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जल या विष … प्रशासन शुद्ध जल उपलब्ध कराने में भी नकाम
जनता की आवाज

नई दिल्ली : डब्ल्यू ए ब्लॉक शकरपुर … एमसीडी का पानी बना अनेक बीमारियों की जड़ ।
"जल ही जीवन" सभी जानते है; परन्तु आज जल किसी विष से कम नहीं है। जहां एक ओर दुनिया प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारी से जूझ रही है वहां दूसरी ओर आम जनता दैनिक जीवन की सबसे अभूतपूर्ण जरूरत की आपूर्ति से जूझ रही है।

इस पानी से भरे गिलास से आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि समस्या कितनी गंभीर है। कोरोना का कहर और दूसरी ओर पेट की अनेकों बीमारियां इस पानी के सेवन से घरों में अपने पैर पसार रही हैं। यह समस्या आज की नहीं है । एक सप्ताह में सिर्फ एक या दो दिन एमसीडी का साफ पानी नलों तक मुहैया कराया जाता है । बाकी पांच दिन इस प्रकार के गंदे और बदबूदार पानी की सप्लाई होती है। ये पानी ना तो पीने योग्य है और न ही इससे कोई अन्य काम किया जा सकता है । अगर इस पानी से कपड़े और बर्तन भी धो लें तो उनमें से भी गटर जैसी बदबू आती है । जिनके घरों में आर. ओ. की सुविधा है; इस पानी के आगे वह भी निरस्त है अर्थात् इतना गंदा और बदबूदार पानी है कि इतनी गर्मी में आप पानी होते हुए भी प्यासे हैं। आम मिडिल क्लास आदमी हो या फिर गरीब आदमी जिसके पास खाने के लिए भी पैसे न हो तो बताइए वह कितना पानी बाजार से मोल लेगा … जरा सोचिए । बड़ों से लेकर बच्चे तक ऐसा पानी जिसे पानी नहीं कहा जा सकता पीने को मजबूर है।

ये समस्या आज की एक दिन या सिर्फ एक जगह की नहीं है । दिल्ली में अनेक स्थानों पर इस प्रकार का पानी नलों तक पहुंचता है और सालों से इस समस्या से आम जनता त्रस्त है परन्तु प्रशासन आंखें मूंदे रहता है। सभी को गद्दी की लालसा है; चुनावी पैंतरों से चुनाव जीता जाता है बाद में सिर्फ नाम के लिए काम को तवज्जो दी जाती है। जनता को अनदेखा करके उन्ही कामों की तरफ जोर दिया जाता है जिससे पार्टी का फायदा या फिर स्वयं की वाहवाही हो ।

एक जागरूक नागरिक की भूमिका अदा करते हुए मैं डॉ नीरू मोहन शकरपुर और दिल्ली के अनेक ऐसे क्षेत्रों के लोगों की ओर से जहां पर इस प्रकार का गंदा और बदबूदार पानी एमसीडी द्वारा उपलब्ध करवाया जा रहा है ; प्रशासन से करबद्ध अनुरोध करती हूं कि कृपया करके आप दिल्ली के ऐसे क्षेत्रों को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने की कृपा करें जहां गंदा पानी एमसीडी द्वारा नलों से घरों तक अनेकों बीमारियां लेकर पहुंच रहा है ।

डॉ नीरू मोहन ' वागीश्वरी '
संस्थापक अध्यक्ष - वागीश्वरी संस्थान रजि. ( एनजीओ)


बहुत से प्रकरणों में पाया गया है कि कोविड मृतकों के शवों से सगे सम्बन्धी क्लेम नही कर रहे हैं। ऐसे शवों के अंतिम संस्कार की उत्तरप्रदेश की सरकार द्वारा व्यवस्था की गई है। परंतु कई बार उनक परिवार वालों द्वारा शव लेने के बाद उसके संस्कार उचित विधि से नही हो रहा है। ये भी एक ऐसा ही प्रकरण है । बलरामपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी ने ये तथ्य प्रमाणित किये हैं :-

सीएमओ ने कहा कि 25 मई को कोरोना संक्रमित होने पर उन्हें संयुक्त जिला अस्पताल के एलटू वार्ड में भर्ती कराया गया था. 28 मई को इलाज के दौरान प्रेमनाथ मिश्र की मृत्यु हो गई थी. कोविड प्रोटोकॉल के तहत उनके शव को अंत्येष्टि स्थल पर उनके रिश्तेदारों को सौंपा गया.
वीडियो के संदर्भ में प्रथम दृष्टतया ये बात सामने आ रही है कि इनके परिजनों द्वारा शव को नदी में गिरा दिया गया है. इस मामले में मुकदमा दर्ज करा दिया गया है. आगे की कार्रवाई की जा रही है.

वहीं इस मसले पर बलरामपुर पुलिस मीडिया सेल ने कहा कि जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा बताया गया कि प्रेमनाथ मिश्र की बलरामपुर कोविड L-2 अस्पताल में इलाज के दौरान 28 मई को मृत्यु हो गई थी. 29 मई को दोपहर करीब 12:30 बजे मृतक के भतीजे संजय को सिसई घाट पर लाकर शव को सुपुर्द किया गया था.

*लेकिन अब वीडियो वायरल होने के बाद एंबुलेंस चालक रामप्रीत भारती की लिखित तहरीर के आधार पर महामारी एक्ट के तहत केस दर्ज कर अभियुक्त संजय तथा मनोज कुमार को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाएगा*

व्यवस्था की खामियां अपनी जगह हैं लेकिन ये सामाजिक संबंधों में बिखराव का उदाहरण है, जिसके लिए उक्त व्यक्ति के परिजन ज्यादा उत्तरदायी हैं।