बुलडोज़र अब सांप्रदायिक हो गया!

बुलडोज़र अब सांप्रदायिक हो गया! #ATVertical #Jahangirpuri #HallaBol

           

https://www.facebook.com/aajtak/posts/10162523487967580

अंजना कश्यप जी अगर आप मेरी बात सुन रही हो मंदिर से शासन को इनकम होता है मंदा सरकार की धरोहर है उससे लाखों रुपए करो प्रशासन को फायदा होता है जबकि शासन उसकी गांव वाले पंडित की तनख्वाह गांव वाले देते हैं कोई शासक नहीं देता बताइए मस्जिद की इनकम शासन को नहीं होती है फिर भी शासन उनको तनख्वाह देती है यह संविधान के खिलाफ गलत है अशासकीय है तू मस्जिद की शासकीय होना चाहिए कानून एक बराबर होना चाहिए यह संविधान के खिलाफ है यह तो बगावत है वह जनता को भड़काने का काम पत्रकार और शासन कर रहे हैं


*कुटाई ही दवा है*

एक मोहल्ले में रज्जन चच्चा रहा करते थे...!!! चच्चा चरसी थे और अक्सर ही उनका किसी न किसी से झगड़ा हो जाया करता था। चच्चा के मुक़ाबिले चच्ची बहुत समझदार टाइप की थीं। वो हमेशा चच्चा को समझाती रहती थीं और मोहल्ले वालों को भी...उनके नशेड़ी होने की दुहाई देतीं और बतातीं कि किस तरह चच्चा अपने ही रिश्तेदारों के हाथों ज़मीन-जायदाद का मुक़दमा हार कर नशे की लत लगा बैठे हैं, अतः उन पर तरस किया जाए। जब कभी चच्चा किसी से मारपीट कर बैठते तो चच्ची दौड़ कर झगड़ा रुकवातीं और चच्चा को समझा-बुझा कर घर ले जातीं। अगले दिन चच्चा फिर किसी को मार बैठते...!!!

धीरे-धीरे मोहल्ले वालों को एक बात साफ़ हुई कि चच्चा जब भी किसी से मारपीट करते हैं तो चच्ची बीचबचाव के दौरान हमेशा सामने वाले को पकड़ लेती थीं, उससे लिपट जाया करती हैं और समझाने लगती हैं। इस का फ़ायदा उठा कर चच्चा न सिर्फ सामने वाले को दो घूंसे और जड़ देते हैं (क्यूंकि वो तो चच्ची के पकड़ने-लिपटने से बंधा हुआ होता), बल्कि मार कर मौके से ग़ायब भी हो जाया करते हैं। फ़िर शुरू होता चच्ची का रोना, पीटना, समझाने का दौर। फिर यही पैटर्न हर बार नज़र आने लगा।

एक दिन ऐसे ही एक झगड़े के दौरान सामने वाले ने समझाने, लिपटने, चिपटने का प्रयास कर रही चच्ची को ही ठीक से कूट दिया।

अगली बार जब चच्चा लड़े तो चच्ची प्रकट नहीं हुईं, चच्चा भी अच्छे से कूटे गए...!!!

उस दिन के बाद मोहल्ले में शांति हो गयी...चच्चा कितना भी नशे में होते, किसी से उलझते नहीं थे...!!

वर्तमान में कुछ लिबरल/मीडियाकर्मी और राजनेता वही चच्ची का किरदार निभा रहे हैं। आतंक या दहशतगर्दी की किसी घटना के होते ही ये पहले तो आतंकवादी की मजबूरिये-हालात बताने लगते हैं, उसके आतंकवादी बनने में सरकार और समाज का कितना दोष है समझाने लगते हैं, और...फिर अपने वाक्जाल से मुल्क को ऐसा बांधते हैं की लोगों को आतंक की जड़ में खुद अपनी ग़लती समझ में आने लगती है। उधर आतंकवादी अपना अगला निशाना तय कर रहे होते हैं...!!!

कुल मिला कर चच्ची के पिटे बगैर चच्चा के सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है...!!!


Desh k tamam students aap education q le rahe hain zara gaur kijia ,aise topikon me aap hissa lekar apna qeemti waqt mat barbaad kijia , aapki taali waise logon ki hausla afzai hai hai jo desh ko hindu muslim kar k nafrat paros rahi hai. Aapko job lekar tax pay kar k desh ko aage barhana chahia, students kavi aaplog us program k participants, anchor se v salary pooch lijia jab o log apni salary batadenge tab aapko ehsaas hoga k aap kitne kam hain unke saamne, bina job, bina rupiya k kitna aage barhega ye desh zara socho koi v saman free me kabtak milega ya koi q dega aapko khud se kamana hoga apni zarurat ko pura karne k liye


Why Ms Brinda Karat is silent on repeated attacks on ISCON Tample and other Tamples in Bangladesh? Appeasement will not bring left to power for decades. All now know left has opportunist policy to woo voters of a section of people by fooling them.
Left was in power in WB for long 32 years, what material changes they brought in standard of living of minority brothers and sisters here. What is the number of employment given to our minority brothers and sisters here. Don't fall prey to these leaders by their crocodile's tears. They are not for humanity my friends they are frantically trying to increase their vote share to come to power and then again play with u for decades.




+