पति, पत्नी और कर्ज... दबाव और धमकियों ने ले ली इंटीरियर डिजाइनर की जान, 7 पन्नों में दर्ज दुखभरी दास

दबाव और धमकियों ने ले ली इंटीरियर डिजाइनर की जान, 7 पन्नों में दर्ज दुखभरी दास्तान

           

https://www.facebook.com/aajtak/posts/10163008058377580

आजकल यह घटना बहुत कॉमन हो चुकी है इसका एक कारण यह भी है कि पति पत्नी दोनों ऐश की जिंदगी जीना चाहते हैं और हमेशा पैसे से मजे लेना चाहते हैं परंतु यह भूल जाते हैं कि पैसा कमाना वह खर्चा करना दोनों ही सही तरीके से होना चाहिए ऐसे सैकड़ों उदाहरण आजकल महानगरों में देखने को मिलते हैं चिटफंड कंपनी चलाने वाले यही गिरोह होते हैं यह औरत जो काम कर रही थी उसको ही चिटफंड कहा जाता है वैसे लगाने वाले दो नंबर की कमाई करते हैं और वह बैंक में या फिर सरकारी संस्थाओं में पैसा नहीं लगा सकते हैं वह ऐसे ही लोगों को अपना पैसा इन्वेस्ट कर आते हैं वह यहीं से धोखाधड़ी और बेईमानी का खेल शुरू होता है इसके लिए यह महिला और उसका पति दोनों दोषी हैं जिन्होंने इस प्रकार के गलत हो प्लॉट काम करें हैं पति ने चालाकी से दूसरी जगह भाग गया और अपनी पत्नी को फंसा कर चला गया


Kiran Sharma तब तो सारे मेंबरों को मिलकर उसके पास जाना चाहिए दूसरा एक मेंबर फेल होने से तो इतना फर्क नहीं पड़ता लेकिन इन मामलो मे होता क्या ह की ऑर्गनाइजर पहली कमेटी फ्री मे उठा लेता ह इस लिए पहले पहले तो वह एक ग्रुप फिर दूसरा ग्रुप फिर तीसरा ग्रुप सुरु करदेता ह सुरु सुरु मे तो उसको बिना ब्याज के पैसे मिलने पर अच्छा लगता ह फिर ज़ब दो तीन ग्रुप का पैसा उठालेने के बाद हर महीने प्रीमियम देने मे परेशानी आणि सुरु होजाती ह तब फिर वह कमेटी भरने के लिए कमेटी उठाने लगजाता ह और जिस दिन कमेटी भरने के लिए कमेटी उठाना सुरु करदेता ह उस दिन से एक या डेढ़ साल मुश्किल से निकाल पाता ह फिर वह मेंबरों से तो पैसे लेलेता ह लेकिन उठने वाले को देरी से देता ह ज़ब एक मेंबर को पैसे मिलने मे देरी होंगी तो फिर वह भी प्रियम देरी से देने लगेगा और ऐसे करते करते लास्ट मे खीचम खींच सुरु होजाती ह और जिसको जितना मिला उतना लेकर बैठजाता ह यही ह इस खेल की नियति