Covishield लगवाएं या Covaxin..कौन है ज्यादा बेहतर?

Covishield लगवाएं या Covaxin..कौन है ज्यादा बेहतर #Khabardar #RE

           

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असम में कांग्रेस का बहुमत न होने से 2009 में राजस्थान से उपचुनाव में 4 वर्ष के लिए राज्यसभा सदस्य बने 89 वर्षीय मनमोहन की पेंशन वैसे ही बढ़ती जा रही है, जैसे गरीब का बिजली-मीटर बिल। 1991 से सांसद होने पर 25000 रूपये पेंशन तथा 2000 वार्षिक बढ़ोत्तरी अनुसार 24 वर्षों में 48 हजार, कुल 73000 रूपये का तो पहले ही हकदार था, 4 वर्ष के लिए सांसद बनने से 8 हजार और बढ़कर 81 हजार रुपये मासिक पैंशन होगी। मतलब, गरीबों के खून-पसीने की गाढ़ी कमाई द्वारा पेंशन डकारने वाले मनमोहन सरीखे फूलते जा रहे हैं, भूख के मारे गरीबों के पेट चिपकते जा रहे हैं।

वैसे राज्यसभा सदस्यों की विशेष जरूरत नहीं होती। अगर है तो इतनी कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में योग्य मंत्री (जो लोकसभा सदस्य न हों), देशहितैषियों तथा विद्धानों का सम्मान, विभिन्न क्षेत्रों में उच्चकोटि (राष्ट्रपति द्वारा 12 नामांकित) व्यक्ति के अनुभव जानने तथा चुनाव में 5-7% वोटों से कुछेक पराजितों का एक केन्द्र बिंदु (मंच) भी है।

विश्व बैंक पेंशनर मनमोहन को पूर्व प्रधानमंत्री नाते तो पेंशन मिलती ही है, सांसद-वेतन भी। मुझे इससे कोई वास्ता नहीं कि इसकी चहुंमुखी मौज है, दिक्कत यह है कि जब Army Postal Service (APS) के 800 पूर्व सैनिकों को सेना द्वारा पेंशन की मांग की तो इसी मनमोहन ने कहा था "पैसे पेड़ पर नहीं लगते।" कितना हास्यास्पद दूसरा बयान था "देश के प्राकृतिक संसाधनों पर प्रथम अधिकार मुस्लिमों का है।"

मौनधारण करके हर हालात में मुस्कुराते हुए, राज्यसभा भिजवाने वाली इटालियन माईनो निर्देश पर ही मुखर होकर दहशत फैलाने वाले व्यक्त देकर भी अनेकों सुख केवल भारत भूमि में ही हैं। कुटिल मुस्कान तो नेहरू द्वारा भारत की रक्षा तैयारियां दिखाने पर माओत्से-तुंग ने भी दिखाई, जिसने चीन जाते ही युद्ध किया। वैसे ही सैनिकों पर पत्थरबाजी होने, सर काटकर पाकिस्तान ले जाने तथा खरबों रूपये के घोटाले होने पर भी घोटालेबाजों का मन मोहता हुआ मुस्कराता रहता था।

Corona की दूसरी लहर में 50 हजार भारतीयों की मृत्यु का जिम्मेदार यही मनमोहन है, जिसने किसानों को दाल पर दी जाने वाली सब्सिडी खत्म करके कनाडा से आयातित दाल में खालिस्तानीयों को दलाली की छुट दी। मोदीजी द्वारा किसान-हित में दाल आयात पर रोक लगाते ही मनमोहन समर्थक तिलमिलाए खालिस्तानीयों ने लुप्तप्रायः "टिकैत" को मोहरा बना किसान आंदोलन जरिए Corona-प्रसार कराया। दूसरे शब्दों में :-

नेहरू ने विभाजन दौरान 10 लाख हिंदु मरवाये
इंदिरा ने हजारों हिंदुओं की नसबंदी, भ्रुण-हत्या
राजीव ने बड़ा पेड़ बयान से हजारों सिक्खों को
माईनो ने मनमोहन जरिए 10 साल तक सैनिकों के सर कटवा, पत्थरबाजों को छुट, भगवा आतँक दुष्प्रचार तथा रोहिंग्यों को बढ़ावा देकर हिंदुओं में दहशत तो फैलाई ही, अब सत्ताच्युत होने पर पालघर काँड के लिए ठाकरे समर्थन, बंगाल में BJP कार्यकर्ताओं पर हमले के लिए TMC सरकार बनवाने के लिए कांग्रेस का सफाया स्वीकार कर, तथा मोदीजी को बदनाम करने के लिए कांग्रेस शासित तथा समर्थित राज्यों में Corona फैलाने की योजना। सबसे घटिया कुकर्म किसान आंदोलन बहाने कोराना फैलाना रहा, ताकि इटली में भारत से 8 गुणा ज्यादा कोराना को भारत के बराबर करके दुनिया में भारत को बदनाम, इटली को सम्मान मिले। इसलिए माईनो-मनमोहन को सांसद बने रहने का कोई हक नहीं।

आज की जरूरत, चल-फिर नहीं पाने वाले 75+ वर्षीय राज्यसभा सांसदों की सदस्यता समाप्त करके राज्यसभा सांसद-संख्या 245 से घटाकर 135 करने की है, ताकि सुरक्षाबलों पर धन खर्च हो। इसकी शुरूआत मनमोहन की सदस्यता समाप्त करके की जाए। जब APS के सैनिकों को पेंशन लागू नहीं, तो मनमोहन राज्यसभा में क्यों?




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