1ºकार्यकर्ताओं को सिर्फ चुनाव के समय याद करना और वैश्य समाज को झुनझुना दिखाना य़ह साबित है लगतार कई बार से भाजपा का सीट और सहानुभूति फिर भी गोपालगंज की तकनीकी जीत भाजपा के लिए शर्मनाक है। अगर असलम और साधु यादव नहीं होते तो भाजपा २० हजार से हारती। बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी।
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लगातार वैश्य को टिकट मिल रहा हैं।
भाजपा वैश्य का पार्टी हो कर भी नहीं दे पाया पर M-Y का पार्टी लगातार दो सीट का उप चुनाव फिर भी दोनों बार एक सीट वैश्य को दिया गया पर अफसोस जीत नहीं दिला सके वैश्य वोटर,
इस चुनाव परिणाम से साबित होता है कि स्वर्ण वोटर एक होता है, पर वैश्य वोटर झंडा उठाने का ही काम करेगा,,