PFI के कितने टेरर तंत्र?

PFI के कितने टेरर तंत्र? #हल्ला_बोल Sweta Singh के साथ! #ATLivestream

           

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■कलयुग के लोकतंत्र मे यह कैसी विकृत व काल्पनिक मनोस्थिति उत्पन्न हो गयी डंकापति मे कि वह अपनी अंतिम विकट इच्छा प्रकट करने लगा कि उसे मृत्यु से पहले उसके मूल चाल,चरित्र और चहरे के अनुरूप शब्दो व संस्कारो से नही बल्कि इत्र,केवडा, गुलाबजल व गंगा जल मे डूबे हुये कल्पनिक शब्दो की शब्दकोष का निर्माण किया जाये और उससे सम्बोधित कर दसो दिशाओ मे उदघोष किया जाये।उसे राजा हरिशचंद की उपाधि दी जाये और कालीदास की तरह पेड़ पर बिठाया और विद्धवंता की परीक्षा के लिये विद्बोत्मा के स्थान पर " द्रोपदी" को बडी "र्मूमूरता" के साथ राज सिंधासन पर बैठाया जाये जो उसे भरी सभा मे "अंधे का पुत्र अंधा" कर्ण को सूर्य पुत्र कदापि ना बोले और र्दुशासन की "डॉलर अण्डरवियर" "बनियान" का कतई चीर हरण कतई ना करे ताकि लोकतांत्रिक महाभारत का उदय पुनः ना हो क्यो कि डंकापति लंकापति का लंका दहन देख कर अभी अभी अपने पुष्पक विमान से अपने हनुमान
,जामवंत,विभिषण,सुग्रीव और आर्थिक जगत की "निर्मला सीता को" को लंका दहन से बचा कर लाये है और इसी लिये निर्मल,शुद्ध,सुगंधित,इत्र,केवडा,
गुलाब-जल,गंगाजल,लोबान,से डूबे हुये परिर्यावाची शब्दो के शब्दकोष काअनावरण का राजपत्र "र्सकुलर"जारी किया गया है ताकि डंकापति की अंतिम इच्छा बैकुण्ठ धाम जाने से पहले पूर्ण हो। जनता को भी चहिये कि श्रद्धाजंलि के लिये कुछ चुनिंदा इत्र,केवडा,गुलाबजल,गंगाजल मे डूबे हुये तथा लोबान व गूगल घूप से भी अधिक सुगांधित शब्दो की खोज करे जो भविष्य मे दिवंगत आत्मा की शांति के लिये समय आने पर काम आवे।जय हो डंकापति महाराज की जय।। ■【मै भी डंकापति के सम्मान के वास्ते इत्र,केवडा, गुलाबजल व गंगा जल मे डूबे और चंदन व लोबान से सुगंधित शब्दो की खोज का प्रयास करता हूँ।】राजीव शुक्ला




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