1ºPeeyush Thapak जब आप इतने जानकर है, तो आप ये भी जानते होंगे कि धर्म का अर्थ सिर्फ कर्तव्य भी नहीं होता, इसका एक अर्थ नैतिक और रीलीजन से भी लिया जाता है।
और बाकी जहाँ रही भारत के संस्कृति की; तो भारत की संस्कृति वो नहीं जो तथाकथित एक वर्ग बताता है। भारत की संस्कृति एक समावेशी संस्कृति है जो वसुधैव कुटुम्ब से लेकर, सत्य, अहिंसा, समानता, बंधुत्व, सहिष्णुता आदि से मिलकर बनी है।
कुछ नहीं तो श्री राम और शिव जी का जीवन चरित्र देख लो। राम और शिव का सम्मान इसलिए ज्यादा है क्योंकि वो विन्रम और भोले है; वरना हिन्दू धर्म में ईश्वर की कमी नहीं।
बाकी ये देश सबका है, किसी एक की यह बपौती नहीं।
2ºRajni Sharma जी , मुझे इस माॅल से कोई दिक्कत नहीं है बल्कि हमारे शहर का प्राईड है , पर जब से मैंने वहां नमाज़ अदा करने वाली बात सुनी , सारे कर्मचारी एक ही धर्म विशेष के होने की बात सामने आयी , तो महसूस हुआ कि यह स्थान आम जनता के लिए नहीं बल्कि सिर्फ एक विशेष धर्म वालों के लिए ही है। क्योंकि जिस तरह का माहौल उदयपुर और अमरावती की घटनाओं कारण देश में बना हुआ है , उस दृष्टिकोण से विश्वास में कमी आई है , दुर्घटना होने से पहले अगर इंसान सजग हो तो नुकसान कम होता है।