40 हजार सैलरी, 11 लाख सेवा निधि, ऐसी है अग्निपथ स्कीम

40 हजार सैलरी, 11 लाख सेवा निधि, ऐसी है अग्निपथ स्कीम

           

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इस सरकार का अब तक का सबसे गलत कदम।
बदमिजाज और नाकारा अफसरों की सलाह पर सरकार का अत्यंत ही घटिया और आत्मघाती कदम होगा। सरकार को फिर से इस पर विचार करना चाहिए।
सैन्य सेवा की कठिनाई एवं कड़े प्रावधानों के कारण रेगुलर जवानों में से भी 70-80% के लगभग जवान 15 या 20 साल की पहली इंगेजमेंट के बाद सर्विस आगे नहीं बढ़ाते और सर्विस छोड़ने का फैसला कर रहे हैं।
जब 57 साल की पक्की नौकरी और 15 साल में ही पेंशन सुनिश्चित रहने के बाद भी अधिकतर जवान सर्विस छोड़ रहे हैं तो फिर मात्र 4 साल के लिए कौन योग्य युवक भर्ती होना चाहेगा??? फिर चार साल के बाद रेगुलर बनने के लिए अधिकारियों की चापलूसी!!!!!

चार साल तक सैन्य सेवा में पढाई छूटने के बाद 75% फिर से बेरोजगार होंगे उनका क्या होगा???

सरकार को सबसे पहले भारतीय सेना का भारतीयकरण करने तथा अधिकारियों की ब्रिटिश मानसिकता को कुचलने की आवश्यकता है। भारतीय सेना व्यवस्था में पाकिस्तान से भी गई गुजरी है। पाकिस्तान ने भी गुलामी के प्रतीक बटमैन सिस्टम जिसमें युद्धक जवान अफसरों के घर में नौकर की तरह काम करते हैं, को दशकों पहले हटा दिया पर भारत में यह अभी भी चल रहा है। इसकी जिम्मेदार अधिकारियों की ब्रिटिश मानसिकता है।

वही ब्रिटिश मानसिकता जो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद भी नीरज चोपड़ा को अधिकारी नहीं बनने देती है क्योंकि वे आर्मी में जवान हैं, लेकिन मैट्रिक फेल सचिन तेंदुलकर को सीधे ग्रुप कैप्टन (कर्नल के बराबर) बना देती है।


#अग्निवीर #अग्निपथ

योजना केवल शिशु काल मे है और लोग उसके बुढ़ापे तक की सोचने लगे है।

शंकाए जायज़ है उनको मना नही करते लेकिन अगर ठंडे दिमाग से सोचो कि 22 23 साल के आम नोजवान के हाथ मे आज क्या है और वो कितना स्वावलंबी है।
कितनो को आप मानते हो कि इस आयु में नोकरी मिल जाती थी या मिल जा रही होगी?
इस पर कभी मंथन करियेगा।

अग्निवीर अग्निपथ के ...

इस योजना को बनाने से पहले बहुत कुछ सोचा भी गया होगा और समझा भी गया होगा,इसके लाभ हानि सब पर मंथन भी किया होगा।

लेकिन मेरी नज़र में ये नोकरी या रोजगार कतई नही है।
मैं इसे एक समय अवधि मानता हूं जिसमे आम नोजवानो को शारीरिक रूप से सबल बनाने के साथ साथ मानसिक रूप से कुशल बनाने की योजना है।
उद्दंड हो चुकी नोजवान पीढ़ी को नैतिक मूल्यों और स्वावलम्बन के लिए प्रेरित करने की एक योजना है।
23 24 साल में आप के अनुसार कितना बैंक बॅलन्स आज की तिथि में एक नोजवान के पास होगा जब वो इस आयु ने आता है।

लेकिन अग्निवीर के पास कम से कम दस पन्द्र लाख का बैंक बेलेंस इस योजना में आने के बाद निश्चित ही होगा।
शारीरिक मानसिक रूप से सुदृढ़ होने के साथ साथ आर्थिक रूप से भी वो इतना सक्षम होगा कि कोई भी व्यापार या अपना कार्य शुरू कर सकता है।

4 साल कम से कम लगाऊ तो नोजवान के इस योजना में खर्च होंगे लेकिन ऐसा नही है कि वो पढ़ाई ही न कर सके।
पत्राचार या दूसरे माध्यमो से वो शिक्षा जारी रख सकता है अगर सन्तुष्ट न हो तो 4 साल बाद पुनः वही से शुरू कर सकता है।
मैने 2 3 से लेकर 4 साल तक विभिन्न परीक्षाओ के लिए बच्चो को स्कूल कॉलेज से ड्राप करते देखा है,क्या वो आगे नही बढ़ते?

यहां तो आपको इतना कुछ मिल रहा है वो भी बिना किसी तामझाम के।
जरूरी नही सारे ही अग्निवीर सेना में जाये ,कोई दूसरे क्षेत्रों में भी जा सकते है और नोकरी की गारंटी कहि भी नही मिलती और जो नोकरी के पीछे ही अपना सबकुछ गवा देते है उनको जीवन मे बहुत कुछ खो देना पड़ता है।

इस योजना को एक विकल्प के रूप में लेकर इसका लाभ उठाएं, कमिया होंगी लेकिन इतनी भी नही की तुम जो भी करे गरियाना शुरू कर दो।
आप को देश के लिए सेना के बाद एक शश्क्त पंक्ति मिल सकती है जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होगी।

सरकार अगर इसे एक डिग्री का दर्जा ओर दे दे तो सोने पर सुहागा होगा क्योंकि नई शिक्षा नीति के अनुसार ये आवश्यक नही की विज्ञान के छात्र है तो वही विज्ञान में भीतिकी,रसायन आदि में मास्टर कर सकेंगे।
जिस में दम होगा वो इन विषयों में भी स्नातकोत्तर कर सकते है।
नई शिक्षा नीति और ये योजना भविष्य की नींव अवश्य रखेगी।

बाकी.....
इसकी कमियों और लाभ को आप भी जानते है और मैं भी लेकिन आप लाभ उठाना सीखिए।
वो कहते है न......

मन के हारे हार है,मन के जीते जीत।

आप इस योजना को अपने लिए एक संजीवनी मानिए,कोई किसका कितना फायदा उठा सकता है उसको भविष्य पर छोड़ दीजिए।
आवश्यक नही की जो आप सोच रहे हैं वही हो,लेकिन जो आप नही समझ रहे वो भी हो सकता है।

अतः इस योजना को नोकरी के परिपेक्ष्य में न ही सोचे तो ही अच्छा है,ये केवल नोजवान पीढ़ी को स्वावलम्भन के साथ साथ सामाजिक,आर्थिक,शारीरिक और मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए बनाई गई एक योजना भर है।

और सबसे बड़ी बात ये भारतीयों के लिए है,केवल भारतीयों के लिए...किसी ब्राह्मण,गुर्जर,जाट,ठाकुर ,दलित,वामी या मजहबी आदि के लिए नही।

राधे राधे।।


#अग्निवीर योजना में युवाओं को अल्पावधि के लिए सेना में भर्ती करने पर दो प्रतिक्रियाएं दिखाई जो हिंदू मानसिकता का प्रतिनिधित्व करती हैं.

एक की शिकायत थी कि युवा सिर्फ चार साल सेना में काम करेंगे, उनकी नौकरी परमानेंट नहीं होगी और उन्हे पेंशन भी नहीं मिलेगी.

यहां मूल समस्या है कि जॉब का अर्थ काम नहीं होता, नौकरी होता है. नौकरी यानि परमानेंट कामचोरी का लाइसेंस. तो भाई, ऐसे लोगों के लिए यूं ही फौज नहीं है. युवा चार साल काम करेंगे, चार साल के अंत में उनके पास दस बारह लाख रुपए होंगे, सेना में अनुशासन और दायित्व बोध के साथ काम करने का अनुभव होगा. 22-23 साल में वे एक सकारात्मक अनुभव के साथ बाहर आ जायेंगे, और किसी भी जॉब के लिए अपने समकालीनों से आगे खड़े होंगे. नहीं, नौकरी हुई तो परमानेंट क्यों नहीं हुई, पेंशन क्यों नहीं मिली. तीस साल तक बाप का तेल जला कर बाबूगिरी के लिए कॉम्पिटिशन की तैयारी कर लेंगे वह मंजूर है, पर फौज की नौकरी और अनुभव नहीं चाहिए.

दूसरी ओर यह प्रतिक्रिया सुनाई पड़ी कि कुछ लोगों को इससे हथियार चलाने का अनुभव और मुफ्त में आतंकवाद की ट्रेनिंग मिल जायेगी.

यह लीजिए, अगला वहां जाकर आतंक की ट्रेनिंग ले आएगा यह चिंता जरूर है, पर खुद आतंक से लड़ने की ट्रेनिंग नहीं लेनी है. जो व्यवस्था उसके लिए अवसर है, सुविधा है, वही आपके लिए घोर संकट है, नहीं? फिर रोएंगे कि आपके अस्तित्व पर संकट क्यों है... घटते मिटते क्यों जा रहे हैं...

सच यह है कि हिंदू मानस स्थाई रूप से शैशवावस्था में है. उसे माता का स्तन चाहिए, पिता की गोद चाहिए. खुद से खड़े होकर चलना नहीं है. उसे नौकरी, छोकरी, राशन पेंशन चाहिए, घर बिठाए सुरक्षा चाहिए...लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए खुद कुछ नहीं करना. फौज में जाने का अवसर मिले तो भी नहीं. यह विचार नहीं आता कि सेना अलग से कुछ नहीं होती, हम आप ही सेना में होते हैं. सुरक्षा अलग से कहीं मैन्युफैक्चर नहीं होती, हमें ही एक दूसरे की करनी होती. अगर लोगों को ऐसी एक योजना में भी पार्टिसिपेट करने की जगह खोट खोजना है तो सच यह है कि हम सर्वाइव करना डिजर्व ही नहीं करते.


ये सही नहीं हैं चार साल सेना में भर्ती होने के बाद 75% को रिटायर कर दिया जाएगा केवल 25% को आगे सेना में शामिल किया जाएगा इससे सेना के मनोबल और देश के युवाओं पर गहरा प्रभाव पड़ेगा, युवाओं में जो सेना भर्ती का जुनून प्यार है वो कम हो सकता है क्योंकि इस स्कीम के तहत सेना एक रोजगार की तरह होगी जो शायद सही नहीं हैं दूसरी ओर इस स्कीम के तहत जो नागरिक चार साल के बाद रिटायर होंगे वो क्या करेंगे, इसी तरह वो लोग चार साल सेना में रहते हुए सेना की पूरी ट्रेनिंग और सेना कैसे काम करती हैं के बारे में जानकारी प्राप्त कर चुके होंगे जो कि शायद देश के लिए सही साबित न हो, सेना में चार साल सेवा और काम कर चुके नागरिक अगर बाद में देश में कोई दंगा विद्रोह करता हैं तो उन्हें कंट्रोल करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि वो भी सेना की ट्रेनिंग और अनुभव प्राप्त किया होगा साथ में वो युवा जोश जवानी से भरपूर होगा, याद रखें सभी देश भक्त हैं सभी देश भक्त नहीं भी है यह सच हैं दूसरी ओर जो जवान अपनी पूरी जिंदगी सेना में बिताने के बाद रिटायर होते हैं वो देश प्रेमी होते है क्योंकि वो एक लंबा समय जिंदगी का ख़ास हिस्सा देश के नाम कर चुके होते हैं वो पूरी तरह से जेंटलमैन ओर वरिष्ठ नागरिक बन जाते हैं वो अनुभव और प्रेम चार साल में शायद, शायद संभव नहीं। ये मेरी निजी राय है मैं गलत भी हो सकता हूँ, वैसे जो भारत सरकार करेंगे वो अच्छा ही होगा।
वंदे मातरम्
जय हिंद जय भारत