1ºसाइकिल को समझें तब इसके खिलाफ बोलें।।
साइकिल की सवारी,
सबसे न्यारी।।
न पेट्रोल की जरूरत,
न डीजल की जरूरत,
पैरों से चलती है,
घुटनों को मजबूत करती है,
व्यायाम पूरा करती है,
बढ़ी चर्बी को नष्ट करती है।
बीमारियां अनेक दूर करती है।
न जाम का झंझट,
न पुलिस की चेकिंग का डर,
चलाओगे जितना इसे,
उतना ही अधिक बढ़ेगा दम,
आओ साइकिल चलाने की,
आदत बनाएं हम।।
रस्ता कच्चा हो या पक्का,
मंजिल तक पहुंचाएगी।
चलाओगे जब इसे,
तो कैंची की फिर,
डंडे पर बैठकर सीखने की,
बचपन की याद दिलाएगी।
जब पहली बार पिता ने
दिलाई थी साइकिल,
इतनी खुशी मिली थी,
कि जहां में इससे अच्छी,
और कोई चीज नहीं।।
आज बड़ी कार भी,
उतनी खुशी नहीं देती,
जितनी बचपन में,
साइकिल देती थी।।
साइकिल की सवारी,
सबसे न्यारी।
सब पे भारी।।
विनोद किशन
एटा।।