Delhi School Admission: दिल्ली सरकार के स्कूलों में बढ़े हैं स्टूडेंट्स के एडमिशन, इन आंकड़ों से समझें

इकोनॉमिक सर्वे ऑफ़ दिल्ली के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 4 सालों में सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट्स के दाखिलों में लगातार इजाफा हुआ है. #Delhi #AAP | (Pankaj Jain)

           

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नया दिन, नया झूठ, नई बेइज्जती..... लेकिन शर्ट वही पुरानी और बेशर्मी तो ऐतिहासिक है

महान केजरीवाल साहब से आज नीली शर्ट पहन कर घोषणा की.... कि दिल्ली ने देश का पहला virtual स्कूल शुरू कर दिया है.

अब केजरीवाल तो IIT से पढ़े हुए हैं..उनके अलावा तो दुनिया में सब अनपढ़ हैं जी.... किसी को पता नहीं कि Virtual स्कूल क्या होता है.

लेकिन भला हो Internet का और Google महाराज का... हमने search मारी और पता लगा कि यह व्यवस्था तो उत्तराखंड में 2 साल से है.

केजरीवाल साहब कह रहे कि देश में पहली बार हो रही है.... इसी से पता लगता है यह कितना बड़ा झूठा है. यह जब भी नीति शर्ट पहनता है, पक्का झूठ बोलता है



देशद्रोही संविधान निर्माता ने समृद्ध भारत को दिवालिया बनाने के लिये और भारत को कमजोर रखने के लिये रक्षक राज्य को व्यापारी, शिक्षक और चिकित्सक बना दिया. और कानूनों का पालन करवाने वाली सरकारों को ही कानून बनाने का अधिकार देकर अदालतों को सरकारों के अधीन कर दिया ताकि अदालतें दिवालिया सरकारों को कर्ज लेने से, लूटपाट करने से और देश की रक्षा व्यवस्था में कमी रखने से रोक नहीं सके. और रोके तो सरकारें कानून बनाकर अदालत के फैसले को पलट दे.

व्यापार में घाटा खा खा कर दिवालिया हो चुकी सरकारें
घाटा देने वाले कर्मचारियों को
और सरकारी प्रोफेसरों, टीचरों और डॉक्टरों आदि को
भारी-भरकम वेतन और आजीवन भारी-भरकम पेंशन देने के लिये
आंतरिक और विदेशों से विराट कर्ज ले रही है
और पेट्रोल-डीजल आदि पर हद से ज्यादा टैक्स बढ़ा बढ़ा कर
और अवैध टोलटैक्स लगा लगा कर लूटपाट कर रही है
इसलिये महंगाई बढ़ रही है
और दिवालिया राज्यों पर और दिवालिया भारत पर विराट कर्ज चढ़ रहा है
जबकि राज्य कर्ज से चलने वाली और लूटपाट करने वाली संस्था नहीं है

विराट विदेशी और आंतरिक कर्जों का विराट ब्याज देश को और राज्यों को विराट नुकसान पहुंचा रहा है. और टोलटैक्स अवैध इसलिये है क्योंकि राज्य रोड़टैक्स ले रहा है.

व्यापार की श्रेणी में आते है सरकारी बैंकें, यात्री जहाज, हवाईजहाज, बसें, ट्रेनें और भाड़ा मालगाड़ियां आदि और सार्वजनिक बिजली का उत्पादन और विक्रय करना, मकान बनाकर बेचना, उद्योगों का संचालन करना, पेट्रोलियम पदार्थ आदि का आयात और आपूर्ति करना, बीमा करना, डाकघर चलाना, वेअर हाउस किराये से चलाना, दूध डेयरी प्लांट चलाना, खादी भण्डार चलाना, फोन पर बातें कराना आदि काम भी व्यापार की श्रेणी में आते है और व्यापार करना राज्य का काम नहीं होने से ये सब देश को भयंकर घाटा देते ही रहेंगे.
और पढ़ाना और इलाज करना राज्य का काम नहीं होने से सरकारी पढ़ाई और इलाज का स्तर घटिया ही रहेगा.

टैक्स से चलने वाले राज्य के दो ही काम है रक्षा करना और न्याय करना. इसलिये राज्य का सारा रुपया रक्षा और न्याय आवश्यकताओं को पूरा करने में ही लगना चाहिये. लेकिन सरकारें न्यायालयों और न्यायाधीशों की कमी, सैन्य और पुलिस बलों की कमी, आधुनिक शस्त्रों, उपकरणों और साधनों आदि की कमी, जेलों और थानों की कमी, सड़कों और पुलों की कमी, रेलवे लाइनों और ओवरब्रिज की कमी, पोर्ट की कमी, अधिकांश जिलों में एयरपोर्ट की कमी और बांध आदि की कमी रखकर राज्य का अधिकांश रुपया अवैध सरकारी व्यापार, स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों आदि में लगा लगा कर डुबा रही है. फलस्वरूप भारत रक्षा के हर क्षेत्र में कमजोर है और न्याय बरसों में मिल रहा.

रक्षा आवश्यकताओं की कमी सेना, पुलिस, प्रजा और देश को कई रूपों में भयानक नुकसान पहुंचा रही है.

मजेदार बात यह है कि देश को कमजोर और दिवालिया बनाने के बाद भी सरकारी पढ़ाई और इलाज फ्री नहीं है.
सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों को पढ़ाने वाले और सरकारी अस्पतालों में इलाज करवाने वाले जो आवश्यकता की वस्तुएँ खरीदते है उनमें सरकारों के लूटपाट वाले टैक्स और अवैध टोलटैक्स भी शामिल है जिन्हें चुकाकर वे घटिया सरकारी पढ़ाई और इलाज की फीस निजी स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों की फीस से ज्यादा ही चुका रहे है.

संविधान ने शासन चलाने के लिए प्रजा में से वोट द्वारा शासन चलाने वालों को तो चुन लिया लेकिन प्रजा में तो कानूनी ज्ञाता, न्यायविद्, शिक्षाविद्, चिकित्साविद्, अर्थशास्त्री और समाजशास्त्री आदि भी तो है लेकिन संविधान ने इनको संसद और विधानसभा के लिए आमंत्रित कर कानून बनाने का अधिकार नहीं दिया. इसलिये लागू संविधान अर्ध प्रजातान्त्रिक है.




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