रोजगार पथ या अग्निपथ?

रोजगार पथ या अग्निपथ? । #ExtensionStudio #ATLive | Chitra Tripathi #AnchorChat: #SocialMediaSpecial

           

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सच बात पूछती हूं बताओ ना बाबूजी छुपाओ ना बाबूजी क्या याद मेरी आती नहीं सच बात पूछती हूं ना बाबूजी छुपाओ ना बाबूजी क्या याद मेरी आती नहीं पैदा हुई घर में मेरे मातम सा छाया था पापा तेरे खुश थे मुझे मां ने बताया था ले ले के नाम प्यार जताते भी मुझे थे आते थे कहीं से तो बुलाते भी मुझे थे मैं हूं नहीं तो किसको बुलाते हो बाबूजी क्या याद मेरी आती नहीं हर जिद मेरी पूरी हूई हर बात मानते बेटी थी मगर बेटों से ज्यादा थे जानते घर में कभी होली कभी दिपावली आई सैड़ल भी मेरी फांक भी आईं अपने लिए बंडी भी ना लाते थे बाबूजी क्या कमाते थे बाबूजी क्या याद मेरी आती नहीं सारी उमर खर्चे में कमाई में लगा दी दादी बिमार थी तो दवाई में लगा दी पढ़ने लगे हम सब तो पढ़ाई में लगा दि बाकी बचा वो में मेरी सगाई में लगा दी अब किसके लिए इतना कमाते हो बाबूजी बचा तो हो बाबूजी क्या याद मेरी आती नहीं कहते थे मेरा मन कहीं एक पल ना लगेन लगेगा बिटिया विदा हूई तो घर थे घर ना लगेगा कपड़े कभी गहने कभी सामान सजोते तैयारियां भी करते थे छुप ॒ छुप के थे रोते कर ॒ कर के याद अब तो ना रोते हो बाबूजी क्या याद मेरी आती नहीं कैसी परंपरा है ये कैसा विधान हैं पापा वताना कौन सा मेरा जहान है आधा यहां आधा वहां जीवन है अधूरा पीहर मेरी पूरी है ना ससूराल है पूरी क्या आप का भी प्यार अधूरा है बाबूजी क्या आप का भी प्यार अधूरा है बाबूजी ना पूरा है बाबूजी क्या याद मेरी आती नहीं सच बात पूछती हूं बताओ ना बाबूजी छुपाओ ना बाबूजी क्या याद मेरी आती नहीं क्या याद मेरी आती नहीं लेखक संजय यादव