लखनऊ के Lulu मॉल में 2 युवकों ने किया हनुमान चालीसा का पाठ, Video आया सामने

लुलु मॉल में हनुमान चालीसा का पाठ

           

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दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था भारत में होने के बावजूद भी आज भारत सही दिशा में आगे नहीं बढ़ पा रहा है उसका एकमात्र कारण है कि धर्म मजहब और जातिवाद में 10 को जा कर के रखा हुआ है भारत को आगे बढ़ने से रोकने का कारण धर्म मजहब और जातिवाद है इन सब के कारण भारत में कभी भी विकास नहीं हो पाएगा सीधा सा कारण है कि यहां पर अपने मजहब और धर्म को मजाकी को ही बड़ा बताया जाता है इसी कारण है कि हम पूरी तरीके से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं आने वाले समय में भी इसके दुष्परिणाम सामने आएंगे जब विदेशी कंपनियां विदेशी भारत में निवेश करना चाहती है तो बिल्कुल भी ठीक नहीं है यदि अर्थव्यवस्था को सहयोग की भावना होना चाहिए शॉपिंग मॉल और दूसरे व्यवसायिक प्रतिष्ठान इन से देश को रेवेन्यू प्राप्त होता है ऐसे में ऐसी मूर्खता पूर्ण कार्य करना सही नहीं है नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद है और पाठ करने के लिए मंदिर उपलब्ध हैं वहां पर आप अपनी मनमर्जी से कुछ भी कर सकते हैं परंतु ऐसी जगह पर अपने धर्म और मजहब का प्रचार करना सही नहीं है


Sahab Mishra भाई मैंने यह नहीं कहा कि मोबाइल में देख कर पढ़ना गलत है मैंने यह कहा है कि जो यह लोग जाते हैं वहां पर पढ़ते हैं इनको भक्ति या हनुमान जी या श्री राम जी से कोई मतलब नहीं है यह सिर्फ और सिर्फ जाते हैं अपने आप को हाईलाइट करने छोटे-मोटे नेता बनने के चक्कर में या किसी नेता के बोलने पर चले जाते हैं ।
मैं यह बात कर रहा हूं और जिस प्रकार वह उन लोगों ने नमाज पढ़ी उनके पीछे भी किसी ना किसी नेता का ही हाथ है लेकिन बस यह बात सबको समझनी चाहिए नेताओं के भड़काने से आम लोगो को इस तरह की एक्टिविटी नहीं करनी चाहिए ।


#किसी छोटे #मंदिर/मज़ार जैसी जगह पर एक #फकीर रहते थे।
सैंकड़ों भक्त उस छोटे मन्दिर पर आकर #दान-दक्षिणा चढ़ाते थे।
उन भक्तों में एक #बंजारा भी था।
वह बहुत #गरीब था फिर भी नियमानुसार आकर माथा टेकता फकीर की सेवा करता और फिर अपने काम पर जाता उसका #कपड़े का व्यवसाय था कपड़ों की भारी पोटली कंधों पर लिए सुबह से लेकर शाम तक गलियों में फेरी लगाता।
एक दिन उस फकीर को उस पर #दया आ गई उसने अपना #गधा उसे #भेंट कर दिया।
अब तो बनजारे की आधी समस्याएं हल हो गई। वह सारे कपड़े गधे पर लादता और जब थक जाता तो खुद भी गधे पर बैठ जाता।

यूं ही कुछ महीने बीत गए एक दिन गधे की #मृत्यु हो गई। बनजारा बहुत दुखी हुआ, उसने उसे उचित स्थान पर #दफनाया, उसकी #कब्र बनाई और फूट-फूट कर रोने लगा।

#समीप से जा रहे किसी व्यक्ति ने जब यह दृश्य देखा तो सोचा जरूर किसी #संत की मजार होगी। तभी यह बंजारा यहां बैठकर अपना दुख रो रहा है। यह सोचकर उस व्यक्ति ने कब्र पर माथा टेका और अपनी #मन्नत हेतू वहां प्रार्थना की कुछ पैसे चढ़ाकर वहां से चला गया।
कुछ दिनों के उपरांत ही उस व्यक्ति की कामना #पूर्ण हो गई।

उसने खुशी के मारे सारे गांव में #डंका बजाया कि अमुक स्थान पर एक पूर्ण फकीर की मजार है। वहां जाकर जो अरदास करो वह पूर्ण होती है। मन चाही मुरादे बख्शी जाती हैं वहां।
उस दिन से उस कब्र पर भक्तों का #तांता लगना शुरू हो गया। दूर-दराज से भक्त अपनी मुरादे बख्शाने वहां आने लगे। बनजारे की तो #चांदी हो गई, बैठे-बैठे उसे कमाई का साधन मिल गया था।
एक दिन वही फकीर जिन्होंने बंजारे को अपना गधा भेंट स्वरूप दिया था वहां से गुजर रहे थे। उन्हें देखते ही बंजारे ने उनके #चरण पकड़ लिए और बोला,"आपके गधे ने तो मेरी जिंदगी बना दी।
जब तक जीवित था तब तक मेरे रोजगार में मेरी मदद करता था और मरने के बाद मेरी #जीवीका का #साधन बन गया है।"

फकीर #हंसते हुए बोले," #बच्चा ! जिस मजार जैसी जगह पर तू नित्य माथा टेकने आता था वह मन्दिर (मजार) इस गधे की #मां की थी।"

अमित कुमार बैरवा




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