Prayagraj के जावेद पंप का घर गिराने पर आज Jamat E Islami की स्टूडेंट विंग करेगी प्रदर्शन

कार्रवाई के विरोध में संगठन ने आज दोपहर 3 बजे दिल्ली में स्थित यूपी भवन के सामने प्रदर्शन का ऐलान किया | #Prayagraj (अमित भारद्वाज)

           

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#यही_तुम्हारा_इंसाफ़_है.?

पिछले आठ सालों से एक क़ौम को टारगेट किया गया हर क़दम पर उसे ज़लील करने की कोशिशें की गयीं, और एक तबक़े को ख़ुश कर अपने वोट बैंक को संभाले रखने के लिये उसपर हर तरह के ज़ुल्म किये गये, कभी मॉबलिंचिंग में मारा गया, कभी गाय और जय श्रीराम के नाम पर उसे पीट पीट कर मारा गया, उसकी इबादतगाहों को निशाना बनाया गया, लेकिन हम हमेशा ख़ामोश रहे और सब्र से काम लिया , अपने वतन के आईन का ख़्याल किया पर आपने इंसाफ़ नहीं किया.!

आज हमारा सब्र इसलिये टूटा क्योंकि हमारे नबी (सल.) के लिये बुरा भला कहने वाली #नूपुर_शर्मा को आपने अप्रत्यक्ष रूप से शह दी, आपने 10 दिन बाद तब उसे सस्पेंड किया जब पूरी दुनियाँ ख़ासकर अरब देशों का दबाव पड़ने लगा !

इलाहाबाद में जिस बच्ची का आज घर ज़मींदोज़ कर दिया गया उसका क्या क़ुसूर था ? पत्थर किसने चलाया जाँच करो और उसके ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्यवाही करो, लेकिन किसी का घर गिराने का हक़ किसने दिया आपको ? अगर वो भी आरोपी थी तो आप गिरफ़्तार करते, मुक़दमा चलाते अदालत उसे सज़ा देती, अब सरकारें सज़ा देंगी.? ज़मींदोज़ कर दो इन अदालतों को भी ! क्या ज़रूरत है अब इनकी.? सारे काम अब तुम ही करो.!

जो हुआ वो नहीं होना था, जिसने उपद्रव किया पत्थर चलाये उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्यवाही करनी थी, अदालतों से उन्हें सज़ायें होतीं, जेल जाते जो क़ानून और संविधान का तरीक़ा था.! पच्चीसों साल से जिस घर का वाटर और हाउस टैक्स सरकार वसूलती आयी आज अचानक वो घर अवैध हो गया.?

याद रखना जब ज़मीन वाले इंसाफ़ नहीं करते तो फिर #आसमान_वाला इंसाफ़ ज़रूर करता है और वो दिन बहुत क़रीब है.! याद रहे देश की 30 करोड़ आबादी के साथ देश की एक बड़ी आबादी इस वक़्त बेचैन है और इतनी बड़ी आबादी को बेचैन करके आप देश में अम्न बिल्कुल नहीं क़ायम कर सकते.!


सैंकड़ों बार Afreen के आलीशान मकान की तस्वीरें नज़रों से गुज़री हैं। सैंकड़ों बार उसी मकान के मलबे का ढ़ेर नज़रों से गुज़रा है। क्या कहें? निःशब्द हैं। बुद्धिजीवी वर्ग इसे संविधान की समाधी, या लोकतंत्र की हत्या, या फिर जिसके पास जो भी शब्द हैं, वह कहने के लिये आज़ाद है। लेकिन वह घर था। घर! जिसके बारे में राही मासूम रज़ा ने ‘आधा गांव’ में लिखा, “घर! दुनिया की हर बोली हर भाषा में यह उसका सबसे खूबसूरत शब्द है।” इस देश में बहुत बड़ी आबादी ऐसी है जो ज़िंदगी भर रोटी कपड़ा मकान के लिये संघर्ष करती है। इस संघर्ष में वह रोटी, कपड़ा तो अर्जित कर लेती है, लेकिन मकान नहीं बना पाती। लेकिन ‘सबक़ सिखाने’ के लिए शुरू हुई नफ़रत की सियासत घरों को ‘अवैध’ बताकर ज़मींदोज़ कर रही है। उस पर विडंबना यह है कि देश का एक बहुत बड़ा वर्ग ‘दूसरे’ के ज़मींदोज़ होते घरों को देखकर खुश हो रहा है। सरकार द्वारा किये जा रहे इस जघन्य अपराध का सामान्यकरण किया जा रहा है। टीवी के एंकर्स खुश हैं, अधिकारी खुश हैं। दूसरे के मकान को अवैध बताकर ध्वस्त करने वाले ऐसे खुश हैं, जैसे खुद सबकुछ वैध ही करते हों। जहां रिश्वत को ‘ऊपर’ की कमाई बताकर ‘वैध’ ठहराया जाता हो, वहां मेहनत की कमाई से बनाए गए घर को ध्वस्त करके खुशियां मनाई जा रही हैं। क्या जावेद के मकान को अवैध बताकर ज़मींदोज़ करने का आदेश देने वाले, अफसर, सत्ताधारी, शपथ लेकर कह सकते हैं कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी में कभी रिश्वत नहीं ली? खैर! घर ज़मींदोज़ कर दिया गया। वह फिर बन जाएगा। लेकिन दूसरे का मकान टूटने पर खुश होने वाले भी कभी इंसान बनेंगे?


Karo virod...जान लगा कर करो... फिर पेट्रोल बम एंड पठारो से करो.... फिर मेजोरिटी की दुकाने बंद करवा कर कर करो... But याद रखना ये डेमोक्रेसी है और इसमें पावर उसके हाथ मे होंगी जो मेजोरिटी की बात सुनेगा.... हम लड़ भले है ना सके... हम पत्थर भले है ना चला सके... हमारे संस्कार भले है किसी की मेहनत की दुकान घर को ना जाला सके..... हम भले है किसी को प्रताड़ित ना कर सके... But याद रखना अब वोटर की वोट की ताकत समाज आ गयी है.... अब हम अपनी सारी ताकत वोट मे दिखागे... तुम कर लो जितना अत्याचार करना है.... जितना पत्थर बाजी करनी है जितना धर्मत्रण करवाना है.... But मेजोरिटी को पता है अब की वो किसके राज मे सुखी है