Agneepath Protest: अग्निपथ के खिलाफ बिहार में आज भी बवाल जारी, जहानाबाद में बस-ट्रक फूंकी, 15 जिलों में इंटरने

अग्निपथ को लेकर बिहार में युवाओं का आक्रोश थमता नजर नहीं आ रहा.

           

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मान लीजिए सेना को सौ सैनिकों की ज़रूरत है तो आज के नियमों के हिसाब से 1000 दौड़ने वालों में से सरकार 100 को ही लेगी लेकिन अग्निपथ योजना के बाद सरकार उन्ही 1000 में से चार सौ को लेगी जिनमें से अपनी ज़रूरत वाले सबसे बेस्ट 100 को पर्मनेंट रख लेगी और बाक़ी 300 को चार साल बाद विदा कर देगी । ये तीन सौ तो आज नियमो में पहले से विदा थे , अगर उन्हें भी तीन साल रोज़गार और 12 लाख की एकमुश्त राशि मिल गयी तो क्या दिक़्क़त है ? वो भी इस उमर में जब वो अपने करियर की शुरुआत ही करता है । आज किसी भी coaching में पटवारी BDO के बैच में चले जाएँ औसत उमर 22 साल ज़्यादा ही मिलेगी ।
ऐसी स्थिति में एक युवक जो सेना से ग्रैजूएट होकर आया है , अनुशासन सीख कर आया है और साथ में पैसा भी है और उसी कक्षा में बैठ गया जहाँ बाक़ी उसके हम उमर वाले कोचिंग कर रहे है तो उसमें क्या बुराई है ।
ये योजना तब बुरी थी जब सरकार इन चार सौ को ही चार साल बाद विदा कर देती ? लेकिन सेना तो उनमे से अपनी ज़रूरत के बंदे रख रही है वो भी चार साल परखने के बाद , पहले एक दिन की दौड़ में परख लेती थी अब चार साल तक परखेगी तो बताइए सेना को अच्छे सैनिक किस जाँच के बाद मिलेंगे एक दिन की दौड़ वाले या चार साल लगातार परीक्षा देने वाले ?
सबसे उम्दा बात ये क़ि ये ज़बर्दस्ती की योजना नही है जिसे पटवारी बनना है , कॉन्स्टबल बनना है IAS बनना है वे एकाग्रचित्त होकर अपनी पढ़ाई करे इस योजना में ना जाएँ ? जिन्हें लगता है कि वे 22 साल की उम्र में भी वापस आकर अपना करियर अच्छे से संवार सकते है उनके लिए ये योजना है, मेरे हिसाब से मनचाहा करियर पाने के लिए 12 लाख की रक़म काफ़ी है 22 की उम्र में । आज जो बच्चा 25 साल की उम्र में कर्ज लेकर पढ़ रहा है उससे तो बेहतर है कि 22 की उम्र में खुद के पैसे से पढ़े ।
सेना में ग्रैजूएशन भी करवाई जाएगी अतः ये भी नही है कि चार साल बर्बाद हो गए । पढ़ाई की पढ़ाई , नौकरी की नौकरी, साथ में मेहनताना और सुलक्षण ।
बाक़ी जिन्हें ना जमता हो वे भारत सरकार की ही महत्वकांक्षी योजना MNREGA का लाभ उठा कर अपनी पढ़ाई कर सकते है ।




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