1ºAkhauri Bijay प्रेम की शादी नहीं होती सिर्फ एग्रीमेंट होता है जिसमें मां बाप, भाई बहन, रिश्तेदारों, समाज बंधुओं में से कोई शामिल नहीं होते। दोस्तों के साथ जज या पंडित की देखरेख में ये एग्रीमेंट तैयार होता है। इसलिए लड़का लड़की को खुली छूट होती है डिवोर्स लेने की। जितने दिन का भी ये एग्रीमेंट बन जाय। रेयर केस में ये आजीवन भी चल जाता है 90% में तो कुछ साल ही चलता है।
इसके ठीक पलक अरेंज शादी जो करते हैं उनमें थोड़ा मां बाप की इज्जत का, समाज में बदनामी का डर रहता है इसलिए लोग निभा ही लेते हैं। समझाने वाले भी बहुत आ जाते हैं, कुछ अपवादों को छोड़कर इनमें डिवोर्स की संभावना बहुत कम होती है।
2ºजो स्त्री खुद के स्वार्थ के लिए परिवार को, माता पिता को भी छोड़ सकती है, उससे प्रेम की कल्पना करना मूर्खता है। यह प्रेम नहि है कुछ पालो की भूख है, जिसकी तृप्ति हो जाने के बाद, प्रायश्चित करना ही पड़ता है। लेकिन परिवार को भी अपनी पुत्री के इच्छाओं का ध्यान रखना चाहिए। स्त्री को अपनी मर्यादा का उलाँघन किसी भी परिस्थिति में नहि करना चाहिए। देवी सीता तो साक्षात महालक्ष्मी थी, मर्यादा की एक लकीर क्या लांघ ली, उनके पति श्री राम को भीषण युद्ध करना पड़ा।
पुत्र में हमेशा त्याग की भावना होती है, जब तक उसके जीवन में कोई स्त्री नहि आती, तब तक वह अपना सबकुछ माँ बाप पर लूटा देता है।