तौकीर रजा के बयान पर भड़के यूपी सरकार के मंत्री, कहा- ऐसी कार्रवाई होगी सात पुश्तें याद रखेंगी

तौकीर रजा के बयान पर यूपी सरकार के मंत्री ने दी कड़ी प्रतिक्रिया #Kanpur (रंजय सिंह)

           

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अजीब विडंबना है कि धनाढ्य शराबी टल्ली होकर खुद तो जूते पहने हुए चारपाई पर पड़ा रहेगा, लेकिन अपने से गरीब हिन्दू को बुलाकर प्रवचन झाड़ेगा कि जूते-चप्पल कमरे के बाहर निकाल कर ही आना।

इससे भी इतर है कि शराबी के डेरे पर शराब तो आदर सहित मुफ्त मिलेगी, लेकिन एक गिलास पानी मांगने पर प्रवचन झाड़ेगा कि RO पानी 10 रूपए का 13 लीटर होने से कहीं 4 गिलास पी लिया तो बजट गड़बड़ा जायेगा। डेरे पर जाना गरीब की मजबूरी होती है, वर्ना 10 आदमियों के सामने प्रवचन कि इस बेघर में इतना घमंड कि प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने तक नहीं आया।

राक्षस की गुलामी से भी खतरनाक नशा-रूपी राक्षस की गुलामी होती है, क्योंकि मौका मिलने पर राक्षस से छुटकारा पाया जा सकता है या राक्षस मर भी सकता है, लेकिन नशा सदैव इंसान के साथ रहकर नशा-पुर्ती न होने तक कुदेरता रहता है।

कई बार इतना स्वच्छ माहौल होता है कि न एक भी मच्छर-मख्खी, न सर्द-गर्म, तथा पर्याप्त समय होने के साथ नींद भी बेहतर आ रही होती है, लेकिन उस समय एक चाय पीने से "गुड़ का गोबर" बनकर नींद रूपी सुख वैसे ही चौपट हो जाता है, जैसे रेहड़ी पर 2-4 मुफ्त मूंगफली लोभ में एक मिनट देरी होने पर रेल छुटने से reserve शयनयान की बजाए दूसरी रेल में लटककर यात्रा करनी पड़े।

वैसे ही दिन में भरपूर नींद लेने के बाद यह सोचकर कि शराब पीने से रात्रि में नींद आ जायेगी, कई बार ऐसा भी हो जाता है कि नींद ही न आये, तो सारी रात जिंदगी भर के कुकर्म याद आते रहने से सवेरे उठते ही उस महानुभाव से झगड़ा होगा, जिसने सदैव मदद की।

किसी भी नशे का मुख्य कारण बर्दाश्त से ज्यादा सुख-दुख को कम, या सुख की अनुभूति ज्यादा करने के लिए रक्त संचार बढ़ाना है। देश में 4% भी धुम्रपान करते हैं, तो रोज 5 करोड़ ×4= 20 करोड़ बीड़ी-सिगरेट में काफी धुआं नवजात तक के फेफड़ों में प्रवेश करता है। धुम्रपान करने वाले 2 तरह के :- एक बूरे, दूसरे अंजान होते हैं। बूरे को कुछ नहीं कहना। अन्जान से अपील है कि वे खुद 4 पीते हैं, दूसरों को अन्य रूप में 1 पिलाते हैं। धुम्रपान के निम्न 4 कारण हैं:-

प्रथम :- कम शारीरिक क्षमता के बावजूद कार्य ज्यादा, तथा समय निर्धारित होने से झुंझलाहट आती है। धुम्रपान किया, रक्त संचार बढ़ गया। शरीर में क्षणिक ताजगी आने से महसूस होगा कि 40% शक्ति बढ़ गई, जिससे अक्सर कार्य पूरा हो जाता है। एक बीड़ी, 25 किलो देसी घी का काम करेगी। परन्तु नुकसान हुआ कि दूबारा वैसा ही काम बिन बीड़ी न होगा, जबकि घी की शक्ति जीवनपर्यंत बनी रहेगी।

दूसरा :- किसी तगड़े द्वारा बिन गलती over doze (ज्यादा गाली) मिलने तथा पूचकारने वाला न होने से बैचेन मन को बर्बादी का जो अंतिम सहारा मिला, वही सही, जिससे नशे की तरफ स्वत: खींचा चला जाता है। कोई उजड़ा चमन (नशेड़ी) मिलने पर नशा-मुहूर्त करवाने से क्षणिक गम, गलत ठहरा दिया जाता है। फिर तो थोड़ा भी mood खराब, सिगरेट से बीड़ी पर उतर आते हैं।

तीसरा :- भोजन के लिए मन नहीं होने से एक बीड़ी का नशा होते ही अच्छा लगने लगता है, जिससे नशे की तरफ निरंतर रूझान बढ़ते जाता है। धुम्रपान छोड़ते ही जितनी बीड़ी रोज पीते थे, उतना kg वजन 1-2 महीने में बढ़ने से अटपटा लगता है।

चौथा :- सिगरेट द्वारा शान दिखाकर दूसरे को चिढ़ाना।

नशे का अभिप्राय है कि प्राणी कहीं न कहीं कमजोर होने से stamina बढ़ाने हेतु शक्तिशाली पदार्थ घी, दुध, बादाम, tonics इत्यादि प्रयोग की बजाय तत्काल शक्ति चाहिए तो नशा वैसे ही दिखता है, जैसे धनाढ्य बनने के लिए जाली नोट। जिसने जीवन में ₹1000 नहीं देखें हों, ईमानदारी से भी एक लाख रुपये अकस्मात मिलने से या तो कोई भला व्यक्ति मार्गदर्शन करेगा, वर्ना नींद न आने से शराब शुरू। क्योंकि सुख हजम करना दुनिया का 8वां आश्चर्य है।




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