मशहूर लेखक सलमान रुश्दी की एक आंख की रोशनी गई, एक हाथ ने भी काम करना बंद किया

जाने-माने लेखक सलमान रुश्दी की एक आंख की रोशनी चली गई है और उनके एक हाथ ने भी काम करना बंद कर दिया है.

           

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इस पर भी मेरे आलेख छप चुके हैं.सनातन मनुहार नहीं करता है. वह बौध जो एक समय हिंदुस्तान से प्रस्फुटित होकर चीन,श्री लंका,जापान,बर्मा आदि अनेक देशों में पल्लवित हुआ, पर जहां से निकला वहीं पर खत्म भी लगभग हो गया था.जानते हैं क्यों?बुद्ध परिवार से पलायन कर गये थे ,वह भी बीबी बच्चे को आधी रात में बिना बताये छोड़ कर.क्यों? पता नहीं किस ज्ञान की खोज में! कौन सामाजिक मूल्य स्थापित करने निकले थे!करूणा,अहिंसा, प्रेम जैसे मूल्य सनातन में आदि काल से हैं. अहिंसा उन देशों में कहां प्रभाव डाल पायी जब चीन जैसे देश ने भारत पर आक्रमण कर दिया था,जब जापान द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भारत बार्डर बर्मा तक पहुं चुका था.
राम ने युद्ध रावण से अवश्य किया था पर संधि प्रस्ताव भी दिया था.युद्ध अंतिम विकल्प बना परंतु युद्ध के पश्चात वहां शासन नही किया था.
कभी खाली समय में बौद्धिक चर्चा फिर करेंगे.


यही तो ज्ञान की बात जो आप कभी नहीं समझ पाओगे ;लवकुश कांड बाद में कुटिल व्यक्तियों के द्वारा जोड़ें गये हैं;जोडना कठिन नही है किसी की छबि को धूमिल करने के लिए.जो व्यक्ति अपनी पत्नी के लिए लंका जाकर युद्ध किया और सिंहासन पर बराबर में बिठाया और बर्षों तक साथ रहकर उसे गर्भावस्था में छोड़ देगा?
अब आ जाओ भारतीय संविधान पर .नयी पीढी यही पढती है कि भारत एक संप्रभुता संपन्न समाजवादी धर्म निरपेक्ष ( social ,secular)गणराज्य है.ऐसा संविधान की प्रस्तावना में लिख दिया गया है.किंतु कब लिखा गया?संविधान में संशोधन करके 1976 में बयालिसवें संशोधन में Secular and Social शब्द जोड़ कर.लेकिन आज कोई नही कहता है कि जोडा गया है.
राम चरित्र को समझना आप जैसे लोगों के वश में नहीं है.दिखा दे त्याग का दृष्टांत जो राम और उनके भाई भरत ने किया;एक ने राज्य छोड़ दिया और दूसरे ने जिसे मिला स्वीकार नहीं किया.
लोग कहते हैं कि ऐसा ऋषि वाल्मीकि ने लिखा है;जरा सोचें कब लिखा था!घटना घटने के पहले ऐडवांस में लिख दिया था जैसे नास्त्रेदमस नामधारी भाखने वाले ने लिखा है और आज भी कुछ भाखने वाले भाखते रहते है कि यही घटित होगा !


2/3. हताश होने का प्रमुख कारण था नोटबंदी जिस तरह से बताया वैसा नही किया। और जो प्रमुख मुद्दा था गरीबों की दैनिक मजदूरी उनके खाते में जाना वो तो रह ही गया था जिससे उनमें भविष्य के लिए बचत की आदत बड़े। मैं 3 साल तक शांत रहा और जनवरी 2020 में एक दम से दुनिया भर में कोरोना वायरस खबर फैलने लगी। तो मैं मजदूरों को लेकर सचेत हो गया यदि ये देश में फैला गया था काफी मजदूर और दैनिक आय वाले कामगार खाने को तरस जाएंगे, भूखमरी फैल जायेगी। लोगो की गरीबी की वजह से भी जान जायेगी तब मैने जो काम 2017 के बाद पूरा करवाना था छोड़ दिया था उस पर लग गया। फरवरी 2020 तक पूरी गरीबों को लेकर पूरी रिपोर्ट तैयार की सबसे पहले यूपी सरकार क बाद में केंद्र सरकार को भेज दी साथ में अनगिनत संस्थाएं जो मजदूर की भलाई के लिए काम करती है उनको भेज दी लेकिन किसी ने कोई जवाब नही दिया। तब तक अप्रैल और मई आ गया था और पूरे देश में लॉक डाउन लग गया था। लेकिन एक दिन पता चला की यूपी सरकार ने मजदूरों को लेकर समिति बनाई है जिसमे राज्य के मजदूरों का डाटा एकत्र कर रहे है उनको आर्थिक मदद देने के लिए, तब मुझे पता चला। इसी बीच मैंने केंद्र सरकार को लिखा की आप ने कुछ नही किया दैनिक मजदूरो को लेकर लेकिन यूपी सरकार इस पर काम कर रही है तो केंद्र सरकार ने भी संसदीय समिति बना दी। तभी शायद एक शब्द ने टीवी पर बहुत सुना होगा ”प्रवासी मजदूर” जो सबसे पहले यूपी सरकार की तरफ से पहले इस्तेमाल किया गया था जो मैने उन्हे फरवरी 2020 में इसे लेकर आगाह किया ये वहीं से निकला था और पूरे देश में ये शब्द गूंज उठा था।
और जो मैंने 2020 रिपोर्ट तैयार की थी वही उस केंद्रीय संसदीय समिति ने 2021 में कॉपी पेस्ट कर दिया। लेकिन धन्यवाद केंद्र सरकार का की उन्होंने ”ई–श्रम” के नाम से योजना जारी कर दी। लेकिन अभी लागू नहीं की अभी वो दैनिक कामगार और मज़दूरों का डाटा एकत्र कर रहे है ये योजना शायद 2024 इलेक्शन से पहले लागू कर दी जाएगी। मेरी जो दिहाड़ी मजदूर और कामगार को लेकर रिपोर्ट तैयार की थी उसकी कुछ बाते आप जान लिजिए और कुछ गोपनीय है जो आप सभी को नही बता सकता। मजदूरों की दैनिक मजदूरी उनके खाते में भेजना और उन्हे पीएफ, पेंशन और बीमा (कार्यस्थल पर दुर्घटना या मृत्यु होने पर 5 लाख तक बीमा) लाभ देना। जिनसे मजदूर का pf में योगदान इस प्रकार का था (लेकिन जो मजदूर इस सुविधा का लाभ लेना चाहे तो अर्थात् अनिवार्य नहीं थी सिर्फ pf के लिए)= 50 प्रतिशत मजदूर का योगदान (36 रुपए एक दिन का) : 25 प्रतिशत राज्य सरकार का योगदान(18 रुपए एक दिन का) : 25 प्रतिशत केंद्र सरकार का योगदान (18 रुपए एक दिन)। एक दिन में कुल 72 रुपए और महीने में सिर्फ 10 कार्यादिवस लागू होना था अर्थात् 720 रुपए महीना अर्थात् (360 रुपए मजदूर के और 360 में (180+180) रुपए राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से) । और मजदूर को 60 साल पर होने पर रिटायर होने पर उसको 4 से 5 हजार की पेंशन और के रूप में। 5 से 15 लाख रुपए pf के मिल जायेंगे मजदूरों का बुढ़ापा आसानी से गुजर जायेगा। अभी तो सरकार दुनिया में भर में कह कर प्रचार कर रही हमारा देश युवाओं का देश लेकिन यही युवा 30 साल बाद बूढ़े भी तो होंगे। जिन्हे किस तरह से देश पर बोझ बनने से रोका जायेगा यदि अभी से कुछ न किया गया तो।
सरकार को मैंने बताया मजदूरों पर किया गया खर्चे को निवेश समझे तब वो शायद तैयार हुए।


1/3. कृपया एक बार इसे पढ़े आप को पता चलेगा की नोटबंदी (विमुद्रीकरण=demonetization) का प्लान कहा से आया।

गरीबी को लेकर मैंने काफी काम किया था लेकिन सरकारी अधिकारी हो या मंत्री सभी ने सब कुछ छुपा दिया और मेरी शिक्षा, मेहनत और योग्यता का गला घोट दिया। किसी को आज तक कुछ नहीं पता चल पाया। लेकिन अब गरीबी को लेकर जैसे अकड़े आ रहे हैं या आने वाले सालो में वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ, ये अर्थशास्त्रियों द्वारा लगाया अनुमान की दुनिया में आने वाले सालो मंदी आने वाली है यदि इस रोकने को लेकर अभी से काम न किया गया तो दुनिया में बेरोजगारी, गरीबी,भूखमरी, अपराध अशिक्षा जैसे अनगिनत समस्या उत्पन्न4हो जाएंगी। इसलिए अब मुझे लगता है की देश के सभी लोगो पता चल जाना चाहिए जो अभी तक देश में कोई नही जानता है ये बाते हैं....
1 ई श्रम योजना(2021)
2. स्वनिधि योजना (2020)
3. नोटबंदी(डेमोनेटाइजेशन 2016)
4. जनधन योजना(गरीबों के बचत खाता खोलना.2014)
5. बैंक खाता पर ग्राहक आई डी ( customer ID. 2013–14)
6. फेक मोबाइल नंबर बंद करवाना और प्रति व्यक्ति मोबाइल कनेक्शन को सीमित करवाना TRAI के मध्यम से। जिससे आर्थिक अपराध, सामाजिक और आतंकवाद को रोका जा सके। जिसमे आर्थिक अपराध को खत्म करने को मैंने प्रमुखता में रखा।

सबसे पहले लोगो के गरीबों के बचत खाते (जनधन) खोलना था और नोटबंदी करनी थी बचत खाते की सुरक्षा को लेकर मैंने पहले ही तैयारी करवा ली थी। बैंक खाते पर कस्टमर id जारी करवा कर और फर्जी बैंक खाते बंद करवा कर। कस्टमर id जारी करने का मकसद सिर्फ यही था की यदि कोई व्यक्ति अलग अलग बैंक में कई बचत खाते खुलवा लेता है और उस व्यक्ति का कस्टमर id सभी बैंकों में एक ही रहेगा। जिससे नोटबंदी के दौरान अलग बैंक खातों के मध्यम से होने वाली टैक्स चोरी रोकी जा सके और ऐसा करने वालो को आसानी से पकड़ा जा सके। मैने उससे पहले प्रति व्यक्ति मोबाइल नंबर संख्या सीमित ही करवा दी थी TRAI को लिखकर और साथ ही साथ फेक आईडी पर नया सिम कनेक्शन लेना भी। जिससे की लोग एक फेक आईडी से कई मोबाइल नंबर जारी करवा कर, कई अलग अलग बैंकों में खाते खुलवाकर उसका नोटबंदी के दौरान इस्तेमाल न कर ले।
सरकार के हिसाब से बचत बैंक खाते केवल नोटबंदी करने के लिए खोले गए थे लेकिन मेरा मकसद तो गरीब, मजदूर , दैनिक कामगार के जीवन में आर्थिक तरक्की लाना था और गरीबी जैसे महापाप को इस देश और दुनिया से खत्म किया जा सके। 2016 तक नोटरबंदी होने तक मैं कई काम करवा चुका था जिसमे से मैंने आप को प्रमुख चीज बता दी है और 2014 में काला धन को प्रमुख मुद्दा बनाकर इलेक्शन भी लड़ा गया था जिसमे देश के लोगो के मध्य ये बात फैला दी गई थी की काला धन वापस आएगा और सबको 15–15 लाख रुपए मिलेंगे। लेकिन ऐसा तो कुछ होने वाला नहीं था इससे सिर्फ देश का ही काला धन नष्ट करवा के या चलन में लाकर खत्म किया जा सकता था। ये तो मुझे तो पता ही था की देश में नोटबंदी होगी और जो लोगो ने अपने पास अथाह काला धन नगद के रूप जमा कर के रखा है वो नष्ट हो जायेगा और कुछ हिस्सा सरकार को टैक्स के रूप में हासिल हो जाएगा। यदि सही तरीका अपनाया तो। जैसा मैंने उन्हें बताया था।
लेकिन ये सब करने का जो मकसद तो वो अभी 2017 तक पूरा हो नही हुआ था। और नोटबंदी ने काफी हताश कर दिया तो मैं चुप चाप बैठ गया।




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