राजनीतिक विरोध दुश्मनी में नहीं बदलना चाहिए, जैसा कि आजकल हो रहा है, बोले CJI रमणा

राजनीतिक विरोध दुश्मनी में नहीं बदलना चाहिए, जैसा कि आजकल हो रहा है, बोले CJI रमणा

           

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Amita Singh जनता मूर्ख नहीं है , और फिर सब आपके जैसे मुख्य न्यायाधीश भी नहीं हैं जिन्हें वोट देते समय तथाकथित "पद की गरिमा " का ख्याल रखना पड़ता है , और फिर देश में लोकतंत्र है , वही क्षद्म लोकतंत्र.....
अब उल्टा पड़ रहा है तो कुछ बुद्धिजीवी चिंतित हैं क्यूंकि भीड़ आ रही है और श्री लंका के राष्ट्रपति भवन के बाद सीधे सर्वोच्च न्यायालय में ही डेरा लगेगा बकौल बक्कल के राष्ट्रीय अध्यक्ष टिकैत के , सर्वोच्च न्यायालयों पर देश के किसानों का भी तो कुछ अधिकार है जैसे संसद पर था और पूरे दिल्ली शहर में था .....
देश में अराजकता का माहौल है , इसका एक कारण न्यायालयों की दुर्दशा भी है , जब यशवंत सिन्हा जी राष्ट्रपति बनकर मंत्री मंडल को नियंत्रित कर सकते हैं जैसा कि वो अपने हाल के बयानों में कह रहे हैं , फिर देश का सर्वोच्च न्यायालय भी देश की न्याय व्यवस्था को कुछ हद तो दुरुस्त कर ही सकता है .....
कृपया इस पर ध्यान दीजिये, वरना जनता लोकतंत्र को ही न्याय तंत्र में बदलने पर आमादा है , हाल ही के दिनों में विकास दुबे की हत्या और विभिन्न बुलडोजर कार्यवाही पर सरकारे सफ़ाई दे सकती हैं मगर न्यायालयों को शर्म से डूब मरना चाहिए .......


जज साहब अब मुंह ना खुलवाओ हमारा।
एक बाबू बनने के लिए हमने कितने टेस्ट और इंटरव्यू दिए हैं हम ही जानते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लिए कौन सी परीक्षा होती है? केवल पहुंच हो तो सॉलिसिटर जनरल बन जाओ या कहीं वकालत कर आओ बस बन गए जज और फिर सीधे सुप्रीम कोर्ट में छलांग?
फिर क्या मनमानी छुट्टियां और वेकेशन?
सुना है कल कोलकाता हाई कोर्ट ने एक वराह के गायब होने पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं जबकि कुछ ही दिनों पहले लाखों बकरे काटे गए? क्या क्राइटेरिया क्या है संज्ञान लेने का? जबकि उसी कोलकाता हाई कोर्ट में लाखों केस पेंडिंग हैं।
इसके पहले मिलार्ड दही हांडी की ऊंचाई नाप रहे थे और उसके भी पहले बैल दौड़ में जज साहब को अत्याचार दिखाई दे रहा था लेकिन बीफ खाने को जज साहब खाने पीने की स्वतंत्रता से जोड़ते हैं?
कोई भी जज कुछ भी बकवास कर जाए कुछ नहीं होता। पहले न्यायपालिका को सुधारो फिर सरकार और लोकतंत्र का ठेका लेना। अपने लिए कोलेजियम वो भी बिना किसी रुकावट के और सरकार के लिए आपको विपक्ष भी चाहिए और दबाव समूह भी?
किसी मामूली वकील को कंटेम्ट्प लगाकर जेल भेज दो लेकिन अगर वकील का नाम प्रशांत भूषण हो तो एक रुपए का जुर्माना लगाकर छोड़ दो फिर से मटरगश्ती करने के लिए?




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