1ºहुम् बहुत रोये है तुम भी बहूत रोएगे। हिसाब सब होगा सब्र करो जैसे अपनो को खो कर हमने किया है।परिवार उजाड़ गए सुतियों की रैली खत्म नहीं होती। जब जान जा रही थी तो क्या पेशेंट को मनन की बात सुनाते। क्या किया एक साल का वक़्त मिला था मेडिकल इंफ़्रा ठीक करने के लिए। अगर आज भी सत्ता जाने का डर न हों तो क्या ये कोई काम करते । कालाबाज़ारी और दुर्व्यवस्तान की सारी पोल खोल दी इस महामारी ने। कोई भी आम नागरिक इससे अछूता नहीं है। इन्होंने लाशों का व्यापार किया है और कर रहे है बाकी कितनी सच्चाई है वो सबको मालूम है