Kanpur: वोट डालने के बाद टैटू बनवाने का था इंतजाम... पोलिंग पर पहुंच गए इतने युवा और महिलाएं

कानपुर में एक आदर्श पोलिंग बूथ पर युवाओं में जागरूकता लाने के लिए टैटू बनवाने का इंतज़ाम किया गया था #Kanpur #Tattoo #AssemblyElections2022

           

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होली इत्यादि पर्व वह मेहनती हिंदू मना सकता है जो लुटेरे हिंदुओं द्वारा मकान का ताला तोड़कर बेघर होने से बचकर नकली दाढ़ी लगाए खालिस्तानी से अपना TV, Cooler और साइकिल बचा सके, तथा शान-शौकत से वो मनाते हैं, जो मेरे जैसे अकेले मेहनती का घर लूट सकें।

मेहनती हिन्दू मतदान करने पर लूटेरे तथा खालिस्तानी टांग जरूर अड़ायेंगे। मतदान हेतु जाने पर एक तरफ लूटेरों तो दूसरी ओर खालिस्तानी से टक्कर लेने पर मुझे उतनी दिक्कत नहीं होती, जितनी मेरी मृत्यु के बाद लूटेरों-खालिस्तानियों द्वारा अक्टूबर तक मेरी पेंशन हड़पने से।

गुरु गोबिंद सिंह जी अपने तीरों पर स्वर्ण लगाते थे, ताकि मृत्यु उपरांत स्वर्ण से दुश्मन का दाह संस्कार करने में आसानी रहे। वैसे ही मैं चाहता हूं कि मेरी मृत्यु होने पर मेरे खाते में जमा ₹30 हजार उस इंसान को दिया जाए, जो मेरा दाह संस्कार करना इसलिए सौभाग्य माने कि जिस पूर्व सैनिक को लूटेरों तथा खालिस्तानी ने बेघर बनाया, उसके लिए भारत भूमि में कोई तो है। वैसे सांसदों पर मुझे विश्वास नहीं, क्योंकि 30 हजार रूपए से सांसदों की एक दिन की चाय पकौड़ी का खर्च निकलेगा।

कारगिल युद्ध, आतंकग्रस्त, दूरदराज तथा बर्फीले क्षेत्र में तैनाती दौरान मिली पीड़ाओं के कारण वर्षों बीत गए, मैं त्यौहार मनाना तो क्या, भगवा-वस्त्र तक नहीं पहन पाता, लेकिन विषम परिस्थितियों में भी 1997 में माँ वैष्णों देवी तथा बाबा बर्फानी के दर्शन करने का सौभाग्य मिल चुका।

आज मेरा शुगर लेवल 497° होने के अलावा बेघर का दंश झेलने से मुझे इस समय कितनी पीड़ा हो रही, इसका अहसास BJPईयों को क्या मालूम?

5ओं राज्यों में भाजपा सरकार गठन होने पर BJPईये अगले महीने दोहरी होली मनायेंगे, विधानसभा चुनाव विजय की खुशी से भी, होली उत्सव दौरान भी। लेकिन मैं मृत्युशैया पर पड़ा कराह रहा हूंगा, या संभवतः होली तक मेरी मृत्यु हो जाए। यद्यपि शूगर तथा गैस्ट्रिक के कारण भयंकर दिक्कत झेल रहा हूं, लेकिन मुझे किसी डॉक्टर की जरूरत नहीं।

मुझमें दम होगा तो बिना दवा खाए अपना ईलाज करने के अलावा इटालियन माइनो-मनमोहन-मुलायम (त्रिगुटे) से UPA शासनकाल दौरान मेरी आतंकग्रस्त क्षेत्र में तैनानी होने पर लूटेरे हिंदुओं द्वारा Jhansi में Babina के मकान का ताला तोड़़कर बेघर बनाने के ऐवज में हर्जाना वसूलकर मकान बनाऊंगा या होली वाले दिन किसी BJPईये द्वारा होली की बधाई देने पर त्रिगुटे से ज्यादा मोदी-योगी को बेघर का जिम्मेदार होने के प्रवचन सुनाऊंगा। आखिर मोदी प्रधानमंत्री बना ही क्यों? जब देश के एक पूर्व सैनिक के मकान का निपटारा 8 वर्ष में नहीं कर सका तो, कांग्रेस-भाजपा में फर्क क्या?

मेहनती हिन्दू का कोई नहीं,
ना BJPईये, न दोस्त-रिश्तेदार-कुटुंब सदस्य-सगा भाई।
"भरोसा कर लिया जिस पर,
उसी ने मुझको लूटा है।" इसलिए अब मुझे न भगवान की जरूरत, न इंसान की। मृत्यु से 10 मिनट पहले अहसास होते ही सुखी झाड़ियों के ढ़ेर के बीच माचिस तीली जलाकर हिन्दू रीति-रिवाज से अपना दाह संस्कार खुद ही कर लूंगा। लेकिन प्रकृति नियमानुसार भगवान कोई एक इच्छा जानना चाहेगा तो जिस तरह मेरा शूगर लेवल 497° है, वैसे ही मुझे बर्बादी के कगार तक लाने वाले लूटेरे हिंदुओं तथा खालिस्तानी के लिए 597° करने की इच्छा बताऊंगा। मेरी बात मानना भगवान की मजबूरी होगी, क्योंकि मैंने कुछ नहीं मांगा, वह खुद मेरे पास आया।

26 जुलाई 2019 से मैं साइकिल नहीं चला पाया। इससे इतर कूलर न होने से 2020 में गैस्ट्रिक के कारण ऐसा बीमार हुआ कि 20 कदम बमुश्किल चलते ही चक्कर आने लगते। वैसी ही हालत पिछले वर्ष सितंबर तक उमस-भरी (चिपचिपी) गर्मी होने से रही।

लूटेरे हिंदू दोहरा पुण्य कमाने के चक्कर में सगे भाई तक को निक्कमा बना देते हैं।




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