हिजाब को लेकर हंगामा है बरपा! #हल्ला_बोल #ATLivestream

हिजाब को लेकर हंगामा है बरपा! #हल्ला_बोल #ATLivestream Anjana Om Kashyap

           

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विमर्श (हिजाब)

गलत सवाल का सही जवाब चाहे जो भी हो, दरअसल वह गलत ही होता है.....

यूनिफार्म की हिंदी होती है गणवेश. कोई वेश अगर गणवेश बन जाये तो उसमें स्वाभाविकता क्या रही?

पोशाक के बारे में संहिता बनाना और यूनिफॉर्म के रूप में लागू करने का मतलब है, समय के किसी खास मुकाम पर जिस तर्ज की पोशाक को आम-फहम माना जा रहा है, लोगों से उसे अपनाने को कहा जा रहा है.

समाज का जो सांस्कृतिक-समूह अपनी औकात में बढ़ा-चढ़ा होता है वही तय करता है कि किस चीज को आम-फहम माना जायेगा और किसी चीज को नहीं.

यूनिफॉर्म को अनिवार्य बना देने से समानता और न्याय की स्थापना नहीं हो जाती. जिन चीजों को सहज-सामान्य माना और बताया जा रहा है, उन्हें लगातार परखने और सुधारने की जरूरत होती है ऐसा अक्सर ही किया जाना चाहिए.

यूनिफॉर्म को अनिवार्य बना देने से समानता और न्याय की स्थापना नहीं हो जाती......

जिन चीजों को सहज-सामान्य माना और बताया जा रहा है, उन्हें लगातार परखने और सुधारने की जरूरत होती हैं... ऐसा अक्सर ही किया जाना चाहिए. वे ऐसा भी कर रही थी...

अभी कुछ समय पहले तक स्कर्ट नर्सों का यूनिफार्म हुआ करता था. फिर नर्सों ने इसका प्रतिकार किया और उनके कहे के मुताबिक सलवार-कमीज को नर्सों का यूनिफार्म बनाया गया...

कर्नाटक के स्कूल-कॉलेज के यूनिफॉर्म को लेकर जारी मौजूदा विवाद का रिश्ता इसी बात से है.

इस विवाद को ऐसे फरमान के सहारे नहीं सुलझाया जा सकता कि फलां पोशाक तो पिच्छलपैरी रिवायत का नमूना है. ना ही, इसे धार्मिक अभिव्यक्ति की असीमित स्वतंत्रता के तर्क से ही सुलझाया जा सकता है.....

लेकिन आज की तारीख का असल सवाल ये नहीं है. सवाल हिजाब के गुण-दोष के बारे में नहीं बल्कि इस बारे में है कि हिजाब कौन पहने और कहां पहने...

यह तय कौन कर रहा है ?

क्या बहुसंख्यक समुदाय ये मांग कर सकता है कि जो-जो चीजें उसे सहज-सामान्य लगती हैं, वह समाज के शेष समुदायों पर भी थोप दी जानी चाहिए ?

क्या शिक्षा के संस्थानों को पहले से चले आ रहे रीत-नीत को एकतरफा अपनी तरफ से बदल देना चाहिए...... ?

क्या सियासी तौर पर जो तबका बहुसंख्यक है वह धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक तबके के अधिकारों को कुचल दे?

बात इससे भी ज्यादा बुरी हो चली है सो पूछा जाना चाहिए कि क्या सड़कछाप हुड़दंगियों और उनके सियासी आकाओं को यह अधिकार दे दिया जाये कि वे ही तय करें कि कौन क्या पहने और क्या नहीं ?

इसलिए गलत सवाल का सही जवाब चाहे जितना भी सही हो, अपनी अंतिम परिणति में गलत ही होता है.


Shamshan-Kabrastaan, Kapdon sey Pehchaan, 80:20 ! India kahaan aa gaya ???

When Owaisi talks about Systemic Injustice against Indian Muslims, it is "HATE Speech". When Dharma Sansad(S) call for genocide against Indian Muslims that is “SOFT Speech” of a “Fringe” element.

Yati Narsinghanand got bail. Teni (who crushed 8 under his car) got bail. Terrorists Shubham & Sachin, who shot Owaisi, shall get bail too, after 2 weeks. !

RSS has become India's DEEP STATE

Riots destroyed Muslim Elite.. Riots do not happen – they are executed with precision in areas where Muslims are well off, to break their “Economic” Back.

Support Owaisi. He is genuine.