रामदेव के खिलाफ मोर्चा खोलने वाला IMA बल्ब, वॉल पेंट, पंखा, साबुन, तेल प्रमाणित क्यों करता है?

बाबा रामदेव को कठघरे में खड़ा करने वाले IMA की पोल खोली जा रही है, और सवाल बहुत गंभीर हैं. (iChowk से) #IMA #BabaRamdev #Allopathy #Ayurveda

           

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IMA की पोल खुली अच्छी बात है पर यह अभी क्यो अब तक सब क्यो चुप थे।

2019 में केंद्र सरकार द्वारा लागू उपभोक्ता संरक्षण कानून का क्यो नही इस्तेमाल किया जा रहा है।

उपभोक्ता संरक्षण का नया कानून 20 जुलाई से लागूकानून सख्त और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करेगा
मोदी सरकार ने आज यानी सोमवार से उपभोक्ता संरक्षण का नया कानून लागू कर दिया है. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 को 20 जुलाई से अधिसूचना जारी कर लागू कर दिया गया है. यह कानून बेहद सख्त है और उपभोक्ता को ज्यादा ताकत देगा.

नए कानून Consumer Protection Act-2019 ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की जगह ली है. अगर सरकार के दावों की मानें तो अगले 50 साल तक ​ग्राहकों के लिए किसी नए कानून की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस नए कानून के लागू होते ही ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए कई नए नियम लागू हो गए हैं. जो पुराने एक्ट में नहीं थे.

क्या हैं नए कानून की विशेषताएं

नए कानून आने के बाद उपभोक्ता विवादों का समय पर, प्रभावी और त्वरित गति से निपटारा किया जा सकेगा. नए कानून के तहत उपभोक्ता अदालतों के साथ-साथ एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) बनाया गया है.

नए कानून के मुताबिक नकली या जाली या मिलावटी सामान बेचने पर अब दुकानदार को छह महीने से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है और उपभोक्ता को 1 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है. सामान्य मामले में उपभोक्ता को 1 लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है.


1918 में जब स्पेनिश फ्लू आया था जब ऐलोपैथी का इतना विस्तार नहीं हुआ था ओर लोगों के देशी नुस्खे उपयोग करने के कारण ही सवा करोड़ लोगों की मृत्यु हमारे देश में हुयी थी । 1928 मे एलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने पेनिसिलिन का अविष्कार किया ओर तब से आज तक ऐलोपैथी ड्रग्स निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है ओर इसी की वजह से आज मृत्यु हमारे देश में कम हुयी । बाबा रामदेव को करोना को छोड़ उन बच्चों की तरफ ध्यान देना चाहिए जो विभिन्न राज्यों मे एनसिफलाइटिस बिमारी से दवाओं के अभाव में हजारों की संख्या में प्रति वर्ष में मरते हैं ।


आयुर्वेद और एलोपैथी दोनो ही देश को जरूरत है एक बीमार व्यक्ति यदि ठीक हो जाए उससे बड़ा काम और क्या हो सकता है लेकिन
घटना 2019 november की है जब IMA ने एक बल्ब और पेंट बनाने वाली कंपनी को सर्टिफिकेट दिया था की बल्ब से 85 % gems और पेंट से 99% gems खत्म हो जाते है तब IMA पर सवाल उठे थे उनसे पूछा गया था कितने पैसे लेकर ये सर्टिफिकेट दिया है IMA वालो ने आज तक उस फीस के पैसों के बारे मे जानकारी नही दी सोचिये किस प्रकार ये सर्टिफिकेट बाट रहे है कंपनी को


BEFORE

YOU ARE USING CHARCOAL, NEEM BABOOL, SALT, CLOVE FOR YOUR TEET ?
HOW PRIMITIVE YOU ARE. OLD FASHIONED.

NOW.
OUR TOOTHPASTE HAS
BABOOL
NEEM
TOBACCO
SALT
CLOVE
CHARCOAL
SAUF.
ETC
ETC
THIS IS GOOD FOR YOUR TEETH.
THIS IS HOW ALLOPATHY IS SLOWLY HIJECKING AYURVEDA.

The term Autophagy is for cure of body cells system & cancer. It refers no medicines.
For this Japanese researcher got noble price in medicine in 2018
& What does it mean?

FASTING

We have practice of fasting for thousands of years in our culture.
Four Navratris at every 3 months & ashtami, ekadashi, chaudash etc. And all this is a part of natural sciences.
All wearables have its own importance & works as acupuncture or acupressure.
Example
Nose pin
Earrings
Rings
Bangles & bracelates
Anklets payal
Ring in leg
Kamarbandh (belt strap)
Maang tikka
All have acupressure or acupuncture properties.
This is largely missing in allpathy because this is not medicine. & No financial gain for them
That how deeply rooted our aurveda is


Allopathy critical condition me jyada upyogi Hy allopathy Ka mukabla ayurved ya unani kbhi bhi nhi kr skti .....unki dwa km time me effect krti Hy injection bhi bhut julde react krta Hy .....aisi dwa sirf aur sirf allopathy me he Hy aur unani ya ayurved dono ek hi jaisi Hy ..inkp allopathy se mukabla ke liye bhut resurch aur mehnat krna pdega ....sirf sabun manjan se nhi ho jata ...Baba ramdev phle ayurved se apni ankh hi Shi ker le......immunity ki chije ...khmira chvanprash SB Shi Hy pr medicine ke liye deeply resurch krni Hoti Hy labs ho aise nhi Kuch bna ke utar Diya...Corona ki dwa...


किसी ने एक बात नोटिस की???एक साबुन की कम्पनी है सब को नाम पता ही होगा उस साबुन का।।नाम नही लूंगा मैं उसका।।।बड़ा मशहूर नाम है उस साबुन का सब को पता है।।।इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा प्रमाणित।।।।
पर वो साबुन मैंने कभी किसी हॉस्पिटल में किसी डॉक्टर को इस्तेमाल करते हुए नही देखा।।।।यहाँ तक कि उस कम्पनी का सेनिटाइजर भी मैंने कभी किसी डॉक्टर के क्लीनिक या किसी छोटे बड़े हस्पताल में भी नही देखा।।।ऐसा लग रहा है जैसे रेलवे में यूनियन होती है ना जिसने रेलवे को पंगु बना रखा है।।ठीक उसी तरह ये संस्था भी है।।।जिसने मेडिकल लाइन को पंगु बना रखा है


जब अंधे घोड़े को बेचना होता है तो तारीफ उसके पैरों की करी जाती है।

क्या बालकृष्ण या रामदेव के अस्पताल में भर्ती हो जाने से

एलोपैथी के कसाई डॉक्टर दूध के धुले साबित हो जाते हैं !!

तो फिर कोरोनिल खाने वालों के कारण बाबा भी उजले साबित हो जाते हैं !!

बात हर गलत का विरोध है।

न कि पैथी का विरोध !!

लाख बुरे होंगे बाबा रामदेव।

पर न तो वे कसाई हैं। जो मजबूर रोगी से बिना इलाज वाले इलाज का 7 से 40 लाख ले रहें हैं !!

कोई भर्तस्ना करेगा कि क्यों इतना बिल !!

लाख बुरे होंगे बाबा रामदेव !! लेकिन राक्षस नहीं है। गैर उपलब्ध और जान न बचाने वाली रेमडीसीवीर दवा नहीं लिखी।

क्या कोई निंदा करेगा कि जब WHO, ICMR से लेकर तमाम बड़े चिकित्सकों ने इसे जान न बचाने वाली कहा।

तो फिर इसे क्यों लिखा गया !! क्यों लोगों के गहने बिकवा दिए।

कर्जदार बनवा दिया। दिल्ली में तो लड़कियों से जिस्म बेचकर ये दवा खरीदी।

धिक्कार कहिये !!

लाख बुरे होंगे बाबा !! पर पिशाच नहीं है।

ऑनलाइन कंसल्टेंसी के 6,000 से लेकर 50,000 नहीं लिए।

निःशुल्क परामर्श देते आ रहें हैं।

कभी हिम्मत करके उनके भी नाम पर थूक दो, जो ये अमानवीय रकम ऑनलाइन फीस की ले रहें हैं !!

लाख होंगे बाबा खराब !! पर आदमखोर नहीं हैं।

क्यों नहीं अपनी पैथी से उन कसाई डॉक्टरों को निकाला !! क्यों नहीं उनके हॉस्पिटल को सीज करके सरकारी हॉस्पिटल बनाया !!....

जो नकली रेमडीसीवीर इंजेक्शन भी 75,000 रुपयों में लगाकर रक्तपिशाच बने हुए हैं।

दर्जनों न्यूज़ लोग देख चुके हैं !!

लाख होंगे बाबा व्यापारी !! पर कफनखोर नहीं है।

भर्ती रोगी तक समान पहुचाने से लेकर किट के सबसे अलग अलग राशि नहीं वसूला।
एक कि किट पहनकर पूरे वार्ड में घूमने वाले सबसे अलग अलग किट के लाखों वसूल रहें हैं।

जेनेरिक दवा देकर सैकड़ों गुना MRP पर बिल बनता है।

और लाश तब तक नहीं दी जाती जब तक पूरा पेमेंट न हो जाये !!

कभी सोचा कि गिरेबान में झांक लें !!

लाख आंख मारते होंगे बाबा !! लेकिन कभी मरे हुए को जिंदा बताकर बिल नहीं लिया !!

क्या एक भी ऐसा उदाहरण है कि उनको चिकित्सा बिरादरी ने भर्तसना कर उनको कानून के हवाले किया हो !!

लाख मुंहफट होंगे बाबा !! लेकिन कमीशनखोर नहीं हैं !! इनको शर्म।नहीं आती कि हॉस्पिटल में रजिस्ट्रेशन का क्या तुक है !!