सुप्रीम कोर्ट ने छावला गैंगरेप के दोषियों को आख़िर क्यों किया बरी?

सुप्रीम कोर्ट ने छावला गैंगरेप के दोषियों को आख़िर क्यों किया बरी? पूरा वीडियो: https://intdy.in/90j5xw #Vardaat #ATVideo (Chirag Gothi, Sanjay Sharma)

           

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जो लोग प्रश्नवाचक चिन्ह लगाते हैं कम से कम उन्हें कानून की जानकारी होनी चाहिए मेरी सरकार को सलाह यह है कि बच्चों की पाठशाला में अंबेडकर द्वारा बनाये गये संविधान को पढ़ाया जाना चाहिए हर नागरिक को भारत के संविधान की जानकारी होनी चाहिए इस तरह के अपराधों में भी सबूतों को सर्वोपरि रखा गया है यहां पर बलात्कारी को नहीं बल्कि पीड़िता को यह साबित करना है कि उसके साथ बलात्कार हुआ है। कोर्ट तक मामला आने से पहले ही पुलिस से सांठगांठ कर ली जाती है और केस को खराब कर दिया जाता है। भारत के संविधान के अनुसार कोर्ट को सबूत चाहिए। अब जब कोर्ट के पास कोई सबूत नहीं है तो जज को गाली देने से क्या फायदा। निर्भया कांड के बाद संशोधन हुआ जरूर, किंतु संशोधन में अपराधी को फांसी की सजा का प्रावधान हुआ। सच तो यह है कि भारत का संविधान अंग्रेजों द्वारा बनाया गया हुआ है उस में मामूली फेरबदल करके अंबेडकर के संविधान के नाम से जाना जाने लगा। अंग्रेजों द्वारा भारत की महिलाओं के साथ रेप किया जाता था। और उनके द्वारा बनाए गए संविधान में महिला को ही यह साबित करना पड़ता था कि अमुक व्यक्ति द्वारा बलात्कार किया गया है जिससे अंग्रेज छूट जाते थे और वह साबित नहीं कर पाती थी। निर्भया कांड से पहले पीड़िता यदि साबित कर भी देती थी तो फांसी की सजा नहीं थी। निर्भया कांड के बाद संशोधन हुआ वह भी सिर्फ साबित करने के बाद फांसी की सजा का प्रावधान हुआ। पर अभी भी साबित महिला को ही करना है इसमें भी संशोधन की जरूरत है। संविधान में बहुत सी धाराओ में संशोधन की अभी भी बहुत जरूरत है इसलिए भारत के नागरिकों को भारत के संविधान की जानकारी होनी चाहिए।




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