1ºRambabu Nishad बायोलॉजी का ही विद्यार्थी हूं, और फार्मासिस्ट भी हूं।
आपकी भाषा में जो ये प्रकृति हैं यही माता जगतजननी आद्याशक्ति देवी दुर्गा जी का ही रुप है।
कभी ज्ञान ग्रहण करो तो पता चले आपको। किताबी आधुनिक डब्बे वाला ज्ञान तो दुनिया ले रही है।
और जो ये science की बात जो कर रहे हो ये भी वेदों से ही उत्पन्न हुईं है गूगल करके देख लो। नासा तक maanti है।
अंकल आप आयु में बहुत बड़े हो गए हो किंतु ज्ञान आपका अभी वहीं पर है जहां शुरू किया था। बस पाप कमाए हैं जीवन में आपने ऐसी छोटी सोच रखकर।
2ºध्यान की मुद्रा में बैठने वाला इंसान वहां पर जाकर सब कुछ पा सकता है जहां अनेक ऐसी शक्ति होती है कई लोग पहाड़ियों की गुफाओं में जाकर ध्यान करते हैं कई जमीन के अंदर ध्यान करते हैं कई घने जंगलों में ध्यान करते हैं यह संत महात्मा भी गहरे गड्ढे में ध्यान की मुद्रा में बैठने वाले हैं और ध्यान में जब इंसान बैठता है जिससे पूरे देवी देवता पूरा ब्रह्मांड नजर आता है मगर ध्यान में वह शक्ति होनी चाहिए ध्यान में इंसान मरता नहीं है चाहे उसे कितनी सदियां हो जाए किस ने इस साल बीत जाए किसी ने इस साल बीत जाए कितने ही ज्यादा सर्दी जाए जितना वक्त होता है जहान उतना ही गहरा उतना ही लंबा होता है ध्यान की मुद्रा में बैठने वाला इंसान पूरा वह साधु के रूप में बन जाता है हड्डियों का ढांचा भी बन जाए मगर वह ध्यान की मुद्रा में बैठा रहता है जब ध्यान से उसकी मुद्रा हटती है अपनी शक्ति के द्वारा फिर से एक नया रूप आ सकता है ध्यान में बहुत शक्ति होती है ध्यान एक ऐसी चीज है हर इंसान को ध्यान करना चाहिए क्योंकि हम अपने परमात्मा से मिलने के लिए मंदिरों में शिवाला में जाने से कोई मतलब नहीं होता आप एकाद जगह में जाइए और बैठ जाएगी ध्यान में आपको पूरे ब्रह्मांड के दर्शन हो जाएंगे मगर ध्यान में वह शक्ति का केंद्र होना चाहिए ध्यान एक ऐसी चीज है कई लोग कहते हैं कहते हैं कई लोग उसे गुप्त रुप साधना कहते हैं के साधन आए करने वाले लोग किस चीज के उपाय उसका कल्पना करके बैठते हैं वही चीज उनके सामने आकर खड़ी हो जाती है तो इन शब्दों की साधना पाना चाहते हैं कई देवी-देवताओं को पाना चाहते हैं पूरी सृष्टि का उद्धार करने के लिए ध्यान करते हैं ध्यान की मुद्रा ऐसी मुद्रा होती है जिसे हम शत-शत सलाम करते हैं करके तो देखिए कोई अलौकिक आनंद आता है खाना-पीना रोना उठना बैठना सोना जागना सब खत्म हो जाता है ध्यान की मुद्रा में एक चमत्कार है जिसकी जिसकी तासीर का नजारा वही देख सकता है ध्यान में बैठता है