बिहार में हुई हिंसा के पीछे किसकी साजिश?

बिहार में हुई हिंसा के पीछे किसकी साजिश? #ATLivestream

           

https://www.facebook.com/aajtak/posts/540783384184786

Tipu Sultan कल रात में मैं डिस्कवरी चैनल देख रहा था जिसमें मानव जीवन का इतिहास एवं क्रमिक विकास वगैरह बताया जा रहा था..

उसी में ये भी बताया जा रहा था कि पृथ्वी के किसी भी जीव की उत्पत्ति के लिए DNA एक एसेंशियल पार्ट होता है जो उस पर्टिकुलर इंसान अथवा प्रजाति या फिर समाज के व्यवहार के लिए उत्तरदायी होती है.

और, DNA में बदलाव एक बेहद जटिल प्रक्रिया है जो कि हजारों लाखों सालों में भी बहुत थोड़ा होता है.

ये सब जानते ही दिमाग में एक झनझनाहट सा हुआ कि...

अरे यार... जिसे हम आज कटेशर बोलते हैं वे सब लोग तो पहले हिन्दू ही थे.... जिनमे से कुछ लोगों के तलवार के डर से पिस्लाम कबूल कर लिया और बाकियों ने लोभ-लालच में आकर.

अर्थात.... 99.99% कटेशर या तो पूर्व के कायर हिन्दू हैं या फिर बेपेंदी के लोटे... अथवा, लालची लोग.

और, ये सारी घटनाएँ महज कुछेक सौ सालों की ही है... ज्यादा से ज्यादा 600-700 साल पुरानी.

तो, इतने कम समय में उनका DNA बदल जाना तो असंभव है.

मतलब कि... वे लोग आज भी कायर और लालची ही हैं जो कि उनके दिन प्रति दिन के व्यवहार से दिखता भी है.

तो... इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी कि.... अगर भारत में उन्हें बहुसंख्यकों अथवा सरकार की नीति से डर लगने लगे तो वे अपने डीएनए के अनुरूप व्यवहार करते हुए पुनः घर वापसी कर लें.... जैसे कि पहले वे घर छोड़कर गए थे.

उसी प्रकार... लालची लोग भी तभी तक कटेशर हैं जबतक उन्हें अल्पसंख्यक नाम की छाया और अल्पसंख्यक के नाम पर मलाई मिल रही है.

जिस दिन ये उन्हें ये मलाई मिलनी बंद हुई और मन में कुछ डर हुआ तो.... वे लोग धड़ाधड़ घर वापसी करने लगेंगे...
क्योंकि, फिर उन्हें कटेशर बने रहने में हानि ही हानि दिखाई देने लगेगी.

और, मेरे ख्याल से UCC, नई जनसंख्या नीति एवं NRC वगैरह इस मामले में मील के पत्थर साबित होंगे क्योंकि इन सबके बाद उनके पास कटेशर बने रहने में कोई आकर्षण नहीं बच जाएगा.

इसीलिए... अब हमलोगों को फालतू की बकसोदी छोड़ कर आपस में ये मंथन करना चाहिए कि अगर वे लोग वास्तव में घर वापसी करते हैं तो हमारा इसमें क्या रोल होगा.

क्योंकि.... इस समस्या का समाधान ही हमारे लिए देश को हिन्दुराष्ट्र बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा.

हालांकि... कुछ लोगों को ये दूर की कौड़ी लग सकती है लेकिन वास्तव में कोई कौड़ी नहीं बल्कि असलियत है जो कि होना ही है.

बस शर्त सिर्फ इतनी सी है कि.... वर्तमान पार्टी की ही सरकार लंबे समय (अगले 10-15 तक) टिक जाए.

क्योंकि , किसी भी तरफ से आकलन करने पर नतीजा सिर्फ यही आ रहा है.

जय महाकाल...!!!

नोट : भारत में जिस गति से आत्मनिर्भरता आ रही है एवं इलेक्ट्रिक वाहन तथा सौर ऊर्जा पर काम चल रहे हैं वे बहुत ही जल्द पेट्रोल-डीजल पर आधारित अर्थव्यवस्था वाले अरब देशों को अप्रासंगिक कर देंगे और फिर भारतीय कटेशरों के पास घर वापसी के अलावा और कोई दूसरा चारा बचेगा ही नहीं.