यूपी में 58 सीटों पर 6 घंटे का मतदान पूरा

यूपी में 58 सीटों पर 6 घंटे का मतदान पूरा #UttarPradeshElections

           

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एक तरफ खरबों रूपयों के घोटाले होने पर भी चुप्पी साधे रहने वाले मनमोहन, दंगेबाज इटालियन माईनो तथा अपने मुख्यमंत्रित्व काल में "हल्ला-बोल" द्वारा जनता में दहशत फैलाने वाले मुलायम (त्रिगुटे) को मामूली over doze होने पर डॉक्टरों में सनसनी फैल जाती है कि, कुछ होने से न जाने कितने जाँच आयोगों को जवाब देना होगा, तो दूसरी ओर मुझसे न त्रिगुट को कोई मतलब, न BJP सांसदों को। उसी का नतीजा है कि मुझे 3 जगहों रहने पर ₹10 हजार किराया खर्चने के बावजूद शर्णार्थी से बदतर जीवन बिताना पड़ रहा है।

कऐक लूटेरे हिंदुओं और नकली दाढ़ी लगाए खालिस्तानी को तब तक चैन नहीं पड़ता, जब तक उनसे दुखी होकर मेरे जैसा मेहनती हिंदू गिड़गिड़ाने न लग जाए। लूटेरों-पापियों से बचने का भरपूर प्रयास करने के बावजूद किसी मजबूरी या दुष्टों के कई सहयोगी होने से मेहनती बच नहीं पाने पर परेशान करने वाले लूटेरों को अपार आनंद अनुभूति होती है। पुलिस और कोर्ट को मालूम होते हुए भी सब-कुछ गवाहों की बिनाह पर होने के कारण सच का साथ नहीं दे पाते। कभी सच की जीत हो भी गई तो इंदिरा, राजीव जैसे सत्ता नशे में मदमस्तों ‌द्वारा कोर्ट का निर्णय ही बदल दिया जाता है। दुनिया के समस्त कुंए भर सकते हैं लेकिन घोटालेबाज नेता या रिश्वतखोरे अफसर के वरदहस्त का पेट फट तो सकता है, भर नहीं सकता।

मैंने त्रिगुट का क्या बिगाड़ा जो उनके कारण JB-II कांड के तहत आज बेघर की पीड़ा का दंश झेल रहा हूं? क्या 3ओं यही चाहते हैं कि वर्षों की कड़ी मेहनत से आशियाना बनाने के बाद देशहित में कहीं जाते ही कांग्रेस-सपाई लूटेरे, भ्रष्ट नेताओं के नाम पर मेहनती के घरोंदे के मालिक बन बैठें? क्या तीनों के दिमाग में यह भरा है कि धन या अर्गलन प्रलाप के झांसे में आकर जनता उनको फिर से सत्तारूढ़ करके घोटाले की छूट देगी?

मेरा त्रिगुटे को सुझाव है कि देश को लूटने का विचार दिमाग से निकालकर मुझे मेरे Jhansi के Banina के मकान के ऐवज में माइनो ₹24.9 लाख हर्जाना तथा मुलायम 4 महीने की मुख्यमंत्री पद की तनख्वाह दे। वर्ना मैं ऐसा कड़वा करेला हूँ कि पहले तो ताला तोड़ने वाला मरा, फिर माईनो-मुलायम को बेनकाब करके उनकी रातों की नींद में बारम्बार आकर कहा कि देश को भ्रष्टों की जरूरत नहीं।

आखिरकार तीनों ने वेतन किस बात का लिया? अगर इनसे इतना काम भी नहीं होता कि पुलिस अधीक्षकों को कहें कि ताला तोड़ने वालों को ढंग से समझा दें, तो संसद में तो क्या, ये पंचायत में बैठने लायक भी नहीं। इनके एक तरफ "देश के प्राकृतिक संसाधनों पर मुसलमानों का पहला अधिकार" संबंधी व्यक्त तो दूसरी ओर सैनिकों को पत्थरबाजों पर पलटवार न करने के निर्देश-स्वरूप पाकिस्तानियों द्वारा सैनिकों के सर काटकर ले जाने से 2008 में 153 सैनिकों ने suicide किया। इसलिए इस त्रिगुट के सहयोगी ठाकरे को चाहिए कि शिवसेना का नाम बदलकर "श्मशान सेना" रखे।

यद्यपि सांसदों को सैनिकों से कोई लेना-देना नहीं होता, फिर भी मेरा सुझाव है कि मेरे मकान का निपटारा करें। यह तो दुश्मन देशों और आतंकवाद का खतरा है, जिससे कोई घटना होते ही तत्काल सेना याद आती है, वर्ना सांसद क्या जानें मुझ जैसे आतंकग्रस्त क्षेत्र में तैनात रहे सैनिक की तकलीफ?