60 साल पुराने MiG-21...मोह या मजबूरी?

60 साल पुराने MiG-21...मोह या मजबूरी? देखिए #BlackAndWhiteOnAajTak Sudhir Chaudhary के साथ

           

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आधुनिक शस्त्रों, उपकरणों और साधनों आदि की कमी इसलिये है...

देशद्रोही, राजद्रोही, अपराधी और न्याय का हत्यारा संविधान

1. देश को विदेशी कर्ज से चलवाने वाला संविधान देशद्रोही है.

2. राज्यों को आंतरिक कर्ज से चलवाने वाला संविधान राजद्रोही है.

3. राज्य से लूटपाट करवाने वाला संविधान अपराधी है.

4. देश की रक्षा व्यवस्था में कमी रखवाने वाला संविधान देशद्रोही है.

5. और न्यायालयों और न्यायाधीशों की कमी रखवाने वाला संविधान न्याय का हत्यारा है.

संविधान ने राज्य से अवैध व्यापार करवाकर और अवैध स्कूल, कॉलेज और अस्पताल चलवाकर भारत को कमजोर, कर्जदार और दिवालिया बना दिया और न्याय की हत्या कर दी और रक्षक राज्य को लुटेरा बना दिया.

देशद्रोही सरकारी बैंकें, ट्रेनें, बसें, बीएसएनएल और डाकघर आदि और अन्य समस्त सरकारी व्यापार और उद्योग और देशद्रोही सरकारी स्कूल, कॉलेज और अस्पताल आदि देश को विराट और भयानक नुकसान पहुंचा रहे है और न्याय की हत्या कर रहे है.

पढ़ाना और इलाज करना और व्यापार करना राज्य का काम नहीं होने से राज्य के पास इन तीनों अवैध कामों के लिये कोई फंड नहीं होने से व्यापार में घाटा देने वाले कर्मचारियों को और सरकारी प्रोफेसरों, टीचरों और डॉक्टरों आदि को भारी-भरकम वेतन देने के लिये और आजीवन भारी-भरकम पेंशन देने के लिये व्यापार में घाटा खा खा कर दिवालिया हो चुकी सरकारों को आंतरिक और विदेशों से विराट कर्ज लेना पड़ रहा है और पेट्रोल-डीजल आदि पर हद से ज्यादा टैक्स बढ़ा बढ़ा कर और अवैध टोलटैक्स लगा लगा कर प्रजा को लूटना पड़ रहा है. इसलिये महंगाई बढ़ रही है और दिवालिया राज्यों पर और दिवालिया भारत पर विराट कर्ज चढ़ रहा है. जबकि राज्य कर्ज से चलने वाली और लूटपाट करने वाली संस्था नहीं है.

विराट विदेशी और आंतरिक कर्जों का विराट ब्याज देश को और राज्यों को विराट नुकसान पहुंचा रहा है. और टोलटैक्स अवैध इसलिये है क्योंकि राज्य रोड़टैक्स ले रहा है.

टैक्स से चलने वाले राज्य के दो ही काम है रक्षा करना और न्याय करना. इसलिये राज्य का सारा रुपया रक्षा और न्याय आवश्यकताओं को पूरा करने में ही लगना चाहिये. लेकिन राज्य का अधिकांश रुपया देशद्रोही और न्याय के हत्यारें सरकारी व्यापार, स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों में लगने-डूबने से सरकारें न्यायालयों और न्यायाधीशों की कमी को, सैन्य और पुलिस बलों की कमी को, आधुनिक शस्त्रों, उपकरणों और साधनों आदि की कमी को, जेलों और थानों की कमी को, सड़कों और पुलों की कमी को, रेलवे लाइनों और ओवरब्रिज की कमी को, पोर्ट की कमी को, अधिकांश जिलों में एयरपोर्ट की कमी को और बांध आदि की कमी को पूरा नहीं कर पा रही है. इसलिये भारत रक्षा के हर क्षेत्र में कमजोर है और न्याय बरसों में मिल रहा.

बरसों में न्याय मिलना न्याय की हत्या है. बरसों में न्याय मिलने से जेलों में बंद लाखों विचाराधीन बंदी ऐसे भी है जिन्हें जल्द न्याय मिल जाता तो उनके सजा की अवधि उनके बंदी जीवन से कम होती. जुर्म की सजा से ज्यादा सजा देना भी न्याय की हत्या है.

दूसरी तरफ, रक्षा आवश्यकताओं की कमी सेना, पुलिस, प्रजा और देश को कई रूपों में भयानक नुकसान पहुंचा रही है.

निजीकरण का विरोध करने वाले और राज्य से स्कूल, कॉलेज और अस्पताल चलवाने वाले और संविधान को सही बताने वाले देशद्रोहियों और न्याय के हत्यारों यह तो बताओ दिवालिया भारत पर चढ़ चुका 135 लाख करोड़ से अधिक का विदेशी कर्ज कौन चुकायेगा? और दिवालिया राज्यों पर चढ़ता जा रहा विराट आंतरिक कर्ज कौन चुकायेगा? और न्याय के लिये बरसों से तरस रहे करोड़ों पीड़ितों को न्याय जल्द कैसे मिलेगा? और जुर्म की सजा से ज्यादा सजा पा रहे लाखों विचाराधीन बंदी कब रिहा होंगे?


Job hum new gadi purchase karte us ki life 15 yars hai Aur condition achi hoghe too 2/3 year gadi ki life Aur bar sakte hai lakin sarkar apne upkarno ko 50 yars tak chala rahe hai magar sarkar in mig 21 jese aur key upkarn hai sarkar kese inko izazat dey rahe hai chalne ki jin upkarno ki life katam hai fir bee in upkarno ki udden bar rahe hai is desh mai gutalwaz ki kami nahi hai kush chand gutelewaze Dono hatho se Desh lot rahe hai lotoo logoo ek tumara hishab upper Walla kud tumse ley lega akhir kab tak ese nojawano ko apne jan guwane pere ghee ?