1ºमें सर्व प्रथम दिवंगत आत्मा की शांति हेतु भगवान से प्रार्थना करता हूं अपने श्री चरणों में स्थान दें
ओर में यह भी कहना चाहता हूं हम खुद ही इसके जिम्मेदार हैं । हम अपने मनोरंजन के लिए या चंद पेंसो के लिए अपने देवी-देवताओं का रुप धारण कर लेते हैं और संगीत की धुन में इस कदर खो जाते हैं कि सही गलत का आभास ही नहीं हो पाता। धार्मिक अनुष्ठान करना अच्छी बात है लेकिन उस अनुष्ठान में कोई पार्वती कोई राधा कोई शिव कोई ये कोई बो ना जाने क्या क्या रुप बनाते है। और ऐ मर्यादित आचरण भी बड़ी शान से करते हैं ।
जरा बिचार कीजिए क्या हमारे ग्रंथों में सुनने व सिखने को कुछ बचा ही नहीं है क्या हमारे देवी देवताओं को नाचने का ही काम बचा है ।
भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी जी को लेकर किस तरह का प्रदर्शन किया जाता है। कभी बिचार किया जाता है इस बात पर।। क्या भगवान शिव माता पार्वती से हमेशा भांग धतूरा ही घुटबाते रहते थे और कोई काम नहीं है उन्हें । और आज दिन भर नशें में सड़कों पर आवारा घूमने बाला व्यक्ति (माफ कीजिऐगा 80% ऐसा किरदार करने वाले लोग नशें के आदि होते हैं)अपने नशें का खर्च पुरा करने के लिए ऐसे किरदार करते हैं । उन्हें कुछ भी ग्यान नहीं होता कि समाज उन्हें उस समय किस दृष्टि से देख रहा है जिसका हम किरदार निभा रहे हैं वह सच में कोन है उसका क्या महत्व है ।।
इसलिए में फिर एक बार हाथ जोड़कर आप सभी से निवेदन करना चाहता हूं कि कोई भी धार्मिक अनुष्ठान कराए उसमें एक बात का विशेष ध्यान रखें हमारे देवी देवताओं का उपहास न उड़ाया जाये क्योंकि यह सभी पुजनीय देवी देवता समस्त विश्व को कीर्तिमान करने और सृष्टि का संतुलन बनाए रखने समस्त जीवों का कल्याण करने का कार्य करते हैं नाचने गाने का नहीं
2ºसभी पवित्र शास्त्रों से सिद्ध शास्त्र ज्ञान
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