उत्तर प्रदेश की राजनीति में हो रहे है उतार-चढ़ाव।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में हो रहे है उतार-चढ़ाव। दिनेश खटीक पहुंचे मुख्यमंत्री आवास। ज़्यादा जानकारी दे रहे हैं आशीष श्रीवास्तव. #UttarPradesh #ReporterDiary (#AshishShrivastav)

           

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मेहनती हिंदुओं,
गरीबी मेंं अनेकों सुख होते हैं, केवल धैर्य के साथ समझने की जरूरत है। गरीब से अमीर बनने पर लोग गुड़-मिश्री पर मधुमक्खी की तरह भिनभिनाने लगते हैं। संभालने वाला होने से गरीब को कोई परेशानी नहीं, न होने से या तो हिस्सा डकारने कोई आ धमकेगा, वर्ना पहले से भी गरीब बना दिया जायेगा। इसमें कभी-कभी गलती गरीब की भी होती हैं कि अच्छा समय आते ही सुख हजम नहीं कर पाने से घमंड में अपना सुखद भेद दे देता है।

अमीर से गरीब बने को वैसी ही पीड़ा होती है, जैसे विजय प्राप्त करती भारतीय सेना को रोककर नेहरू ने POK जरिए देश की बेशकीमती जमीन पाकिस्तान को चांदी की तश्तरी में रखकर देने के बाद संविधान में एक नई धारा 370 जोड़ दी, जिसके अंतर्गत अनेकों देशविरोधी कुकर्मों में सबसे बड़ा कुकर्म था कि कश्मीरी लड़की से शादी करने वाले पाकिस्तानिये को तो भारतीय नागरिकता पाने के लिए कश्मीरी नागरिकता मिलेगी, लेकिन देश के अन्य राज्य के युवा से शादी करने वाली कश्मीरी लड़की की कश्मीरी नागरिकता भी खत्म हो जायेगी।

वैसे अनेकों झंझट भरी (बिन मतलब की) जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेने पर अमीर से गरीब बने का मानसिक-संतुलन पहले से बेहतर हो जाता है। सेनासेवा उपरांत लालू-अखिलेश गूर्गो द्वारा 4 लाख रुपए सैंध लगाने के बाद नकली दाढ़ी लगाए ईसाई-परस्त खालिस्तानी द्वारा ₹18 लाख अजब-गजब तरीके से लूटकर मेरी साईकिल-TV तथा फ्रिज पर दखल बनाने के कारण, मेरे ऊपर गरीबी का ऐसा कोहराम मचा हुआ है कि इस वर्ष फरवरी में जीवन में पहली बार मतदान से वंचित रह गया।

1978 से 2014 तक सेनासेवा दौरान अनेकों सुविधाएं तथा Ballet Paper द्वारा मतदान का सुख था तो, सेनासेवा, समाज, परिवार तथा मानवता हेतु जिम्मेदारियां भी थी। हाड़-तोड़ मेहनत के बावजूद लूटेरे हिंदुओं, परिचितों, गूर्गों तथा नकली दाढ़ी लगाए ईसाई-परस्त खालिस्तानी ने जीवन में जब मुझे नीजि मकान सहित किसी प्रकार का सुख लेने ही नहीं दिया तथा अब वृद्धावस्था का नाममात्र सुख लेने नहीं दे रहे तो मुझे भी हिंदुत्व, मानवता, धार्मिक तथा परिचितों की जिम्मेदारियों से अब पल्ला झाड़ना पड़ा। इससे भी इतर, गूर्गे तथा खालिस्तानी की लूटपाट के कारण एक कमरा तक नहीं बना पाने से मेरे पारिवारिक सदस्य भी मुझसे विमुख हो गए, जिससे अकेला पड़ा कराहता रहता हूं, लेकिन जिम्मेदारी मुक्त होने से अब वास्तविक इंसान के प्रति ही मेरा लगाव है।

अखिलेश मुख्यमंत्रित्व काल में आगरा वासी को गूर्गा तब भी 2016 में मुझे पेंशन मिलने से 10 दिन पहले मेरे पास ले आया, जब्कि दोनों को कई बार बता दिया था कि सुबेदार (मैं खुद) इतना भी शरीफ नहीं, इसलिए मुलाकात मत करो। लेकिन आगरा जैसी विशेष जगहों के निवासी तथा गूर्गे खुद को अति विशेष समझकर इस तरीके से पेश आयेंगे कि सैनिक शक्तिशाली होने पर चरण वंदना, कमजोर होने पर मदद बहाने पेंशन में लूटपाट। उसी का नतीजा था कि 2017 में अखिलेश सदैव के लिए नेपथ्य में, 2020 तथा 2021 में Corana के कारण ताजमहल में तालाबंदी तथा फरवरी में पंजाब निवर्तमान मुख्यमंत्री चन्नी द्वारा यूपी-बिहार वासियों को निकलने के बयान से सम्पूर्ण भारत में सैनिकों को लूटने वाले गूर्गों तथा गूंडों को चेतावनी भरा आगाज़ शुरू हो गया। चन्नी ने 2% गूर्गों तथा गूंडों को निकलने की चेतावनी दी थी, न कि उत्तर प्रदेश तथा बिहार वासी 98% मेहनतकश तथा देशभक्तों को।

सेनासेवा दौरान सैनिकों पर पत्थरबाजों को भी बाढ़-राहत तथा खुद से पहले भोजन खिलाने की मेरी मजबूरी भी। देश में भरे पड़े केजरीवाल जैसे Corona कालीन हत्यारों के वेतन के लिए आयकर रूप में धन देना पड़ता था। मेरे मकान का ताला तोड़कर मुझे बेघर बनाने वाले लूटेरों तथा खालिस्तानियों की रक्षा के लिए बाध्य था।




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