1ºअधीर रंजन खुद एक पाखंडी लगते हैं.और झूठे भी.एक एक इंच सत्ता लोलुप.अधीर रंजन अभी दिवास्वप्न देख रहे हैं इस सपने में उनकी लोलुपता ही समझ में आती है.जो राष्ट्रपति की इज़्ज़त नहीं कर सकता वो संसद में बैठने के लायक नहीं है.और जिस बयानबाज़ी को सदन में या सार्वजनिक रूप से दिया गया है उससे अगर माफी मांगना है तो सदन ही में मागे या सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे यदि यह भी नहीं कर सकते तो अपनी दस्तखत से अपने पैडपर लिखित रूप से माफी मांगे तब कहीं यह समझा जाएगा कि अधीर रंजन ने माफी मांगा.
नहीं तो उनको सदन से बाहर रखा जाए.
अधीर रंजन बड़े लीडर हैं नहीं हैं यह सवाल नहीं है जो बयान किया या दिया वह बयान केवल अधीर रंजन को ही नहीं सारे कांग्रेसियों को छोटा बनाने के लिये काफ़ी है.बल्कि कहा जाए कि सभी ऐसे ही हैं तो ग़लत नहीं होगा.
कुछ एक दिनों पहले पवन खेड़ा और जयरामरमेश ने भी नेहायत बेहूदा बयान दिया था जो यह साबित करता है कि कांग्रेसियों को तमीज़ नहीं है.
एक समय तो आंख मारना तक सदन में हो चुका है....!
हरकती कांग्रेसी हैं.इनकी हरकतें ओवर स्मार्ट इनको बुढ़ौती में बना रही हैं जिसका मतलब जनता खुद लगाए.