1ºAli Naushad अब क्या उनको उनकी आतंकी साजिशों पर भी ना कोसें मतलब ? 26/11 अकेले मे ही कितने मार डाले बेकसूर उनके भेजे आतंकियो ने याद रखिए वहां की लगमग आधी से ज्यादा जनता चाहती ही यह है कि भारत मे कभी शांति ना बनी रहे इसलिए अब क्या हम कोसे भी ना उनको ? और रही बात खेल की तो क्रिकेट भी बंद ही है almost कितने सालों से ,,हुई कोई सीरीज़ इतने साल मे ?
यह मैच भी तब होते जब कोई अंतराष्ट्रीय टूरनामैंट होते !!
एक उदाहरण देखिए कि यह मैच जीतने पर कोई अफगानी भाई भारतीय प्लेयर को टीवी पर चूमता वाली वीडीयो वायरल हुई ,,,उस बेचारे के पीछे पड़ गए कि यह मुस्लमान होकर काफिरों का साथ दे रहा है सोच तो देखो उस मुल्क के लोगों की ,,,हम आप भी कितने मुस्लमान खिलाड़ियों के fan होगें तो क्या हम गलत हो गए ,,,यार सोच का फर्क ही बहुत ज्यादा इसिलिए विरोध करते हैं ऐसी हरकतों का और कोसते है उनको !!
2ºAshok Sharma यह कौन सी नई बात है यह अकेला थोड़े ही है इनमें अटल बिहारी वाजपेई लालकृष्ण आडवाणी अजीत डोभाल नरेंद्र मोदी आदि शामिल है इनका पाकिस्तान प्रेम भूल गए क्या?
अटल बिहारी वाजपेई भारतीय सरकारी बस लेकर पाकिस्तान गया था लालकृष्ण आडवाणी मोहम्मद अली जिन्ना की मजार पर सजदा कर के आया था अजीत डोभाल साहब पाकिस्तानी आतंकवादी को अपने साथ जहाज में बैठाकर कंधार छोड़कर आए थे नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में दुश्मन देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को बुलाया था अपने पठानकोट एयर बेस का निरीक्षण पाकिस्तान की आईएसआई से कराया था वही आई एस आई जो भारत में आतंकवाद फैल आती है नरेंद्र मोदी बगैर बुलाए पाकिस्तान बिरयानी खाने चले गए थे
R.s.s. से संबंधित लोगों का पाकिस्तान व उसके जनक मोहम्मद अली जिन्ना से प्रेम तो बहुत पुराना है