कुमार विश्वास के आरोपों पर सियासी घमासान

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मुख्यमंत्री बनाने के अहसास तले दबे चन्नी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का रास्ता रूकवाने के बाद दूसरा कुकर्म उत्तर प्रदेश तथा बिहार वासियों के खिलाफ बयानबाज़ी देकर वैसे ही चुकाया, जिस तरह मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री बनाने का अहसान चुकाने के लिए 2 खतरनाक बयान दिये कि "देश के संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का" तथा दूसरा "पैसे पेड़ पर नहीं उगते।" जिस प्रकार मनमोहन के बयानों के कारण लोकसभा में विपक्षी दल के नेता पद के लिए 8 साल से कांग्रेस तरस रही है, उसी तरह चन्नी की करतुतों के कारण पंजाब में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के अलावा UP में BJP के 1% वोट बढ़ने से 320 सीटों से बढ़कर 340 सीटें मिलने के आसार हो गए।

इससे भी इतर, कई विपक्षियों को उसी तरह जमानत जब्त का दंश झेलना पड़ेगा, जिस प्रकार UPA शासनकाल दौरान आतंकग्रस्त क्षेत्र में मेरी तैनाती दौरान मेरे मकान का ताला तोड़़कर सारा सामान हड़पने से मैं बेघर का दंश झेल रहा हूं। इटालियन माइनो को पालघर में साधुओं पर हमले कराने, CAA कानून बहाने दिल्ली में दंगे कराने तथा देशद्रोही बयानबाज़ी करवाने के अलावा कुछ नहीं सुझता। माइनो की 2 उपलब्धियों में पहली :-

संजय गांधी की मृत्यु उपरांत मेनका गांधी को इंदिरा गांधी द्वारा उस अवस्था में घर से निकलवाना रही, जब्कि वरूण गांधी को बुखार था, तो दूसरी ताकत राजीव गांधी को बहकाकर बयान दिलाया कि "बड़ा पेड़ गिरा है, धरती हिलनी चाहिए," जिससे शांत हो रहे दंगे फिर से भड़कने से हजारों सिक्खों की नस्लकुशी हुई। ऐसे ही पहलवान दारासिंह के पौत्र मीका सिंह द्वारा सार्वजनिक स्थल पर चुम्बन लेने पर राखी सावंत सुर्खियों में ऐसी छाई कि हर अश्लिल दृश्य में जानबूझकर दिखती है।

प्रतिभावान वैज्ञानिक एलबर्ट आइंस्टीन 4 वर्ष बोल और 7 साल उम्र तक पढ़ नहीं पाये, जिससे उन्हें स्कूल से निकाल दिया और ज़्यूरिच पॉलिटेक्निक ने दाखिला देने से इंकार कर दिया। इनके बावजूद वे भौतिक विज्ञान में सर्वश्रेष्ठ साबित होकर अमेरिका और इजराइल के ऐसे चहेते बने कि स्वैच्छा से जब चाहते, आयुपर्यन्त इजरायल के राष्ट्रपति रह सकते थे।

मैं खालिस्तानियों द्वारा कुकर्मों के अंदेशे बारम्बार बताता हूं, लेकिन मुफ्त-सलाह का सम्मान नहीं होने का दुख नहीं, लेकिन देशहित तथा जनता की पीड़ा पर तो ध्यान देना चाहिए। विदेशी या रसूखदार सलाहकार का सम्मान होता है। मैं आइंस्टान जैसा तो नहीं, लेकिन किसी क्षेत्र में तो विशेष जानकारी रखता हूँ। कहीं नेताओं का महत्व कम न हो जाये, इसलिए मेरी सलाह का लाभ नहीं लिया। अनेकों बार बताया कि सेनानिवृत्तों को नकोदर चौक जालंधर में विदेश भेजने के नाम पर लूटा जाता है। मेरे वर्णांत पर ध्यान देने से चन्नी-केजरीवाल इत्यादि में दम नहीं जो जमानत जब्त होने से बच सकें।

गद्दारों को सुधारने वाले मेरे जैसे मेहनती हिंदु को कऐक लूटेरे हिंदू तथा नकली दाढ़ी लगाए खालिस्तानी पहले ही इतना व्यथित कर देते हैं कि, देशहित में कुछ करने से मेहनती भयभीत रहता है कि प्रतिष्ठा बटोरने लूटेरे-पापी आ टपकेंगे, लेकिन कहीं नुकसान हुआ तो मेहनती का सब-कुछ लूटकर गूलाम बनायेंगे। लूटेरों-खालिस्तानी में इतना दम नहीं, जो गद्दारों को सुधार सकें। मेहनती सुधार सकता है, लेकिन उसी को लूटते हैं। जिस दिन लूटेरे-खालिस्तानी मेहनतीयों को लूटना बंद कर देंगे, भारत की सभी समस्याएं स्वतः खत्म हो जायेगी।




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