सैफई से जुड़ाव तो मिलेगा अखिलेश को फायदा?

सैफई से जुड़ाव तो मिलेगा अखिलेश को फायदा? #UttarPradeshElections2022 #Karhal #Sarkar | Sweta Singh

           

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उत्तर प्रदेश में 70% हिंदु आबादी में 70% हिंदु भी BJP समर्थक हैं तो 70×70= 49% सीटों अनुसार 403× 49 =197 सीटें तो देशहितैषी पार्टी तथा मोदी-योगी के बेहतर कार्यों के कारण स्वतः मिलेंगी। भाजपाइये मामूली मेहनत भी करें तो 10 सीट बढ़ने से पूर्ण बहुमत मिल जायेगा, लेकिन मोदी-योगी होते भाजपाइये मेहनत क्यों करें? कई तो मरा चूहा मारकर 30 मारखाँ बनते हैं। दूसरी तरफ :-

धुँआधार-प्रचार करना समस्त विपक्ष की मजबूरी भी है तो, घोटालों की कमाई अपने चाटूकारों पर खर्चने का विपक्ष के पास शुभ अवसर भी। हर तरह के हथकंडे अपनाकर शेष बची 206 सीटों में 95% भी मिलने से विपक्ष को 195 सीटें मिल सकती हैं। 11 में 5 सीटें मेरे जैसों को मिलने पर डॉक्टर श्यामाप्रसाद मुखर्जी तथा दीनदयाल उपाध्याय जैसे देशभक्तों द्वारा गठित देशहितैषी पार्टी जनसंघ (अब BJP) का समर्थन करना मेरे जैसों की मजबूरी होने से योगी आदित्यनाथ ही मुख्यमंत्री बनेंगे। बाकी बची 5-6 सीटों वाले टटपुँजियों के जरिए विपक्ष उछलकूद तो बहुत करेगा, लेकिन मेरे जैसों के लिए "राष्ट्र-प्रथम।" इससे भी दीगर :-

मेरा निर्देश पालन करते ही भाजपाईयों का भाग्य जगमग करने लगेगा, तथा देशभर में BJP के 1% वोट बढ़कर (1 से अनेक तर्ज पर) 1-1 की जगह 11% से भी अधिक सीटें बढ़ते ही उत्तर प्रदेश में भाजपा को 197 की जगह 297, तो पंजाब में 70% बहुमत मिलेगा। मुझ पूर्व सैनिक के सामने पूर्व सैनिक अन्ना हजारे के वरदहस्त केजरीवाल का मुफ्त बिजली-पानी का शगुफा फुस्स हो जायेगा, तो टिकैत भी टिक कर बैठने को मजबूर होगा।

जितना फर्क A तथा B में है, उतना ही अंतर A A P और B J P में। आम आदमी का मतलब, जिसे मिले केवल उसी का भला, तो भारतीय जनता का मतलब समस्त भारतीय नागरिकों की आंतरिक तथा बाह्य सुरक्षा प्रथम !

लेकिन जहाँ Arvind Kejriwal (AK) से कोई भी सरेराह (रास्ता चलते) मिल सकता है, वहीं भाजपा Supreme मोदीजी से मिलने से पहले कई लोकसभा- राज्यसभा सदस्यों के अलावा अनेक मुख्यमंत्री तथा नेताओं के होते तत्काल मिलना मुश्किल। क्षणिक आराम देने वाली सरदर्द दवा बगल में मिलने से स्थाई तथा उच्चकोटि इलाज हेतु विदेश जाना सब के वश में नहीं।

यह ठीक है कि मोदीजी की बराबरी कई AK नहीं कर सकते, लेकिन यह भी सच है कि AK से कनिष्ठ भाजपाईयों का दिमाग 7वें आसमान पर रहता है। भले ही AK को देश से कुछ लेना-देना नहीं, लेकिन अपने वोट बैंकधारी पीड़ितों का दर्द तो 2 मिनट में दूर कर ही देता है, भाजपा में सुनने वाला कोई नहीं। AK ने सभी कार्यकर्ताओं को क्षमता के आधार पर कहीं न कहीं बसाकर रोजगार दिया, तो BJP को मेरे जैसों की जरूरत ही नहीं। राष्ट्र हितैषी मामलों में देश की सर्वश्रेष्ठ पार्टी नाते जनता को BJP चाहिए। यही कारण है कि कार्यकर्ता गौण, 70% भाजपा सांसद मदमस्त के अलावा सत्ता नशे में चूर।

जहाँ AK के कार्यकर्ता कहीं टिकाऊ नहीं हो पाते, उन्हें बीच -बीच में कोई न कोई तरीक़े द्वारा सरकारी खजाने से भुगतान करता है, वहीं दूसरी ओर 1971 से मैंं ऐसा जनसंघ (1980 में BJP) समर्थक रहा कि 1977 में HN बहुगुणा तो कई बार वाजपेयी जी ने लोकसभा की शोभा बढ़ाई। मैंने किसे वोट दिया, मर्जी मेरी। लेकिन 1977 से 2017 (40 वर्ष) तक निशातगंज लखनऊ वोटर रहा। हो सकता है मैंं भाजपा विरोधी रहा हूँगा, लेकिन इतना तो सत्य है कि 35 वर्ष सेना सेवारत होने से सेना की पेंशन अगर 01 फरवरी 2022 को बजट दौरान Army Postal Service (APS) के 800 पूर्व सैनिकों को लागू कर दी होती, तो मेरे मकान बनने की शुरुआत होने से नकली दाढ़ी लगाए खालिस्तानी मेंं इतना दम नहीं होता कि मेरी साईकिल से बार-बार हवा निकलवा पाता।