महाकाल के नहीं मिले दर्शन, लालबागचा राजा के दरबार पहुंचे रणबीर कपूर

महाकाल के नहीं मिले दर्शन, लालबागचा राजा के दरबार पहुंचे रणबीर कपूर #Mahakaleshwar #RanbirKapoor

           

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वे जो बेचते थे देशद्रोही नरेटिव्स
सुना है अपनी दुकान बढ़ा गए

नवविवाहिता के गले में मंगलसूत्र तक नहीं, माँग में सिंदूर नहीं और ऐसा उजड़ा हुआ ताजे ताजे वैधव्य का सा धुला हुआ चेहरा लेकर सूट भी पहना तो खास हरे रंग का। क्या मात्र चार महीने पहले ब्याही गई दुल्हन ऐसे ही स्वरूप में मंदिर जाती है? विवाह में भी विधवा की तरह ऑफ व्हाइट लहँगा और मंदिर जाने के लिए भी रंग मिला तो सिर्फ हरा? बाजार में लाल,पीला,गुलाबी,नारंगी ये सब समाप्त हो गए थे क्या? हिंदू रंगरूप, पहनावे, आचार विचार सबसे घृणा है तो अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए भी मंदिर क्यों जाना है? मूर्ख समझ रखा है क्या हमें?

अब आइए दढ़ियल नशेड़ी रणवीर की वेशभूषा भी देख लेते हैं। बाजार में सादा शर्ट पैंट से लेकर साधारण कुरता पजामा भी मिलता है। टीशर्ट जींस में भी मनाही नहीं है। पर इन्होंने विशेष रूप से चुना 'पठानी सूट'। जिनकी प्रत्येक पब्लिक एपियरेंस की स्टाइलिंग के लिए दर्जनों लोग हायर किए जाते हैं वे पति पत्नी विशेषकर मंदिर जाते हुए ऐसे रंगरूप के कपड़े पहनकर और ऐसा विधवा सा और दढ़ियल चेहरा बनाकर किस वर्ग विशेष को गुप्त संदेश देने का प्रयास कर रहे थे?

मतलब मंदिर जाने का ढोंग करके पैसे कमाने हैं हिंदुओं से और ऐसी वेशभूषा धारण करके सीधा-2 संदेश देना है देश के अलगाववादियों को कि हम भी आपकी तरह इन्हें बेवकूफ बना रहे हैं। बस एक बार ये मूर्ख भारतीय हमारे जाल में फिर से पहले की तरह फँस जाएं तो फिर निश्चित रूप से हमें पहले की तरह इन्हीं के पैसों से देश में अलगाववादियों का एजेंडा ही सैट करना है। नहीं हो पाएगा अब ऐसा बाबू।

अगर ये लोग हिंदू संस्कारों का क ख ग भी जानते होते तो असलम भट्ट की यह बेटी आलिया एक तीर्थस्थान पर सारी दुनिया के सामने पति की बजाय किसी परपुरुष की बाँहों में बाँहें डालकर,उससे इस प्रकार सटकर खड़ी नहीं होती।

मात्र चार महीने पहले की विवाहित स्त्री और पति के साथ होते हुए भी उससे दूर होकर खड़े होना और परपुरुष से अनावश्यक निकटता दर्शाना यह ना तो शिष्ट स्त्री के संस्कार हैं ना ही एक नवविवाहिता के लक्षण।

हिंदू रीतिरिवाजों के अनुसार पत्नी पति की वामांगी होती है और विवाह पश्चात उसे पति के बांयें ओर बैठकर इतने पूजन कार्य करने होते हैं कि नवविवाहिताओं में कुछ समय के लिए तो सामान्य रूप से भी पति के बांयें ओर बैठने,खड़े होने,चलने की आदत पड़ जाती है। वैसे भी नवविवाहित जोड़े स्वयं भी एकदूसरे के साथ ही खड़े होने में गर्व और प्रसन्नता का अनुभव करते हैं और लोग भी पति-पत्नी को एक साथ देखना ही अधिक पसंद करते हैं पर समझौतों की नींव रखे हुए इन रिश्तों में प्रेम,लगाव और संस्कारों की सुंदरता कहाँ (कहते हैं आलिया के गर्भवती होने के कारण आननफानन में यह विवाह किया गया) और फिर यह तीसरा व्यक्ति जिससे आलिया अनावश्यक घनिष्ठता का प्रदर्शन कर रही है आलिया का कोई रिश्तेदार भाई,देवर आदि भी नहीं है। पर कभी संस्कार,शिष्टाचार सिखाए गए हों तब ना।

और इस प्रकार समस्त हिंदू व भारतीय संस्कारों की धज्जियां उड़ाते ये आत्मघोषित सेलेब्रिटीज पिकनिक मूड में पहुंचे थे बाबा महाकाल के धाम अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए। शायद बाबा ने भी आलिया का हाल ही में वायरल हुआ सूँघनेवाला वीडियो देख रखा था इसीलिए बाबा महाकाल की ही आज्ञा नहीं हुई कि ये पापी उनके दर्शन कर सकें अन्यथा जिसको स्वयं बाबाजी चाहें उसको दर्शनों से कौन वंचित कर सकता है।

गेम ओवर हो चुका है बॉटलीवुड वालों। अब दुबारा नहीं जमने दी जाएंगी तुम्हारी जहरीली जड़ें। टाटा बाय बाय।

#BoycottBrahmashtra

#BoycottBollywoodForever


हिन्दुओं द्वारा बॉलीवुड के बहिष्कार से भगवान को गुस्सा चढ़ गया है ,,क्यूंकि बहुत से देवा देवी तो सिनेमा के रास्ते ही भारत में पॉपुलर हुए,, जय संतोषी मां इसका उदाहरण है,,इस फिल्म से पहले भारत भर में संतोषी माता को कहां सब लोग जानते थे ।
भगवान इतने गुस्से में है कि नकली बजरंग बली और नकली पार्वती माता को ड्रामा करते करते में पटक कर उठा लिया हमेशा के लिए ।

तुच्छ मनुष्य महादेव का रूप धर लेे,हनुमान का रूप धर लेे ,पार्वती का रूप धर लेे तो भगवानों की बेइज्जती है जिसका बदला वो इन्हे मार मार कर ले रहा है।