1ºदुहाई दी जिस शराफत की, ना सीख पाये ताउम्र कभी।
यह मेरी दो लाईनें उस औरत पर 100% सत्य उतरती हैं जिसे जवानी के प्रारम्भिक वर्षों में अलग अलग मर्दों को,औरतों को दारू पिलाने का घृणित नहीं उसका स्वयं का चुना हुआ कार्य किया। मैं नहीं कह रहा, सांसद सुब्रहमण्यम स्वामी की मानें तो स्वेच्छा से अनेक मर्दों का बिस्तर भी गर्म किया और आज विदेशी औरत वह इस लोकतन्त्र में उसके इतालवी नस्ली शहजादे को धोबीपाट लगा कर चित्त करने वाली गरिमामयी मंत्री को उंगली दिखा कर बात करेगी?
बारबाला जी, मत भूलो जनतन्त्र ने वह तुम्हारी उंगली पहले ही तोड़ दी है। अब तो प्रतीक्षा है प्रवर्तन निर्देशालय तुम्हें उस टेढी उंगली को कहां कहां लेने को मजबूर करता है , भारत के इतिहास की सबसे बड़ी लुटेरी बूढी बाघिन नहीं, सियारिन।
2ºमेरी समझ में यह नही आया कि स्मृति ईरानी जी को इतना गुस्सा किस बात पर आया कि महिला राष्ट्रपति महोदया का अपमान हुआ या महिला और आदिवासी राष्ट्रपति महोदया का अपमान हुआ क्योंकि जब भी इस पद पर कोई बैठ जाता हैं तो वह जाति धर्म और स्त्री लिंग और पुल्लिंग से बहुत ऊपर उठ जाता हैं और वह इन सब से परे हो जाता हैं और रही बात हम आदिवासियों के मान सम्मान की तो वह हम चाहे उच्च पद पर बैठ जाये या किसी दफ्तर में किसी पद पर बैठ जाये हमे गोंड़ गंवार ही समझा जाता हैं️