10 हजार की दवाई खाने वाले #मेथी #हरसिंगार पत्ते, जौ का आटा खाना शुरू कर देंगे।

पूरा दिन टीवी पर 5000 बार मेडिकल प्रोडक्ट्स का प्रचार करने वाली कम्पनी ऐसा होने देगी क्या????

देश की 60 प्रतिशत कमाई सिर्फ मेडिकल पर लुटा दी जाती है। 2 रुपये की टेबलेट 200 में बेच कर कमाने वाली कंपनियां सड़क पर कटोरा लेकर बैठ जाएंगी, बस इसी एक #डर के वजह से इस #आयुर्वेदिक_फार्मूले की बदनामी की जाएगी, सरकारी तंत्र का इस्तेमाल किया जाएगा, मीडिया को खरीदा जाएगा, मिलार्ड भी बिकेंगे, नेता, संतरी, मंतरी सब की बोली लगेगी, यहां नई कृत्रिम बीमारियां फैलाई जायेगी।

हमे क्या करना है , हमे पता है
सामाजिक दूरी, साफ सफाई, सुबह-शाम गिलोय काढा, रात को #हल्दी_दूध पीजिए। स्वस्थ रहेंगे, मस्त रहेंगे!

जय सनातन, जय आयुर्वेद!!!
*साभार*


चिकित्सा की सभी पद्धति का अपना अपना अलग महत्व है।किसी भी पद्धति को पूर्ण नही माना जा सकता ,न ही उसको नकारा जा सकता है।
मैं बाबा के ऐलोपैथिक पद्धति पर व्यक्तिगत विचारों का समर्थन नही करता।

जिन्होंने वैक्सीन लगवाने और फिर उसकी फोटो फेसबुक पर चिपकाने में क्षण भर की देर नहीं की। वो भी रामदेव द्वारा एलोपैथी को दी गई गालियों के समर्थन में ढोल नगाड़ा बजा रहे हैं। एलोपैथी पर लट्ठ लेकर टूट पड़े हैं।
हद तो यह है कि एलोपैथी वाली वैक्सीन भी एक इम्युनिटी बूस्टर ही है जो कोरोना के आक्रमण पर उसका सफल प्रतिरोध करती है। रामदेव का भी दावा है कि उनकी कोरोनिल भी 100% रिकवरी रेट वाली एक इम्युनिटी बूस्टर ही है। कोरोनिल पिछले साल जुलाई 2020 से पूरे देश में खुले बाजार में बिक भी रही है।
लेकिन रामदेव के एलोपैथी विरोध के समर्थन में आज ढोल नगाड़ा बजा रहे वीरों ने वैक्सीन का इंतिजार बेसब्री से किया और पहला मौका मिलते ही वैक्सीन की डोज लेकर फेसबुक पर फोटो भी चिपका दिया।
जबकि एलोपैथी के खिलाफ लट्ठ भांज रहे रामदेव समर्थकों को तो जुलाई 2020 से मार्च 2021 के मध्य, 9 महीने में तो कोरोनिल की 2-4 डिब्बी हजम खत्म कर के अपनी इम्युनिटी में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि कर लेनी चाहिए थी और महानिकृष्ट चिकित्सा पद्धति एलोपैथी से बनी वैक्सीन की तरफ तो देखना तक नहीं चाहिए था।
यह स्थिति डंका बजा कर बताती है कि जब बात अपनी प्राणरक्षा की हो तो रामदेव के दावों पर कितना विश्वास करते हैं यही समर्थक, यही लठैत।
केवल समर्थक ही नहीं स्वयं रामदेव को भी अपने दावों की जन्नत की हकीकत बहुत अच्छे से मालूम है। इसका बहुत शर्मनाक उदाहरण 25 मई की शाम तब मिल गया जब आजतक के हल्ला बोल कार्यक्रम में IMA के प्रवक्ताओं से जूझ रहे रामदेव से अंजना ओम कश्यप ने पूछ लिया कि आपने वैक्सीन लगवाई.? तो रामदेव का चेहरा देखने लायक हो गया था। अंजना के सवाल का उत्तर हां या ना में देने के बजाए बड़ी चतुराई से सवाल से मुंह छुपाते हुए रामदेव यह कहते हुए एलोपैथी की प्रशंसा करने में जुट गए कि लाइफ सेविंग ड्रग्स के तौर पर, सर्जरी के तौर पर, इमरजेंसी ड्रग्स के तौर पर मेडिकल साइंस ने बहुत प्रगति की है।मेरी समझ में अभी तक यह नहीं आया कि लाइफ सेविंग ड्रग्स, इमरजेंसी ड्रग्स, सर्जरी के अलावा किसी भी चिकित्सा पद्धति का मुख्य काम क्या होता है.?
हालांकि मुझे पूरी उम्मीद थी कि रामदेव छाती ठोंक कर कहेंगे कि नहीं मैंने कोरोनिल ली है मुझे वैक्सीन की कोई जरूरत नहीं है।
और न ही ऐलोपैथिक डाक्टर यह कह सकते हैं कि हमने विभिन्न प्रकार के काड़ा ,जड़ीबूटियों का प्रयोग नही किया,योगा नही किया..
या मरीजों को ऐलोपैथिक दवा के साथ ये सब लेने की सलाह न दी हो


10º नमस्कार साथियों आयुर्वेदिक पद्धति हमारे ऋषि मुनि की देन है पहले यह डॉक्टर नहीं होते थे फिर भी लोगों का इलाज किया जाता था और लोग स्वस्थ होते थे हमारी प्राचीन संस्कृति और इस प्रकार का खुटाघाट नहीं होना चाहिए लेकिन सच्चाई बहुत कड़वी लगती है जनाब एलोपैथिक कितनी धांधली मचा रखी है Nattu UN per Koi fix rate hai ना ही सरकार इसके बारे में सोचती है ₹10 के पैकेट पर दो दो सौ तीन ₹300 लिख दिए जाते हैं हॉस्पिटल में जाते हैं ट्रीटमेंट ₹7 का होता है और लाखों रुपए मरीजों से आठ लिए जाते हैं इन लोगों की इंसानियत खत्म हो चुकी है जिन लोगों ने यह गोरखधंधा बना रखा है इस पर सरकार लगाम क्यों नहीं लगाती जब भी इलेक्शन होता है तो हर सरकार यही कहती है कि भ्रष्टाचार को खत्म कर देंगे यह भ्रष्टाचार नहीं तो क्या है दवाइयों का फिक्स रेट हो परंतु नहीं कर पाते डॉक्टरों का फिजिक्स रेट हो परंतु नहीं हो पाता यह भ्रष्टाचार नहीं तो क्या है हाथी के दांत खाने के कुछ और Dikhane ke Kuchh Aur Hai Janab log Mar rahe hain aur kha Li विश्वास दिलाया जा रहा है करुणा काल में इस मेडिकल सिस्टम की सारी पोल खोल कर रख दी है कि बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया इंसानियत किसी के अंदर रही नहीं बस लूट का सूट मची है जनाब यह सच्चाई है




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