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"राख के ढेर से महल कैसे खड़ा किया जाता है, आइए जानते है"

नेशनल हेराल्ड केस है क्या?

नेहरू जी ने "नेशनल हेराल्ड" नामक अखबार 9 सितम्बर 1938 में शुरू किया। इसके बाद 1956 में एसोसिएटेड जर्नल को अव्यवसायिक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 के अंतर्गत इसे कर मुक्त भी कर दिया गया। अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी "एजेएल" के पास था। धीरे-धीरे इस अखबार ने 5000 करोड़ की संपत्ति अर्जित कर ली।

सन 2008 में यह अखबार घाटे में चला गया और इस पर 90 करोड़ का कर्जा हो गया।

"नेशनल हेराल्ड" (एजेएल) के तत्कालीन डायरेक्टर्स "मोतीलाल वोरा" ने इस अखबार को "यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड" नामक कंपनी को बेचने का निर्णय लिया।

"यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड" कंपनी नवम्बर 2010 में 50 लाख की पूंजी के साथ शुरू की गई थी।

अब मज़े की बात सुनिये, "यंग इंडियन कंपनी" के डायरेक्टर्स "सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, ऑस्कर फर्नांडीज़ और मोतीलाल वोरा" थे!

इस नई कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 38-38 प्रतिशत शेयर थे जबकि बाकी के 24 प्रतिशत शेयर अन्य निदेशकों के पास थे।

डील यह थी कि "यंग इंडियन कंपनी" "नेशनल हेराल्ड" के 90 करोड़ के कर्ज़ को चुकाएगी और बदले में 5000 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति "यंग इंडियन" को मिलेगी।

इस डील को फाइनल करने के लिए AJL के मोती लाल वोरा ने यंग इंडियन के मोतीलाल वोरा से बात की, क्योंकि वह अकेले दोनों ही कंपनियों के डायरेक्टर्स थे।

अब यहाँ एक और नया मोड़ आता है।

90 करोड़ का कर्ज़ चुकाने के लिए "यंग इंडियन" ने "कांग्रेस पार्टी" से 90 करोड़ का लोन माँगा। इसके लिये कांग्रेस पार्टी ने एक मीटिंग बुलाई जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और कांग्रेस