ड्रग एडिक्ट हैं दुमका कांड के दोनों आरोपी, आतंकी लिंक पर अंकिता के पिता ने कही ये बात

झारखंड के दुमका की अंकिता सिंह को जलाकर मारने का आरोपी शाहरुख और उसका दोस्त छोटू ड्रग्स लेते हैं. इस बात का खुलासा खुद अंकिता सिंह के पिता संजीव सिंह ने किया है. #Jharkhand | (Suryagni Roy)

           

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जिस तरह से अंकिता का हत्यारा निर्भय होकर, एटीट्यूड दिखाते हुए पुलिस के साथ जाता दिख रहा है, स्पष्ट है कि वह अपनी सुरक्षा और उज्ज्वल भविष्य के प्रति पूर्ण आश्वस्त है।
कदाचित, बाहर उसे खतरा होता, लेकिन अब वह कई सुरक्षा कवचों में बन्द है और हो सकता है कुछ समय बाद छूटकर कोई नेता वगैरह भी बन जाये, क्योंकि वहाँ अक्सर ऐसे ही लोग हीरो माने जाते हैं।
स्पष्ट है, देश का नाम भले ही हिंदुस्तान है, संविधान बनाने वाले अंबेडकर भी हिन्दू हैं, जज, न्यायपालिका, प्रशासन, जेल, पुलिस के जवान भले ही हिन्दू हैं, लेकिन तन्त्र कुछ इस तरह से विकसित है कि सबको शाहरुख_की_चाकरी में लगना ही पड़ेगा।
अंकिता की हत्या से भी बड़ा दुःख यह है कि उसका हत्यारा, उदयपुर के कन्हैयालाल के हत्यारे, आराम से वर्षों वर्ष जीते रहेंगे, खाते पीते रहेंगे और जनता के सामने सुरक्षित आवागमन करते रहेंगे।
इन दिनों मच्छर बहुत हैं।
मच्छरों के बारे में प्रसिद्ध है कि वे कीटनाशक की बोतलों के पीछे भी छिपे बैठे रहते हैं।
घर में आपके शयन के स्थान, एक, दो या तीन होंगे लेकिन मच्छरों के हजारों होंगे।
जितना बड़ा घर, मच्छरों को उतनी ही सुविधा।
जितना अधिक समान, जितने अधिक कोने, मच्छरों के बचने के उतने ही अधिक अवसर।
आपने घर अपने लिए बनाया लेकिन डेरा डाल रखा है मच्छरों ने। आप सामान अपने लिए लाए हैं लेकिन वह उपयोग कर रहे हैं मच्छर।
कितने शर्म की बात है कि आपको अपने ही घर में अपने ही बिस्तर पर मच्छरदानी के आवरण में सोना पड़ रहा है।
यदि अधिक जहर छिड़कते हैं तो नुकसान आपको और आपके बच्चों को भी होता है।
तो क्या जूँओं के भय से घाघरा ही छोड़ दें?
मच्छरों के भय से घर छोड़ नहीं सकते।
ये स्वेदज प्राणी है, गंदगी में उत्पन्न होने वाले, अपने आप पनपते हैं। एक मच्छरी ढेरों अंडे देती हैं।
कुछ मर गए तो भी कोई परवाह नहीं। इनका संख्याबल, इनकी प्रजनन दर, इनकी गंदगी में रहने की सामर्थ्य इनकी ताकत है ही।
लेकिन आपका आरामतलबी होना, अधिक सामान जुटाना और अत्यधिक सुविधाभोगी होना भी मच्छरों को निरापद बनाता है।
आप प्रकृति के भरोसे, अत्यधिक गर्मी या सर्दी की प्रतीक्षा में मच्छरों की समाप्ति का इंतजार कर रहे हैं?
पिछले वर्ष भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को धूम्र_यज्ञ हुआ था। पूरा देश एक साथ, एक ही दिन, एक ही मुहूर्त में यदि धूम्र यज्ञ करता है तो मच्छरों की समस्या हल हो सकती है।
क्योंकि तब इस घर के मच्छर उस घर में नहीं घुस पाएंगे।
अन्यथा अभी क्या हो रहा है, आप अपने घर धुंआ करते हैं, मच्छर पड़ोसी के यहाँ जाकर बैठ जाते हैं, थोड़ा टेस्ट चेंज करके फिर से लौट आते हैं।
मच्छरों ने सभ्य मानव की मजबूरियों को समझ लिया है और वे जानते हैं कि वे पुलिस की जीप में भी सुरक्षित हैं।


फ़िल्में बायकाट होने पर भी बॉलीवुड की अकड़ को हलके में ना लें। ये उनका आत्मविश्वास है कुछ शरारत करने के लिए। मगर फिर भी “बायकाट” जारी रहे।

बॉलीवुड की फिल्मों का बहिष्कार हो रहा है मगर फिर भी उनकी अकड़ बरकरार है और धमकी भरे अंदाज में बात कर रहे हैं। इसे हलके में नहीं लेना चाहिए क्यूंकि ये उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है कि बॉलीवुड कुछ भयंकर कर सकता है अपने आकाओं के निर्देशन में जो दुश्मन मुल्क में बैठे हैं।

मुनव्वर फारुकी जैसे पिटे हुए कलाकार को खड़ा करने के लिए लिबरल इको सिस्टम ने ऐसा खेल खेला कि पूरे हैदराबाद को दंगों की चपेट में ले लिया। ऐसा कुछ हथकंडा बॉलीवुड अपनी फ़िल्में चलाने के लिए भी अपना सकता है।

इन लोगों के बेहूदा बयानों को सुनकर भला कोई स्वाभिमानी व्यक्ति कैसे उनकी फिल्म देख सकता है।

- एकता कपूर कहती है “बहुत अजीब बात है कि हम उन लोगों का बहिष्कार कर रहे हैं जिन्होनें सबसे अच्छा बिज़नेस दिया है। इंडस्ट्री के सभी खान (शाहरुख़ खान, सलमान खान, आमिर खान), और विशेष रूप से आमिर खान लीजेंड हैं। हम उनका बहिष्कार नहीं कर सकते। आमिर खान का कभी बहिष्कार नहीं किया जा सकता”

मैडम एकता का मत है कि जनता के पैसे पर ये लोग राजा बने, इसलिए लोग इनकी गुलामी करते रहे जैसे इनके बाप के नौकर हों।

- करन जोहर की 600 करोड़ की लगत से बनी फिल्म “ब्रह्मास्त्र” 9 सितम्बर को आ रही है और ये जनाब कहते हैं। “मुझे लोगों का हिन्दी में बात करना बहुत घटिया और ख़राब लगता है” और कल आगे भी बोले हैं ये जनाब। “बॉयकॉट गैंग ट्रोल का एक समूह है और उन्हें मैं गंभीरता से नहीं लेता। मैं उन्हें अपनी फ़िल्में देखने के लिए मजबूर नहीं कर रहा हूं और न ही मैं तुम्हारी कनपटी पर बंदूक रख रहा हूं, देखनी हो तो देखो और न देखनी हो तो मत देखों मेरी फिल्म।”

उधर “ब्रह्मास्त्र” का हीरो हीरालाल रणबीर कपूर बड़े फक्र से कह रहा है, हम तो पेशावर के हैं, पाकिस्तान के, इसलिए मुझे मीट पसंद है। “I am a big Beef fan” इसका बाप भी गौमांस खाने की वकालत करता था। उसकी नई बेगम “आलिया भट्ट” कह रही है, लोग मुझे पसंद नहीं करते तो मेरी फिल्म ना देखें।

तो भाई आज तक तुम्हारी फिल्मों को हिन्दी बोलने वाले नहीं देखते रहे अभी तक। जाइए, अब देखेंगे ही नहीं, भाड़ में जाओ तुम और चूल्हे में जाएँ तुम्हारी फ़िल्में।

ये तो हाल तब है जब इसकी Liger फेल हो गई और 150 करोड़ की टाइगर श्रॉफ के हीरो के रोल की फिल्म Screw Dheela लाने की हिम्मत नहीं कर रहा।

बॉलीवुड के नवाब शाहरुख़ खान भी कहते हैं। हिम्मत है तो मेरी पठान बायकॉट करके दिखाओ। इसकी फिल्म भी हर हाल में धराशाई करनी पड़ेगी क्यूंकि ये व्यक्ति भारत नहीं, पाकिस्तान के लिए मदद का हाथ बढ़ाता है; उनकी क्रिकेट टीम जीतने में अपने “वालिद” के मुल्क की जीत देखता है, कथित ISI एजेंटो के साथ सम्बन्ध दिखाई देते हैं इसके जब इसकी और इसकी बीवी की फोटो उनके साथ वायरल होती हैं और इतना घमंड है कि तीन खानों को एक साथ फिल्म में देखने वालों को कहता है कि बर्तन बिक जायेंगे, इतना पैसा लगेगा।

सलमान खान कहता है, उसे वो फिल्म पसंद नहीं हैं उसे जिसमें पाकिस्तान को बुरा कहा जाये। सबसे बड़ा कमाल तो जावेद अख्तर के बेटे फरहान अख्तर ने किया है। वो कह रहा है, हमारी फिल्म अगर भारत के लोग नहीं देखते तो न देखें, हम दुनियां के अन्य देशों के लिए फिल्म बनाएंगे, जरूर बनाइये फिर भारत में रिलीज़ भी मत करना अगर हिम्मत हो तो।

भांडवुड कहिये या गटर वुड कहिये, युद्ध अब सनातन धर्म को जलील करने वालों के खिलाफ है और ये जारी रहना चाहिए।

9 सितंबर को आने वाली “ब्रह्मास्त्र” और 30 सितंबर को आने वाली “विक्रम वेधा” का प्रचंड बहिष्कार हो।

साभार
गोरखपुर वाले बाबा




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