हफ्तेभर में ही अडानी ने फिर Jeff Bezos को पछाड़ा, बने दुनिया के तीसरे सबसे अमीर

भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी एमेजॉन के जेफ बेजोस को पीछे छोड़ते हुए दुनिया के तीसरे सबसे अमीर इंसान बन गए हैं #GautamAdani #Business

           

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T. D. Singh राइट ऑफ, कर्जमाफी से बिल्कुल अलग है. राइट ऑफ में बट्टे खाते में डाल दिए जाते हैं जिससे बहीखाते में इस कर्ज का उल्लेख न हो बहीखाता साफ-सुथरा रहे. इसके बाद जब भी भगोड़े कारोबारी जिसने कर्ज लिया था, अगर पकड़ा जाता है तो कानूनी प्रक्रिया के तहत यह कर्ज वसूला जा सकता है. यह पूरी प्रक्रिया RBI के नियमों के तहत है.

अर्थात इन दोनों के बीच मुख्य अंतर यह है कि Waive Off का मतलब है कि लोन लेने वाले व्यक्ति को भुगतान करने के बोझ से मुक्त किया जाता है, वहीं write-off के मामले में वित्तीय संस्थान को लोन लेने वाले व्यक्ति से अभी भी लोन की राशि वापस पाने की उम्मीद है. waiving अर्थात कर्ज माफ़ सरकार कुछ नियमों के तहत करती है. जबकि जबकि बैंकों द्वारा अपनी बैलेंस शीट में बिना लोन की राशि का रिकॉर्ड रखने के लिए लोन write-off किया जाता है.


इन उधोगपतियों की तरक्की से परहेज नही है ताजुब्ब इस बात से है कि 130 करोड़ की आबादी वाले देश मे इन दो चार के अलावा किसी एक पास भी अनुभव और परिवार चलाने की क्षमता क्यो नही है? जनता त्राहिमाम कर रही,रोजी रोटी छीनती जा रही,दुकान व्यवसाय बंद पड़ते जा रहे,चारो तरफ मंहगाई की मार और बीजेपी की जय जयकार! बड़ा झोल है ऐसा चमत्कार जो जनता को ही नही पता! ये कौन सा वरदान है जो उधोगपतियों को मिला है और जनता दाने दाने को मोहताज है। कही ऐसा तो नही वर्तमान सरकार अपने प्रचंड नीतियों से जनता को गरीबी की उस दहलीज तक धकेल देना चाहती हैं जहां से मजलूम जनता की आवाज भी नही निकले। जनता को अर्थहीन लाचार बनाकर निर्बल बना देना चाहती हैं ताकि अपने अधिकारों के लिए सर न उठा सके! बहुत बड़ा झोल है इस सरकार के नीतियों में! लगातार अनगिनत अमान्य असहनीय टैक्स की मार जनता के खाने तक के थाली पर मार ये सुनियोजित ढंग से कमर तोड़ रही है सरकार! जनता अगर सतर्क नही हुई तो ये लोग पूरे समाज,राज्य,और उसके नागरिकों को ही निगल जाएंगे। इनका समर्थन जनता क्या कर दी ये तो जिस थाली में खाये उसी में छेद करने पर तूल गए है। सोचना होगा नसगरिको को ये असंवेदनशील हो गए है।


धन दोलत सोहरत पुर्व जन्मो की पुण्याई से मिलती है। कोई कैसी भी टिका टिप्पणी करे उससे कोई वह धनी अमीर होने से रूकेगा नही वह उसके प्रालब्ध से उसे मिल रहा किसी का ऐहसाण नही है। इस धन दौलत को अक्षुण रखना हो पिढी दर पिढी भोगना होतो आप इसमे से संकल्प करके कुछ हिस्सा आप देश सेवा सुखारत मन्दिर मठ धर्मशाला गुरूद्वारा तालाब बावडी पानी प्याऊ दवापानी शिक्षा दिक्षा भोजन आवास दीनहीन दुखी जरूरतमंदो के सेवा सुरक्षा गौशाला पशु पक्षियों के चारा पानी और भी कही भी किसी को भी आपसे मदद की दरकार हो वहाँ तन मन धन से सहयोग साहयता देनी करनी उनके उत्थान के लिए हर समय हर पल लगे ही रहना चाहिए तो यह दौलत आपको हर जंन्मजन्मातंरण तक ऐसे ही मिलती रहेगी भौगविलास मे पड गये आहार विहार धर्मध्यान आचरण बिगाड दिया तो भाई इसी जंन्म मे आँखो के सामने ही ये माया कैसे आयी कैसे सिमट गई पता ही नही चलेगा ये है माया का गणित। समझदार होकर कमा नही सकता है मूर्ख होकर गमा सकता नही है पुर्व जंन्मो के पुण्य पापो का ही फल है। कोई किसीको दे नही सकता कोई किसी से ले नही सकता बाकी सब बकवास है जो निकम्मे हो वोह.करते रहो उल्टे सामनेवाले के मैल धो रहे है अपने संचित पुण्य खत्म कर रहे है।
।। राम राम राम राम राम।।


मोदी साहब को आज भी देश बहुत इज्जत देते हे पर अगर ऐसा ही रहा तो नफरत भी बहुत जल्दी करने लगेंगे मोदी जी ने ताली थाली बजवाई, दिए जलाए, तिरंगा लगवाए,लॉकडोन लगा या, नोट बंदी सबने माना जबकि देश को सिर्फ नुकसान हुआ कोई फायदा हुवा नहीं आप अगर बड़े उद्योग पती को छोड़ कर छोटे उद्योग करने वालो को सुविधा दे न दे अनाज लोगों को मुफ्त। लोगों को रोजगार दे। आज रोजगार और मंहगाई सबसे बड़ा मुदा हे ना आप मंहगाई का म बोलते हो न रोजगार का र बस नौटंकी आप छोटे तीस चालीस लाख तक का सालाना जॉब वर्क करने वालों को जीएसटी माफ करे जीएसटी की वजह से छोटे काम धंधा करने वाले काम नहीं कर पाते एक छोटा व्यापारी काम सुरु करेगा तो कम से कम ६से १० लोगों तक को रोजगार देगा जो की अभि लोग नहीं कर पा रहे उनको दो बिजली कम रेट पर देखो कैसे रोजगार की समस्या कुछ हद तक कम होगी। लोगों को फ्री राशन ना दो महंगाई कम करो जमीनी स्तर पर बहुत चीजे हे अभि तो लोग किसी तरह गुजारा कर रहे आने वाला टाईम बहुत बुरा आने वाला हे अडानी जेसे लोग भी हे और ऐसे भी जो बहुत मेहनत करके भी अपने परिवार को नहीं पाल पा रहे हे l ना मोदी अमर रहेगा ना कोई और बस काम ऐसा करो आने वाली पीढ़ी याद करे। नेहरू जी के बारे में कुछ भी अफवाह फैलाओ पर सोचो वो भी अनाप शनाप बयानबाजी, इसका उसका नाम बदलते और काम कुछ नही करते बस अंग्रेजो को कोसते रहते या किसी और को कोसते तो आज हम कहां होते अगर बड़े बड़े उद्योग, हस्पताल,बांध, सड़के, स्कूल, कॉलेज, एलआईसी, ओएनजीसी, जैसी संस्थान ना बनाते तो आज हम कहां होते


टाटा समूह में 7,50,000 कर्मचारी हैं।
एल एंड टी में 3,38,000 लोग कार्यरत हैं।
इंफोसिस में 2,60,000 कर्मचारी हैं।
महिंद्रा एंड महिंद्रा के 2,60,000 कर्मचारी हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के 2,36,000 लोग हैं।
विप्रो में 2,10,000 कर्मचारी हैं।
एचसीएल में 1,67,000 कर्मचारी हैं।
एचडीएफसी बैंक में 1,20,000 कर्मचारी हैं।
आईसीआईसीआई बैंक में 97,000 कर्मचारी हैं।
टीवीएस समूह में 60,000 कर्मचारी हैं।

मात्र ये दस कंपनियां मिलकर लगभग 25 लाख भारतीयों को रोजगार देती हैं - सम्मानजनक वेतन के साथ।

ये केवल वो आँकड़े हैं जो इनके डायरेक्ट पेरोल पर हैं। इनके अलावा ऑफ रोल्स, ऐसोशिएट्स, डीलर्स, एजेंट्स, इनके प्रोडक्ट्स से जुड़े सहायक प्रोडक्ट्स की कंपनियां। इनके सहारे जन्मी पैकेजिंग कंपनियां, ट्रांसपोर्ट सेक्टर। लिस्ट बहुत लंबी है।

किसी कंपनी के अगर डायरेक्ट 1 लाख कर्मचारी हैं तो मान के चलिए कि कम से कम चार लाख ऐसे हैं जिनका चूल्हा उसी कम्पनी के कारण चलता है।

और मैं मात्र 10 बड़ी कंपनियों की बात कर रहा हूँ। हजारों ऐसी प्राइवेट कंपनियां हैं देश में जो रोजगार पैदा कर रही हैं।

ये 25 लाख कॉर्पोरेट नौकरियां भारत में पिछले 70 वर्षों में सृजित कुल केंद्र सरकार की नौकरियों (48.34 लाख) के आधे से अधिक हैं।

यह पिछले 70 वर्षों में कर्नाटक जैसे बड़े राज्य में सृजित कुल सरकारी नौकरियों का भी 5 गुना है!

निजी क्षेत्र का सम्मान करें, उन्हें गालियों से मत नवाजें। अपने राजनैतिक एजेंडे और पसंद नापसंद के कारण उन लोगों का मजाक ना उड़ायें जो देश के विकास में बहुत बड़े सहभागी हैं।

नौकरी देने वालों के लिए जयकार जयकार भले ना करें लेकिन उन्हें इज़्ज़त देना तो सीखिए।

वे लाखों भारतीयों के लिए आजीविका पैदा कर रहे हैं।

भारत में 3 पीढ़ियों की आर्थिक क्षमता को बर्बाद करने वाले असफल समाजवादी राजनेताओं की बात न सुनें। यदि आप आने वाली पीढ़ियों के लिए उज्ज्वल भविष्य चाहते हैं, तो भारत को ऐसे हजारों नए निगमों की आवश्यकता है जो उच्च वेतन वाली नौकरियों का सृजन करते हैं।

अपने दो कौड़ी के राजनैतिक एजेंडे के चलते अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बर्बाद ना करें। खुद कभी आईना जरूर देखें कि क्या आपकी राजनैतिक नफ़रतें आपकी पीढ़ियों के भविष्य से ज्यादा जरूरी है।


Debabrata Mishra My dear here I differ from your opinion. In the first place you must incentivies Industrialists to generate money. In turn they put Industries, invest in infrastructure which give employment , unlike the Govts which priorities on caste or other form of reservations which brings inefficiency, indolence, corruptions etc as you might have experienced. Lastly that money so generated is remaining in India, for which tax is honestly paid. Of course you must ensure strict financial compliance, and adherence to business code & ethics including corporate social responsibility. This is really the job of the Government's. Give them free hand & rein to be a partner in India's march towards prosperity. I fully support private enterprises as long as it conforms to stipulated rules.


Not 3 Rd Richest Human Being of the world,he has become 3rd richest CORPORATE MAFFIA of the World having help of NARENDRA DAMODAR DAS MODI the most FLAUPED Prime Minister of India.Where there is Narendra Modi, his all LE-BHAGA(All fled away, left India to Other Countries, lootings almost 5 Lacks Crore of RUPEES of the Different BANKS of our Country) friends Neerav Modi, Lalit Modi, Vijay Malya,Mehul Choksi and many others are having all luxries of Ease and Comforts to Pass their lives SHAMELESSLY. The GODI MODI MEDIA'S are Keeping mum on this issue. Most Disastrous GODI MODI MEDIA'S Activists have morgaed or have sold their hearts and souls to the NARENDRA DAMODAR DAS MODI'S Government of India.


रुपया और डालर बराबर करने आये थे.... खैर, वो बराबर होने के बजाय अन्तर और बढ़ गया.... विदेशी कर्ज भी 8 साल में 2014 से पहले की तुलना में ज्यादा बढ़ा..... जोकि एक प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल के अनुसार मार्च, 2014 के आखिर में 440.6 अरब डालर था, जो इस खबर के अनुसार 8 वर्ष में बढ़कर मार्च,2022 में 620.7 अरब डालर हो गया..... मतलब 8 साल में 180.1 अरब डालर कर्ज की बढ़ोत्तरी !
लेकिन 2014 की ही एक अन्य मीडिया पोर्टल की खबर के अनुसार पिछले 8 साल में अडानी को दुनिया में 609वें नम्बर से तीसरे नम्बर पर लाकर उन्हें ऐलन मस्क के जरूर समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया (सम्पत्ति 2.8 अरब डालर से 137 अरब डालर)..... तो विकास किसका हुआ ?????

विदेशी कर्ज का बोझ 31 अरब डॉलर बढ़ा - http://nbt.in/_clpRb46/lmx

Gautam Adani Net Worth: 2.80 अरब डॉलर थी गौतम अडानी की संपत्ति जो बढ़कर हो गई 137 अरब डॉलर! - https://www.abplive.com/b...lar-2204087/amp