ब्राह्मण की संतान होने पर भी रावण क्यों कहलाया असुरों का राजा, कैसे मिली थी सोने की लंका?

ब्राह्मण की संतान होने पर भी रावण क्यों कहलाया असुरों का राजा, कैसे मिली थी सोने की लंका?

           

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लंकापति ने बोला और नहीं तो क्या एक कलयुगी इंसान के मुख से यह शब्द सुनकर हंसी नहीं आएगी तो क्या होगा तुम लोग एक छोटी मोटी डिग्री क्या ले लो अंग्रेजी के 2,5 अक्षर क्या सीख लो यूं इतरा के चलते हो जैसे तुम से बड़ा ज्ञानी कोई है ही नहीं इस धरती पर एक तुम ही समझदार हो बाकी सब गवांर मैंने चारों वेद पढ़कर उन पर टीका टिप्पणी तक कर दी चंद्रमा की रोशनी से खाना बना लिया इतने इतने क्लोन बना डाले दुनिया का पहला विमान और खरे सोने की लंका बना दी तो थोड़ा बहुत घमंड कर लिया तो कौन सी आफत आ पड़ी मैंने बोला चलो ठीक है बॉस यह तो जस्टिफाई हो गया आपका घमंड करना ठीक था परंतु छोटे-मोटे वाद विवाद पर किसी के बीवी का अपहरण कर लेना कहां तक जायज है आपने तो इस प्रकार से किया जैसे किसी की बीवी ना होकर छोटे बच्चे की साइकिल हो और आपका दिल किया उठा ले गए एक पल के लिए रावण महाशय तनिक सोच में पड़ गए और मेरे चेहरे पर विजई मुस्कान आने ही वाली थी फिर वही इरिटेटिंग अटृहास) हा हा हा हा हा लुक हू इज़ सेइंग। अबे मैंने श्री राम की बीवी को उठाया मानता हूं बहुत बड़ा पाप किया और उसका परिणाम भी मिला पर मेघनाथ की कसम कभी जबरदस्ती तो दूर हाथ पैर तक नहीं लगाया उसकी गरिमा को रत्ती भर भी ठेस नहीं पहुंचाया और तुम कल योगी इंसान छोटी-छोटी बच्चियों तक को भी नहीं बख्शते अपनी हवस के लिए किसी भी को शिकार बना लेते हो कभी जबरदस्ती तो कभी झूठे वादों चलावो से अरे तुम दरिंदों के पास कोई नैतिक अधिकार बचा भी है मेरे चरित्र पर उंगली उठाने का? इस बार शर्म से सर झुकाने की बारी मेरी थी, पर मैं भी ठहरा भरद्वाज का वंशज इंसान ही मैंने बोला जाओ जाओ अंकल आज दशहरा है आज ही सारी हेकड़ी निकाल देंगे और इस बार लंकेश्वर जी इतनी तेज से जोर जोर से हंसे कि मैं गिरते गिरते बचा मैंने बोला यार तुम तो नवजोत सिंह सिद्धू के भी बाप हो बिना बात इतनी जोर जोर से काहे हंसते हो ऊपर से एक भी नहीं 10 10 मुंह लेकर कान का पर्दा फट दो जरा और जोर से हंसो तो रावण यार तुम बात ही ऐसी करते हो कैसे कमाल है तुम इंसानों की भी विज्ञान में तो बहुत तरक्की कर ली पर कॉमनसेंस ढेले का भी नहीं हर साल मेरा पुतला भर जला कर खुश हो जाते हो और मैं कहीं ना कहीं तुम सबके अंदर ही मौजूद रहता हूं वैसे अब तो मुझे ही घुटन सी होने लगी है तुम लोगों के अंदर रह कर मैं खुद ही चला जाऊंगा जल्दी ही डोंट वरी इतनी बेज्जती के बाद अब कुछ देने को बचा ही नहीं था मेरे पास चुपचाप गाड़ी स्टार्ट किया और निकल लिया इतना बड़ा लेख पढ़ने के लिए दशहरे की शुभकामना भी दे देता हूं,