दुमका की बेटी अंकिता को कब मिलेगा इंसाफ?

दुमका की बेटी अंकिता को न्याय दिलाने के लिए झारखंड के लोग सड़क पर उतर आये हैं. करीब हर जिले में आक्रोश रैली के साथ-साथ मशाल जुलूस निकाला जा रहा है. लोग आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग कर रहे हैं. आजतक संवाददाता Sumi Rajappan और Ashok Singhal इसपर ज्यादा updates के साथ देखिए #AajKaAgenda पूरा शो, Malika malhotra के साथ: https://bit.ly/3AuPXKC #AT2Video #Jharkhand

           

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अंकिता!
एक सामान्य सपने ले कर जीने वाली लड़की। झारखंड के एक मध्यमवर्गीय परिवार की बेटी, जिसने अभी जीना शुरू भी नहीं किया था कि जला कर मार दी गयी। क्यों? क्योंकि किसी शाहरुख का दिल आ गया था उसपर! उसे बीवी बना कर अपनी झोपड़ी में ले जाना चाहता था। एक पढ़ी लिखी लड़की किसी जाहिल से विवाह का प्रस्ताव क्यों स्वीकार करती? सो मना कर दिया।

शाहरुख को चुभ गयी बात। वही बर्बर मुगलिया सोच! जो पसन्द आ गयी वह मेरी है। खिलजी से लेकर अकबर तक सबने यही तो सिखाया है। किसी अंकिता की इतनी औकात कि वह किसी शाहरुख की बात काट दे? शाहरुख घर में घुसे, पेट्रोल गिराया और जला दिया...

लड़की खुद दौड़ कर आंगन में आई, बाल्टी से पानी लेकर अपने ऊपर उड़ेला... अठारह वर्ष की बच्ची की जीने की लालसा! इस छोटी आयु में मरना कौन चाहता है? अस्पताल में वह हर मिलने वाले से एक ही बात पूछती थी- "मैं बच तो जाऊंगी न?"

पर नहीं बची। नब्बे फीसदी जल गई थी, कैसे बचती? जीवित जला दी गयी लड़की की पीड़ा कोई नहीं समझ सकता। कितना तड़पी होगी... और उसके तड़पने से कितना खुश हुआ होगा शाहरुख न! इसी लिए तो जलाया था। कहता था- मेरी न हुई तो तड़पा कर मारूंगा!

कोई नेता, पत्रकार उससे मिलने अस्पताल नहीं गया। क्यों जाता? राजनीति लायक मुद्दा नहीं था न! मर गयी तो मर गयी... यह राजनीति और पत्रकारिता की संवेदना का स्तर है।

आप सोच कर देखिये, शाहरुख भी तो जानता होगा कि इसके बाद पकड़ा जाएगा और जिंदगी जेल में सड़ते हुए कट जाएगी। पर नहीं! वह जानता है कि उसके जैसे दस शाहरुखों ने यदि दस अंकिताओं को जला दिया, तो ग्यारहवीं अंकिता किसी शाहरुख को मना नहीं कर पायेगी। वह अपने मिशन में सफल है। यही उसकी विजय है। पूरा खेल खौफ फैलाने का है...

वह यह भी जानता है कि उसके मुद्दे पर न कोई नेता विरोध करेगा, न किसी टीवी चैनल पर डिबेट होगा। उसको बचाने के लिए फंडिंग होगी और सम्भव है कि कुछ वर्षों में वह जेल से बाहर आ कर सुखी जीवन जीने लगे। इस देश में ऐसा होता रहा है।

शाहरुख अंकिता के पीछे बहुत दिनों से पड़ा था। वह कई बार उसके घर जा कर धमका चुका था। हर बार अंकिता के पिता उसे समझाने का प्रयास करते और छोड़ देते। यकीन कीजिये, उसके पिता की इसी अति-सहिष्णुता ने अंकिता की जान ली। यदि वह पिता उसी समय पुलिस के पास जाता, राजनैतिक संगठनों के पास जाता, तो सम्भव था कि आज लड़की जी रही होती। पर किसी भी तरह चुपचाप मामले को सुलटा लेने के भाव ने अंकिता को मार दिया। यह कठोर सच है कि हमारे देश में बेटियों से जुड़े मामले में इस तरह की निर्लज्ज चुप्पी आम है।

आप देखियेगा, केस चलेगा तब शाहरुख की माँ मीडिया में आ कर कहेगी- "हम बहुत गरीब हैं। मेरा बेटा ही कमाने वाला है। उसे छोड़ दिया जाय!" देश की बौद्धिकता उछलने लगेगी, आधी रात को कोर्ट खुलने लगेंगे। सब उसकी ओर खड़े हो जाएंगे। अंकिता की पीड़ा किसी को याद नहीं रहेगी।

जिस देश में कभी एक महारानी की प्रतिष्ठा पर पूरा राज्य बलिदान दे जाता था, वह देश अब बेटियों की सुरक्षा करना तक भूल गया है। इस देश का इससे अधिक दुर्भाग्य कुछ भी नहीं।

#JusticeForAnkita
'जिस तरह मैं मर रही हूँ, वैसी ही मौत वो भी मरे' : उस अंकिता का आखिरी Video जिसे शाहरुख ने जलाया, नईम खान भी गिरफ्तार


शाहरुख को आप पीएलएफआई का चीफ बना दे ,सिमी से रिश्ता जोड़ दे, या फिर बांग्लादेशी जिहाद का भारतीय स्लीपर सेल का चीफ बना दे ये आपका एजेंडा हो सकता है लेकिन मेरे लिए यह एक ऐसा जघन्य अपराध है जिसका शिकार आज के दौर में कब कौन हो जाए कहना मुश्किल है।
इसलिए इस तरह के अपराध को धर्म और जाति से जोड़ना वैसा ही जैसे शुतुरमुर्ग खतरे को भांपकर रेत में सिर छिपा लेता हैऔर कंकड़-पत्थर खाता रहता है ।अंकिता के दादा जी उस दौर में मुंगेर से दुमका आये थे जब दुमका प्रमंडल होने के बावजूद एक छोटा सा कसवा था लेकिन जंगल से लकड़ी कटाई और पत्थर खनन के सहारे लोग काफी पैसा कमाये लेकिन जैसे जैसे नक्सली का जोड़ पकड़ता गया इस तरह का धंधा मंदा पड़ता गया फिर भी इनका पूरा परिवार बढ़िया से जीवन बसर कर रहा था उसी दौर में अंकिता के माँ को कैंसर हो गया उस समय अंकिता और उसकी बहन छोटी थी लोगों का कहना है कि उस दौर में अंकिता के पापा पत्नी को बचाने में दुमका और मुंगेर की सारी सम्पत्ति बेच कर लगा दिया लेकिन वो पत्नी को बचा नहीं सकी और उस घटना के बाद अंकिता का पिता टूट गया,दो बेटी है दूसरी शादी करेंगे तो फिर इसका क्या होगा इस सोच में अंकिता के पिता ने दूसरी शादी नहीं की, लेकिन धीरे धीरे वो शराब पीने लगे और अब तो स्थिति इतनी बिगड़ गयी है कि शराब का एक घूट लिए वो एक कदम आगे बढ़ा नहीं सकता है ,इसका असर बच्चों पर पड़ा माँँ नहीं रहने के कारण बेटी को जो समस्या होती है उस समस्या से दोनों बहन जुझने लगी जब तक छोटी थी दादा दादी चीजों को सम्भालती थी लेकिन जैसे जैसे बड़ी हुई इसका दायरा बढ़ता गया फिर रहा सहा कसर मोबाइल ने पूरा कर दिया बड़ी बहन अंतरजातीय विवाह की है और जब से बड़ी बहन घर छोड़ी अंकिता और स्वछंद होती चली गयी ।
शाहरुख ननिहाल में रहता है इसके पिता का भी बचपन में ही निधन हो गया था शाहरुख के मामा घर की रंगाई पोताई,प्लम्बर ,मार्वल लगाने के साथ साथ बिजली का काम करता है शाहरुख भी इसी काम में लगा रहता है, इस वजह से उस मोहल्ले के हर घर में इसका प्रवेश था, अंकिता के घर भी आना जाना होता था इसी में अंकिता के अकेले होने की वजह से शाहरुख और अंकिता दो तीन वर्ष पहले से करीब होने लगा लेकिन जैसे जैसे अंकिता बड़ी हो रही थी पापा और दादा दादी के जिम्मेवारी का एहसास उसे होने लगा था फिर वो स्कूल से बाहर निकली तो उसके दोस्तों का दायरा भी बढ़ा साथ ही जिम्मेवारी का एहसास भी होने लगा ।
लेकिन अकेली लड़की का स्वछंद हो कर जीना बिहारी समाज में कितना मुश्किल है हम सब बेहतर समझ सकते हैं ।बचपन में शाहरुख का साथ मिला जो इसकी हर जरूरतों को पूरा करता था लेकिन उसे ये समझ में नहीं आया कि इसका आने वाले समय में क्या कीमत चुकानी पड़ सकती है ।
बाद ही यही हुआ जैसे जैसे अंकिता का दायरा बढ़ा और उसकी सोच बदली और फिर उसके करीब एक और लड़का आ गया जिसका प्रभाव शाहरुख के साथ रिश्ते पर भी पड़ा इसको लेकर शाहरुख अंकिता के घर पहुंच कर काफी विवाद भी किया था पंचायत भी हुआ शाहरुख को दुमका छोड़ने को कहा गया ,इसी बीच इसी तरह की एक घटना में छह माह बाद जेल से एक सप्ताह पहले ही बाहर आया एक भिलेन का इन्ट्री होता है और वो शाहरुख को यह समझाने में कामयाब हो जाता है कि अंकिता तुम्हारी नहीं रही तो ये किसी कि भी नहीं रहे इसलिए इसको मार दो।
दुमका पुलिस शाहरुख को तो उसी दिन गिरफ्तार कर लिया था लेकिन दूसरे को कल पुलिस ने गिरफ्तार किया है फिलहाल आज अंकिता के घर उन्माद का समागम होने वाला है जिसके सहारे देश में मुसलमानों के खिलाफ जहर फैलाना की पूरी तैयारी है




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