1ºतन ढकने की आड मे ये मन मे बसी कुंठा है
शर्म हया तन ढकने से नही नजरो और विचारो मे होनी चाहिये
हिजाब ओडने से क्या होगा धर्म शर्म हया गैरत की बात करते हो तब शौहर तलाक तलाक कह कर घर से निकाल देता है या सुलह होने पर हलाला के लिये किसी गैर मर्द से निकाह करवा देता है तब हिजाब कहा रह जाता है जब शर्म हया धर्म सब कुछ कहा रह जाते है इसलिये ये राजनीतिक शिकार बन ने की बजाय अपने आप के बारे मे सोचिये सोच बदलेगे तो सब कुछ अच्छा लगेगा वरना यू ही वोट बैंक बनकर रहोगे